आसिम किफायत खानःयूपीएससी में उर्दू की प्रतिष्ठा हुई बुलंद

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] | Date 28-09-2021
आसिम किफायत खान
आसिम किफायत खान

 

सेराज अनवर / पटना / मुंबई
 
उर्दू है जिसका नाम हमहीं जानते हैं दाग,
सारे जहां में धूम हमारी जुबां की है.

 
दाग देहलवी से प्रसिद्ध नवाब मिर्जा खान ‘दाग’ की रूह को बड़ा सुकून मिला होगा जब महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव के लड़के ने देश के सबसे प्रतिष्ठित यूपीएससी प्रतियोगी परीक्षा में उनकी शायरी को चरितार्थ कर दिखाया.
 
आसिम किफायत खान की वजह से एक बार फिर मुल्क भर में उर्दू की अहमियत को लेकर चर्चा शुरू हो गई है.किसी जबान की परवरिश कैसे होती है,यूपीएससी में उर्दू विषय को चुन कर आसिम ने जोखिम उठाया और उर्दू जबान का डंका बजाया.
 
महाराष्ट्र ही नहीं बिहार के उर्दू अखबार,पत्रकार,बुद्धिजीवी आसिम की इस बेमिसाल सफलता पर झूम रहे हैं.आसिम खान इस साल उर्दू मीडियम से यूपीएससी में कामयाब होने वाले इकलौते अभ्यर्थी हैं.
 
उर्दू से है परिवार का ताल्लुक

आसिम महाराष्ट्र के धोलिया जिले के रहने वाले हैं.उनके माता-पिता उर्दू धोलिया स्थित उर्दू मीडियम नगर पालिका स्कूल में टीचर थे.मां अब नहीं रहीं.पिता नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं.पारिवारिक माहौल उर्दू होने के कारण आसिम को भी उर्दू से लगाव है.
 
उनकी बारहवीं तक पढ़ाई उर्दू माध्यम से हुई.फिर नॉर्थ महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी के बीटी कॉलेज ऑफ बाइओटेकनॉलोजी से बीटेक किया. कुछ दिनों तक धोलिया में फुडटेकनॉलोजी कॉलेज में शिक्षक रहे.लेकिन यूपीएससी परीक्ष्पाा उनके लिए मिशन था.
 
दूसरे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी में उर्दू का परचम लहराया.इसी इम्तिहान में आसिम इंटरव्यूू तक पहुंच कर एक बार चूक गए थे. मगर हिम्मत नहीं हारी. न उर्दू छोड़ी.जिद बांध लिया कि उर्दू से ही यूपीएससी निकालेंगे. यह कर दिखाया.
 
उनकी कोशिश उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो उर्दू को लेकर अहसास ए कमतरी में मुबतला रहते हैं.आसिम ने 558 रैंक प्राप्त किया है.इन्होंने दिल्ली के जामिया मिल्लिया और मुंबई हज हाउस कोचिंग से यूपीएससी की तैयारी की.
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आवाज द वायस से आसिम ने क्या कहा

उर्दू विषय को चुन कर कोई रिस्क नहीं लिया.जबान कभी भी तरक्की में रुकावट नहीं बनती.मैंने यूपीएससी का पूरा इम्तिहान उर्दू में दिया.वह कहते हैं, आपको जिस सब्जेक्ट में  महारत हासिल है परीक्षा का विषय भी वही चुनें.
आपकी मादरी जबान,आपकी पृष्ठभूमि,आपका मजहब किसी भी तरह से आपकी कामयाबी में रुकावट नहीं है.एक सवाल के जवाब में आसिम कहते हैं कि बेशक हमारी कामयाबी से उर्दू छोड़ने वाले लोग उर्दू की तरफ लौटेंगे.दुनिया में दिगर जबानें जगह बना रही हैं .उर्दू का भी भविष्य सुनहरा है.
 
बिहार में चर्चा

आसिम महाराष्ट्र से हैं, पर  बिहार में उनकी चर्चा अधिक हो रही है.चूंकी बिहार देश का पहला राज्य है, जहां उर्दू को दूसरी सरकारी जबान का दर्जा प्राप्त है.प्रदेश का सबसे बड़ा उर्दू दैनिक कौमी तंजीम ने फ्रंट पेज पर इस खबर को प्रकाशित किया है.
 
संपादक अशरफ फरीद कहते हैं कि आसिम ने यह साबित कर दिया कि उर्दू को जरिया तालीम बनाना आला मकाम के हसूल में रुकावट नहीं है. उनकी कामयाबी ने सिद्ध कर दिया कि अगर बच्चे अपनी मादरी जबान में तालीम हासिल करें तो वह सख्त से सख्त इम्तिहान में  कामयाबी का परचम लहरा सकते हैं.
 
बिहार उर्दू मीडिया फोरम के महासचिव रेहान गनी कहते हैं कि अब यह भ्रम टूट गया कि उर्दू पढ़ कर क्या करेंगे.आसिम की कामयाबी उर्दू दुनिया के लिए गौरवपूर्ण क्षण है.उर्दूदां तबका आसिम को उर्दू का राजदूत मान रहा है,जिसने विपरीत प्रस्थितियों में उर्दू के अजमत,उसके वकार को बहाल किया है.