इस्लामाबाद. औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के कारण इस वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में पाकिस्तान की आर्थिक विकास दर घटकर केवल 1 प्रतिशत रह गई. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, धीमी वृद्धि दर सरकार की गलत नीतियों को दर्शाती है, जिससे बेरोजगारी बढ़ी है.
देश की राष्ट्रीय लेखा समिति (एनएसी) के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के दौरान समग्र आर्थिक विकास दर 1 प्रतिशत रही. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी संस्था ने बताया कि औद्योगिक क्षेत्र में दूसरी तिमाही के दौरान एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 0.84 प्रतिशत की गिरावट आई. सर्विस सेक्टर 0.01 प्रतिशत की वृद्धि पर लगभग स्थिर रहा.
देश की जनसंख्या सालाना 2.6 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. इससे नीचे किसी भी विकास दर का मतलब है कि देश में गरीबी, बेरोजगारी और कुपोषण में वृद्धि होगी. पाकिस्तान लंबे समय से आईएमएफ कार्यक्रम के अधीन है और सख्त राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों को लागू कर रहा है. बढ़ती महंगाई ने व्यवसायों के साथ-साथ लोगों पर भी भारी असर डाला है, जिससे सामान खरीदने की उनकी क्षमता सीमित हो गई है.
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