पाकिस्तानः अहमदियों को गैर-मुस्लिम घोषित करने की वर्षगांठ मनाएगा जेयूआई-एफ प्रमुख

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 04-05-2024
Maulana Fazal-ur-Rehman
Maulana Fazal-ur-Rehman

 

इस्लामाबाद. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) प्रमुख मौलाना फजल-उर-रहमान ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी लाहौर के टॉवर मीनार-ए-पाकिस्तान में एक ‘भव्य कार्यक्रम’ आयोजित करेगी. इस साल 7 सितंबर को 1974 के उस फैसले की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए, जिसने अहमदियों को गैर-मुस्लिम घोषित किया था.

उन्होंने यह टिप्पणी फिलिस्तीनी मुद्दे पर आयोजित एक सम्मेलन में की. मौलाना फज्र-उर-रहमान 2004 से 2007 तक पाकिस्तान के विपक्ष के नेता रह चुके हैं. उन्होंने कहा, ‘‘7 सितंबर, 2024...यह 1974 में अहमदियों को गैर-मुस्लिम घोषित करने की 50वीं वर्षगांठ होगी और इस दिन, मैं घोषणा करता हूं कि मीनार-ए-पाकिस्तान में स्वर्ण जयंती मनाई जाएगी. पूरा देश इसमें भाग लेगा.’’

देश में अहमदी समुदाय और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति पाकिस्तानी राज्य की चल रही शत्रुता ने मौलाना फजल-उर-रहमान जैसे लोगों को और अधिक आत्मविश्वास दिया है. पाकिस्तान में अहमदिया, ईसाई, हिंदू और अन्य सहित अल्पसंख्यक समुदायों ने कार्यस्थल और शैक्षिक प्रणाली में भेदभाव के अलावा उत्पीड़न और लक्षित हिंसा का अनुभव किया है.

अहमदी समुदाय, जिसे चार दशक पहले आधिकारिक तौर पर गैर-मुस्लिम घोषित किया गया था, पर लगातार हमले हो रहे हैं. इसके अलावा, पाकिस्तानी समाज के कुछ क्षेत्रों, जैसे कि मीडिया, धार्मिक प्रवचन और ऑनलाइन मंचों पर नफरत फैलाने वाले भाषण, साजिश के सिद्धांत और यहूदी विरोधी प्रचार के उदाहरण हैं.

जेयूआई-एफ प्रमुख ने इजराइल पर हमास के हमले का बचाव करते हुए कहा कि यह दुनिया को फिलिस्तीनियों की दुर्दशा से अवगत कराने के लिए किया गया था. उन्होंने कहा, ‘‘हमास के हमले ने फिलिस्तीन मुद्दे को फिर से उजागर कर दिया है. फिलिस्तीन को आजाद कराने का संघर्ष फिर से शुरू हो गया है. दूसरा पक्ष कदम पीछे खींचने के लिए तैयार नहीं होगा, लेकिन दुनिया हमास की कार्रवाई को फिलिस्तीन की मुक्ति की दिशा में एक कदम के रूप में देखती है.’’

7 अक्टूबर को, हमास के आतंकवादियों ने एक अभूतपूर्व आश्चर्यजनक हमले में पास के इजराइली शहरों पर धावा बोल दिया. उन्होंने कई लोगों का अपहरण कर लिया और दर्जनों लोगों की हत्या कर दी. इसके बाद हमास ने इजराइल के खिलाफ जवाबी हमला शुरू कर दिया.

एचआरपीएफ ने एक बयान में कहा, इससे पहले अप्रैल में, पाकिस्तान के एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ह्यूमन राइट्स फोकस पाकिस्तान (एचआरएफपी) ने अल्पसंख्यकों, उनकी संपत्तियों और पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए अपनी आवाज उठाई थी.

एनजीओ ने चर्चों, हिंदू मंदिरों, अहमदिया की मस्जिदों और अल्पसंख्यक शहरों पर हाल के हमलों और अन्य संपत्तियों के अलावा कृषि भूमि, घरों, कब्रिस्तानों और पूजा स्थलों को हड़पने पर प्रकाश डालते हुए गंभीर चिंता व्यक्त की. एचआरएफपी ने कहा कि उल्लंघन दिन-ब-दिन बढ़ रहे हैं, हालांकि, ऐसे उल्लंघन को रोकने के लिए कोई रणनीति या नीतियां नहीं हैं.

 

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