मुबशीर बशीर: विरोध के बावजूद घाटी में बढ़ा रहे हैं टैटू कला

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 10-01-2022
मुबशीर बशीर
मुबशीर बशीर

 

रिजवान शफी वानी / श्रीनगर
 
कश्मीर बदल रहा है. देश के अन्य हिस्सों की तरह कश्मीर के युवा वर्ग को भी अब टैटू भाने लगा है. बिंदास प्रवृत्ति के युवाओं में यह कला जोर पकड़ने लगी है. अलग बात है कि ऐसे युवाओं को संतुष्ट करने के लिए कश्मीर घाटी में इकलौते टैटू कलाकार हैं मुबशीर बशीर. 

उन्होंने युवाओं को आकर्षित करने के लिए खुद के शरीर पर भी अनेक तरह के टैटू उकेर रखे हैं. वह श्रीनगर के बमना इलाके के रहने वाले हैं. वह घाटी के इकलौते टैटू आर्टिस्ट तो हैं ही, बहुत लोकप्रिय भी हैं.
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वह आवाज द वाॅयस से बातचीत में कहते हैं,‘‘मैंने पांच साल पहले टैटू की दुकान शुरू की थी.  मैं घाटी का पहला टैटू आर्टिस्ट हूं. वर्तमान में मेरे पास हजारों ग्राहक हैं, जिनमें युवा लड़कियां भी शामिल हैं.
 
वह बताते हैं, हम न केवल टैटू बनाते हैं, पार्सिंग भी करते हैं. कश्मीर में इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है. पार्सिंग केवल लड़कों तक  सीमित नहीं है. लड़कियों 
को भी यह पसंद आ रहा है.
 
उनका कहना है कि पार्स करना एक फैशन बन गया है. यह एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग युवा लड़के और लड़कियां अपने शरीर के किसी भी हिस्से को छेदने और उस पर एक छोटी सी अंगूठी लगाने के लिए करते हैं. होठों, जीभ, पलकों और पेट पर हीरे या सोने की अंगूठी पहनना युवाओं में एक चलन बन गया है.
 
पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव बढ़ने से देश के अन्य हिस्सों के साथ कश्मीर घाटी में भी बॉडी पेंटिंग की लोकप्रियता बढ़ने लगी है.
 
मुबाशीर बशीर के मुताबिक, कश्मीर में टैटू गुदवाने का चलन बढ़ रहा है. 5 साल पहले जब मैंने यह बिजनेस शुरू किया था, एक या दो क्लाइंट मिलते थे. अब  रोजाना 15 से 20 ग्राहक मिलते हैं.
 
ग्राहक घाटी के अलग-अलग हिस्सों के साथ कश्मीर के बाहर से भी आते हैं.कुछ पर्यटक टैटू बनवाने भी आ रहे हैं. पर्यटक अपने शरीर पर कश्मीर की खूबसूरत जगहों की तस्वीरें  बनाने को कहते हैं. अब तक लगभग 30,000 लोगों के शरीर पर टैटू बना चुका हूं.
 
कुछ समय टैटू शरीर से गायब हो जाते हैं.लोग अपने विचार व्यक्त करने के लिए टैटू बनवाते हैं. इस संस्कृति ने युवाओं को बहुत प्रभावित किया है. स्टूडियो में ग्राहकों की संख्या भी बढ़ी है.
 
कॉमर्स ग्रेजुएट मुबशीर बशीर ने इस कला को सीखने के लिए सबसे पहले यूट्यूब का सहारा लिया. वह कला के प्रति जुनूनी थे. इसलिए मुंबई चले गए. पांच साल पहले, श्रीनगर आए और घाटी में अपनी तरह का पहला ‘मोबिज टैटू‘ नाम से अपना स्टूडियो शुरू किया.
 
उसके बाद उन्होंने हैदराबाद में एक निजी कंपनी में काम करना शुरू किया. वहींे इस कला को यूट्यूब के जरिए सीखने और बढ़ाने की कोशिश की.
 
उन्होंने बताया,‘‘मैं पेंटिंग और स्केचिंग करता था,लेकिन मैं कुछ अलग करना चाहा. मुझे टैटू आर्टिस्ट बनने में दिलचस्पी हुई जिसके बाद मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी. पंजाब चला गया जहां मैंने विशेषज्ञता के लिए 6 महीने का डिप्लोमा किया.
 
उन्होंने अपने कौशल को सुधारने के लिए मुंबई, दिल्ली और पंजाब सहित विभिन्न शहरों में काम किया. आज मैं एक पेशेवर कलाकार हूं. मुबशीर बशीर के लिए यह सफर आसान नहीं रहा. इस कला को सीखने के लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी. घाटी में हर कोई इसके खिलाफ था.
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वह कहते हैं,‘‘जब मैंने इस क्षेत्र में कदम रखा, तो लोग बहुत संकीर्ण सोच वाले थे.‘‘  मुझे संकीर्ण दृष्टि से देखते थे और चिढ़ाते थे.लेकिन मैं उनकी बातों पर ध्यान नहीं देता था. अपना काम करता रहा.
 
उंगली उठाना लोगों का काम है. इरादे बुलंद हों तो इंसान कुछ भी कर सकता है. मैंने तय किया कि मुझे वास्तव में जो करने की जरूरत है, वह यह है कि इसे सही तरीके से करना सीखें.
 
मुबशीर बशीर के लिए टैटू गुदवाना एक कला और व्यवसाय दोनों है. उन्होंने देश के विभिन्न शहरों में भी काम किया है. उनका कहना है कि कश्मीर में टैटू बनवाना सस्ता है.
 
कुछ साल पहले जब मैं बाहर काम कर रहा था तो हम पंद्रह सौ रुपये चार्ज करते थे. यहाँ मैं अब 500 रुपये लेता हूँ. उनके मुताबिक टैटू बनवाने की प्रक्रिया में एक घंटे से ज्यादा का समय लगता है. हड्डियों पर टैटू बनवाना बहुत मुश्किल होता है,क्योंकि इससे दर्द ज्यादा होता है.