पाकिस्तान : हिंदू लड़कियों का अपहरण और धर्म परिवर्तन, अदालतें गुनाहगार

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 02-05-2024
Protest against religious conversion of Hindu girls in Pakistan
Protest against religious conversion of Hindu girls in Pakistan

 

राकेश चौरासिया

पाकिस्तान के सीनेट में चल रहे 337वें सत्र में दानेश कुमार पल्यानी ने बड़े दुखी मन से हिंदू लड़कियों के अपहरण, बलात्कार, हत्या और जबरन धर्म परिवर्तन की कहानी सुनाते हुए सवाल खड़ा किया कि आखिर हिंदुओं का उत्पीड़न कब रुकेगा. हिंदू लड़कियों का अपहरण और धर्म परिवर्तन कब तक जारी रहेगा. पाकिस्तान में हिंदू ही नहीं, ईसाई लड़कियों के खिलाफ भी संस्थागत धर्म परिवर्तन रैकेट चलाए जा रहे हैं.

पल्यानी ने संसद में पाकिस्तानी हिंदुओं की एथनिक क्लींजिंग यानी नस्लकुशी के बारे में जो सवाल उठाए हैं, वे नए नहीं, बल्कि सात दशक पुराने हैं. जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तो जमकर हिंदुओं का कत्लेआम हुआ था. करोड़ों हिंदू तब पाकिस्तान से पलायन करके भारत आ गए. जो हिंदू पाकिस्तान में बच गए, उनकी लगातार हत्याएं की गईं और पुरुषों और स्त्रियों को जबरन धर्म परिर्वतन के लिए मजबूर किया गया.

1947 में बंटवारे के दौरान पाकिस्तान में 20.5 प्रतिशत आबादी हिंदू थी. उत्पीड़न के कारण अब उनकी संख्या घटकर 1.6 प्रतिशत (लगभग 75 लाख) रह गई है. अकेले इस आंकड़े से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान में कितने योजनाबद्ध ढंग से वहां के कट्टरपंथियों, मौलवियों, दबंगों, पुलिस, सरकार और अदालतों ने हिंदुओं के उत्पीड़न को संस्थागत अपराध बना दिया कि पाकिस्तानी हिंदू 20 से डेढ़ फीसद में सिमट गए हैं.

हिंदुओं का होलोकॉस्ट

पूरी दुनिया यहूदियों के द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए होलोकॉस्ट को याद करती है. 1941 और 1945 के बीच, नाजी जर्मनी और उसके सहयोगियों ने जर्मन-कब्जे वाले यूरोप में लगभग 60 लाख यहूदियों की सामूहिक हत्याएं की थीं. इससे भी बड़ा ‘हिंदू होलोकॉस्ट’ पाकिस्तान में लगातार चल रहा है.

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हर साल 1,000 लड़कियों का धर्म परिवर्तन

पाकिस्तान स्थित औरत फाउंडेशन और मूवमेंट फॉर सॉलिडेरिटी एंड पीस का अनुमान है कि पाकिस्तान में हर साल 1,000 हिंदू, सिख व ईसाई महिलाओं और लड़कियों का अपहरण किया जाता है, जबरन धर्म परिवर्तन किया जाता है और फिर उनकी अपहरणकर्ताओं से ही शादी करा दी जाती है.’’

एपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि लड़कियों का अपहरण आम तौर पर परिचितों और रिश्तेदारों या दुल्हन की तलाश कर रहे पुरुषों द्वारा किया जाता है. कभी-कभी उनके खेतिहर माता-पिता के बकाया कर्ज के भुगतान के रूप में शक्तिशाली जमींदार उन्हें पकड़ लेते हैं और पुलिस अक्सर ऐसी घटनाओं से मुंह फिरा लेती है.

पाकिस्तान के स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग के अनुसार, धर्मांतरण के बाद, लड़कियों की तुरंत शादी कर दी जाती है और अक्सर उम्रदराज पुरुषोंया उनके अपहरणकर्ताओं से ही निकाह करवा दिया जाता है.

डाकुओं के गिरोह भी सक्रिय

हिंदुओं की ज्यादातर आबादी अब सिंध प्रांत में ही बची है. यहां के दबंग और डाकुओं के गिरोह हिंदू लड़कियों और महिलाओं का अपहरण कर लेते हैं और उनका जबरन धर्मपरिवर्तन करके निकाह कर दिया जाता है. इसमें पुलिस और अदालतें बराबर की दोषी और साझीदार होती हैं.

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कट्टरपंथियों, पुलिस और अदालतों की सांठगांठ

ऐसा ही एक वाकया अक्टूबर 2023 में सामने आया था. रजीता मेघवार कोल्ही नाम की एक दलित युवती का अपहरण कर लिया गया, उसका धर्म परिवर्तन कराया गया और जबरन शादी करा दी गई. पीड़िता दो महीने की कैद के बाद किसी तरह भागने में कामयाब हो गई. उसने अदालत में अपने माता-पिता के साथ रहने की फरियाद की, लेकिन उस कट्टरपंथ में आलूदा नाइंसाफ मुंसिफ ने पीड़िता की दलीलों की अनदेखी करते हुए, उसे एक महिला आश्रय में भेज दिया.

रजीता मेघवार कोल्ही फर्श पर गिरकर गिड़गिड़ाती है, विलाप करती है और गुहार लगाती है कि वह अपने माता-पिता के साथ फिर से रहना चाहती है, लेकिन पाकिस्तान की दुष्ट न्याय प्रणाली उसकी फरियाद की अनसुनी कर देती है. हिंदू समुदाय की ऐसी हजारों महिलाओं के साथ, जब अपहरण और धर्मांतरित कर कथित निकाह किया गया, तो पुलिस दलील देती है कि महिला ने ‘प्रेम विवाह’ किया है और अदालतें आंख मूंदकर पुलिस की इस दलील को मंजूर कर लेती हैं. और हिंदू लड़कियां तथा उनके अभागे मां-बाप रोते-कलपते रह जाते हैं. 

अल्पसंख्यक अधिकार कार्यकर्ता शिवा काछी का कहना है कि कुछ दिन पहले, रंजीता ने एक वीडियो में एक बयान दिया, जिसमें उसने अपने माता-पिता के साथ रहने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन अदालत ने उसकी दलील नहीं सुनी.

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पाकिस्तान के क्रिकेटर दानिश कनेरिया की रंजीता मामले पर प्रतिक्रिया दी है कि पाकिस्तान की अदालतें हिंदू लड़कियों को न्याय देने में विफल रही हैं. उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया है, ‘‘जबरन धर्मांतरण और अपहरण के ऐसे मामले मानवाधिकारों का हनन हैं. दुर्भाग्य से, पाकिस्तान में अदालतें हिंदू लड़कियों को न्याय देने में विफल रही हैं. इस बीच, अपराधी इस तरह के कृत्यों को अंजाम देने के लिए स्वतंत्र घूम रहे हैं.’’

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने अदालतों और पुलिस की कार्यप्रणाली और उनके चरित्र को संदिग्ध मानते हुए चिंता जताई है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों की लड़कियों की जबरन शादी और धर्म परिवर्तन को अदालतों द्वारा मान्या दी जाती है. अक्सर पीड़ित लड़कियों को उनके माता-पिता के हवाले करने के बजाय, उनके अपहरणकर्ताओं को ही सौंप दिया जाता है और ऐसा करने के लिए कानून की थोथी दलीलों का हवाला दिया जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘अपराधी अक्सर जवाबदेही से बच जाते हैं, क्योंकि पुलिस ‘प्रेम विवाह’ की आड़ में अपराधों को खारिज कर देती है.’’

मी लॉर्ड खुद कटघरे में 

दक्षिणी सिंध प्रांत के बेनजीराबाद जिले में 2 जून 2023 को सोहाना शर्मा कुमारी का उसके घर से, बंदूक की नोक पर उसके शिक्षक और उसके साथियों ने उसकी मां के सामने अपहरण कर लिया था. उसके पिता दिलीप कुमार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसका अपहरण कर लिया गया है. बाद में, लड़की एक वीडियो में स्पष्ट रूप से दबाव में कहती हुई दिखाई दी कि उसने इस्लाम धर्म अपना लिया है और एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी कर ली है.

हालांकि उसके माता-पिता ने जोर देकर कहा कि वह कम उम्र की थी. सोशल मीडिया पर काफी हंगामा होने के बाद अपहरण के पांच दिन बाद पुलिस ने लड़की को जिले के एक घर से बरामद कर लिया. सोहाना को जब लरकाना की जिला अदालत में लाया गया, तो उसने अपने बयान में न्यायाधीश को बताया कि उसका अपहरण कर लिया गया था और उसे जबरन इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया है .

वह अपने माता-पिता के साथ जाना चाहती है. फिर वही हुआ, न्यायाधीश ने इस दलील के साथ सनुवाई स्थगित कर दी कि पीड़िता सोहाना अपना बयान देते समय दबाव में लग रही है. और उसे महिलाओं के एक आश्रय गृह में भेज दिया गया.

सोहना की मां जमुना शर्मा ने मीडिया को बताया कि उनकी बेटी घर पर ट्यूशन पढ़ती थी और कुछ दिन पहले शिक्षक ने उससे कहा था कि उसे एक लाख रुपए के ऋण की जरूरत है. जमुना ने बताया, ‘‘जब मेरी बेटी ने मुझे इस बारे में बताया, तो मैंने शिक्षक से कहा कि उसे सोहाना के साथ इस तरह के मुद्दों पर चर्चा नहीं करनी चाहिए और वह चला गया.

लेकिन वह एक दिन बाद कुछ लोगों के साथ लौटा और बंदूक की नोक पर मेरी बेटी का जबरन अपने साथ ले गया. मैंने उससे आग्रह किया कि वह पैसे ले जाए और गहने भी ले ले, लेकिन मेरी बेटी को छोड़ दो, लेकिन वह नहीं माना.’’

उसके पिता ने मीडिया को बताया कि आरोपी द्वारा यह साबित करने के लिए पेश किए गए सभी दस्तावेज कि उसने इस्लाम अपना लिया था और अपनी मर्जी से एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी की थी, नकली थे. वे हैरान होते हुए कहते हैं कि, ‘‘मुझे नहीं पता कि जब लड़की 14 साल की है, तो सरकारी अधिकारी ऐसे दस्तावेजों पर मुहर कैसे लगा सकते हैं.’’

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चंद टैस्ट केस

30 सितंबर 2023 को मीरपुर खास के कोट गुलाम मुहम्मद में कोल्ही समुदाय की एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. पुलिस ने मामला दर्ज करने की जहमत तक नहीं उठाई.

13 अक्टूबर 2023 को, द राइज न्यूज ने टांडो मुहम्मद खान के एक गांव से मोहम्मद खान द्वारा एक नाबालिग राधा मेघवार के अपहरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का एक वीडियो पोस्ट किया था. एक कार्यकर्ता विंदू कुमार का कहना है कि पुलिस ने राधा मेघवार का पता लगाने और उसकी मदद करने के लिए कुछ नहीं किया.

अक्टूबर 2019 में उत्तरी सिंध के घोटकी शहर की प्रथम वर्ष की मेडिकल छात्रा नमृता चंदानी को पाकिस्तान के सिंध प्रांत से अपहरण कर लिया गया और जबरन धर्म परिवर्तन कर शादी कर ली गई.

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विद्या माहेश्वरी एक और हिंदू लड़की मई 2019 से लापता है.

सितंबर 2019 में एक और हिंदू लड़की बीबीए की छात्रा थी, 29 अगस्त को कॉलेज के लिए निकली थी और घर नहीं लौटी. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि लड़की को जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया गया. उसका उसके एक सहपाठी बाबर अमान ने मिर्जा दिलावर बेग, जो पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का सदस्य है, के साथ मिलकर अपहरण कर लिया था. स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, उसकी जबरन शादी बाबर अमान से कर दी गई.

जुलाई 2023 में, सिंध प्रांत में हिंदू व्यापारी लीला राम की तीन बेटियों चांदनी, रोशनी और परमेश कुमारी का अपहरण कर लिया गया, उनका धर्म परिवर्तन किया गया और उनकी सहमति के बिना उनका विवाह कर दिया गया. तीनों बहनों की शादी भी उन्हीं अपराधियों से की गई, जिन्होंने उनका अपहरण किया था.

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ननकाना साहिब पर पथराव

जनवरी 2020 में, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक सिख लड़की के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन पर धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों द्वारा विरोध प्रदर्शन के बाद, उन्मादी मुस्लिम भीड़ ने गुरु नानक के जन्मस्थान गुरुद्वारा ननकाना साहिब पर पथराव कर दिया था.

ननकाना साहिब पर जिहादियों ने उस समय हमला किया, जब श्रद्धालु गुरुद्वारे के अंदर प्रार्थना कर रहे थे. जब भीड़ ने बाहर इकट्ठा होकर गुरुद्वारा पर हमला किया, तो कई सिख श्रद्धालु अंदर फंस गए और धार्मिक नारे लगाते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ अन्य सांप्रदायिक और घृणित नारेबाजी की. 

संयुक्त राष्ट्र भी परेशान

11 अप्रैल 2024 को संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों की युवा महिलाओं और लड़कियों के लिए सुरक्षा की निरंतर कमी पर निराशा व्यक्त की है. विशेषज्ञों का कहना है, ‘‘हिंदू लड़कियां का विशेष रूप से जबरन धर्म परिवर्तन, अपहरण, तस्करी, बाल विवाह, जल्दी और जबरन शादी, घरेलू दासता और यौन हिंसा के कारण निशाने पर हैं.

धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित युवा महिलाओं और लड़कियों को ऐसे जघन्य मानवाधिकार उल्लंघनों के संपर्क में रहना और ऐसे अपराधों की छूट देने को अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है या उचित नहीं ठहराया जा सकता है.’’

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा, ‘‘हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि ऐसी शादियां और धर्मांतरण इन लड़कियों और महिलाओं या उनके परिवारों पर हिंसा के खतरे के तहत होते हैं.’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की अदालत प्रणाली ने बिना आलोचनात्मक जांच के, अपराधियों के फर्जी सबूतों को स्वीकार करके इन अपराधों का समर्थन किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘अदालतों ने कई बार पीड़ितों को दुर्व्यवहार करने वालों के साथ रहने को सही ठहराने के लिए धार्मिक कानून की व्याख्याओं का दुरुपयोग किया है.’’

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हर महीने 20-25 हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण

द कॉमनवेल्थ इनिशिएटिव फॉर फ्रीडम ऑफ रिलिजन एंड बिलीफ की रिपोर्ट के अनुसार, स्वयंसेवी समूह रिस्पॉन्सिबल फॉर इक्वेलिटी एंड लिबर्टी (रियल) का भी अनुमान है कि हर महीने 20 से 25 हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है. पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के सदस्य अमरनाथ मोटूमल ने 2010 में द न्यूज को बताया, ‘‘हर महीने हिंदू समुदाय की 20 से 25 लड़कियों का अपहरण किया जाता है और उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है.’’

दलित लड़कियों पर नजर

पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने बताया कि अल्पसंख्यक धर्म की युवतियों, अक्सर ग्रामीण सिंध की निचली जाति की हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन जारी है, साथ ही जबरन विवाह, बाल विवाह और जबरन धर्म परिवर्तन के कई मामले भी सामने आ रहे हैं.

मानवाधिकार परिषद को रिपोर्ट करने वाले विशेषज्ञों ने कहा, ‘‘हम यह सुनकर बहुत परेशान हैं कि 13 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को उनके परिवारों से अपहरण कर लिया जा रहा है, उनके घरों से दूर स्थानों पर तस्करी की जा रही है, कभी-कभी उनकी उम्र से दोगुनी उम्र के पुरुषों से शादी की जाती हैऔर इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया जाता है, यह सब अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार कानून का उल्लंघन है.’’

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धर्मांतरण का पैटर्न

कॉमनवेल्थ इनिशिएटिव फॉर फ्रीडम ऑफ रिलिजन एंड बिलीफ की रिपोर्ट बताती है कि यह एक पैटर्न है, जिसमें ऐसे मामले सामने आते हैं. 12 से 15 वर्ष की आयु की लड़कियों का अपहरण कर लिया जाता है, उन्हें इस्लाम में परिवर्तित कर दिया जाता है और फिर अपहरणकर्ता या किसी अन्य मुस्लिम व्यक्ति से उनकी शादी करा दी जाती है.

जब लड़की का परिवार पुलिस में शिकायत दर्ज करता है, तो अपहरणकर्ता, पीड़िता की ओर से, उसके परिवार पर स्वेच्छा से शादी करने वाले जोड़े को परेशान करने का आरोप लगाते हुए एक जवाबी प्राथमिकी दर्ज करता है.

लड़की के परिवार वालों को धमकियां दी जाती हैं. धमकियों, डराने-धमकाने और ब्रेनवॉश करने के कारण लड़की ज्यादातर अपहरणकर्ता के पक्ष में गवाही दे देती हैं, क्योंकि उन्हें अपने माता-पिता और बाकी परिवार के सदस्यों के साथ अनिष्ट होने का खतरा महसूस होता है.

संगठित अपराध

पाकिस्तान में जबरन धर्मांतरण अब एक संगठित अपराध का रूप ले चुका है, जिसमें हर पक्ष को कट्टर मंसूबों के साथ भारी माली फायदा भी होता है. पैसे कमाने के लिए मौलवी जबरन निकाह करवाते हैं, पुलिस निकाह करने वाले से मोटा माल वसूलकर उसकी मदद करती है और अदालती मजिस्ट्रेट इन निकाहों को वैध बनाते हैं.

पीडीआई के अध्यक्ष शिवा काछी ने कहा कि संगठन के प्रयासों के बावजूद, किसी हिंदू लड़की को उसके परिवार में वापस लौटाया जाना दुर्लभ है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में पुलिस सहयोग करने को तैयार नहीं होती है. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे दर्जनों मामले सामने आए हैं और इनमें से अधिकतर लड़कियां कम उम्र की हैं, चाहे वह शीला मेघवार हों, जिनका इस साल 19 मार्च को घोटकी के मीरपुर मथेलो से अपहरण कर लिया गया था, या चंदा महाराज, सिमरन कुमारी, पूजा कुमारी, सातरन ओड, कविता भील, विजय कुमारी हों या अब सोहाना हो.’’

बाल संरक्षण कार्यकर्ताओं का कहना है कि जबरन धर्मांतरण पैसे कमाने के जाल में अनियंत्रित रूप से फलता-फूलता है, जिसमें विवाह कराने वाले इस्लामी मौलवी, यूनियनों को वैध बनाने वाले मजिस्ट्रेट और भ्रष्ट स्थानीय पुलिस शामिल होती है, जो जांच से इनकार करके या जांच में तोड़फोड़ करके दोषियों की सहायता करते हैं. 

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यह मुल्ला-मौलवियों का कारोबार बना

केवल अदालतें ही नहीं, यहां तक कि पाकिस्तान में मुल्ला-मौलवी भी हिंदू महिलाओं के इस तरह के जबरन धर्म परिवर्तन का अभियान चलाते हैं. ब्रिटेन ने एक ऐसे ही कुख्यात मौलवी मियां अब्दुल हक, जो मियां मिट्ठू के नाम से भी जाना जाता है, पर प्रतिबंध लगा दिया था.

वह पाकिस्तान में हजारों हिंदू महिलाओं के अपहरण, बलात्कार और धर्मांतरण का जिम्मेदार है. मियां मिट्ठू सिंध के घोटकी जिले में दरगाह भरचुंडी शरीफ के कर्ताधर्ता है. इस दरगाह में ही हिंदू महिलााओं के जबरन धर्मांतरण का कुकर्म किया जाता है.

गजब यह है कि मियां मिट्ठू पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का नेता भी है और वह राष्ट्रीय असेंबली का सदस्य भी रहा है. सिंध के अंदरूनी इलाकों में युवा हिंदू लड़कियों का अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन हिंदू परिवारों के लिए खतरा बन गया है. ग्रामीण सिंध में ऐसे मामलों में वृद्धि हुई है और निचली अदालतों में अपनी बेटियों, बहनों और पत्नियों की वापसी की मांग करने वाले प्रभावित माता-पिताओं के आवेदनों की बाढ़ सी आ हुई है.

दुनिया के स्वयंभू थानेदारों की लीपापोती

दुनिया में विकसित राष्ट्रों का दंभ वाली महाशक्तियों, मानवाधिकारों का ढोल पीटने वाले समूह और संयुक्त राष्ट्र के संगठन महज खानापूरी करके पाकिस्तान में हिंदू उत्पीड़न की अनदेखी करते आ रहे हैं. पाकिस्तान में हिंदू आबादी खत्म करने का अभियान चल रहा है, उसमें कई महाशक्यिां भी बराबरी से पाप की भागेदार है.

जो आज भी पाकिस्तान को कर्ज देने, हथियार देने आदि क्षेत्रों में मदद कर रही हैं. जबकि कई बार सिद्ध हुआ है कि पाकिस्तान एक ऐसा राक्षस है, जिससे पूरी दुनिया असुरक्षित है, जो आतंकवाद की फैक्ट्री चलाता है और पूरी दुनिया में आतंकवाद का निर्यात करता है. अमेरिका को दहलाने वाला ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ही छिपा हुआ था.

यूके और फ्रांस की आतंकवादी घटनाओं में पाकिस्तानी कट्टरपंथियों की सहभागिता सिद्ध हो चुकी है. भारत में सारा आतंकवाद पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित है ही. इसके बावजूद विकसित देश एशिया में अपने फायदों के लिए पाकिस्तान को पाल-पोस रहे हैं. यही कारण है कि वे पाकिस्तानी हिंदुओं का चीत्कार और कराहों की अनसुनी कर देते हैं. भारत के विदेश मंत्री एस. जयंशकर ने ऐसे ही मौकों के लिए कहा है कि यूरोप को केवल अपनी समस्याओं की चिंता, जबकि एशिया की समस्याएं उसकी समस्याएं नहीं हैं.

दोहरा मानदंड

मसलन, एक ओर, अमेरिकी विदेश विभाग ने धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के लिए पाकिस्तान को ‘विशेष चिंता का देश’ घोषित किया हुआ है. यह घोषणा अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग के मूल्यांकन पर आधारित थी कि अल्पसंख्यक हिंदू, ईसाई और सिख समुदायों में कम उम्र की लड़कियों को ‘इस्लाम में जबरन धर्मांतरण के लिए अपहरण कर लिया गया, जबरन शादी की गई और बलात्कार का शिकार बनाया गया.’ हालांकि धर्मांतरित होने वाली अधिकांश लड़कियां दक्षिणी सिंध प्रांत की गरीब हिंदू हैं, हाल के महीनों में देश भर में ईसाई और सिख लड़कियों से जुड़े कई मामले सामने आए हैं.

तो दूसरी ओर, अमेरिका पाकिस्तान को एफ-16 फाइटर के रखरखाव के लिए धन मुहैया करवाता है, तो कभी आईएमएफ में पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए वकालत करता दिखाई पड़ता है.

इमरान हों या शरीफ, सरकारों का मौन समर्थन

जिन्ना से लेकर शरीफों की सरकारों तक, जिस संगठित तरीके से हिंदू लड़कियों का अपहरण किया जा रहा है और उन्हें जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया जा रहा है, वह इस्लामिक कट्टरपंथियों की सोची-समझी साजिश की ओर इशारा करता है. लेकिन पाकिस्तान की सरकारें अल्पसंख्यकों या उनकी लड़कियों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही हैं.

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कुरान को ताक पर रखा

कुरान करीम भी कहती है, ‘ला इकराहा फिद्दीन’ यानी धर्म में कोई जबरदस्ती नहीं है.‘सूरह अल-काफिरून’ के मुताबिक, ‘तुम्हारा धर्म तुम्हारे लिए और मेरा धर्म मेरे लिए.’ पाकिस्तान का संविधान भी किसी भी प्रकार के धर्मांतरण को खारिज करता है.

फिर भी पाकिस्तान के लोगों,पुलिस, सरकार, अदालतों ने हिंदू उत्पीड़न के मामले में अपने संविधान को फुटबाल बनाकर लतिया रहे हैं. और कथित रियासते-मदीना का दम भरने वाले इस मुल्क में कुरान पाक की कहनूत और सिखावन को भी धता बताया जा रहा है. 

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हिंदू लड़कियों के आंसुओं की कोई कीमत नहीं

पाकिस्तानी पत्रकार और द राइज न्यूज के संस्थापक ने रंजीता कोल्ही घटना पर एक्स पर टिप्पणी की थी, ‘‘पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों के आंसुओं को कम महत्व दिया जाता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तानी कार्यकर्ता, लेखक और राजनेता मानवाधिकारों पर चर्चा तो करते हैं, लेकिन वे इस तरह के मामलों पर चुप रह जाते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि हिंदू लड़कियां उनके मानवाधिकारों के शब्दकोश में फिट नहीं बैठती हैं.’’

हिंदुओं की जायदाद पर भी नजर

मजहबी वजहों के अलावा, हिंदू लड़कियों के नियमित अपहरण का उद्देश्य सिंधी हिंदुओं को डराना है, ताकि वे घर, दुकान, जमीनें छोड़कर चले जाएं और दबंग लोग उस पर कब्जा कर लें. पाकिस्तान में अक्सर होने वाले ऐसे मामलों को देश की मुख्यधारा मीडिया द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है.