न्यूयॉर्क
इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता की घोषणा शुक्रवार, 10 अक्टूबर को होने वाली है। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इस पुरस्कार को पाने के लिए काफ़ी उत्सुक हैं और उन्होंने खुलकर कहा है कि उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए।
हालांकि, नॉर्वे में इस बात को लेकर चिंता व्याप्त है कि अगर ट्रम्प को यह पुरस्कार नहीं मिला तो वे किस तरह प्रतिक्रिया दे सकते हैं। यह चिंता इसलिए भी है क्योंकि नोबेल पुरस्कार विजेताओं के चयन और घोषणा की जिम्मेदारी नॉर्वे की नोबेल समिति के पास होती है, जो हालांकि नॉर्वे सरकार से स्वतंत्र है।
नॉर्वे की सोशलिस्ट लेफ्ट पार्टी के विदेश नीति प्रवक्ता ने कहा, "हमें किसी भी स्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार रहना होगा।" उन्होंने यह भी आशंका जताई कि ट्रम्प असामान्य या अप्रत्याशित कदम उठा सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा, "डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका को उग्र और कट्टरपंथी दिशा में ले जा रहे हैं। वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगातार हमला कर रहे हैं। उन्होंने सड़कों पर नकाबपोश सीक्रेट सर्विस के सदस्यों को उतारकर लोगों के अपहरण की खुली धमकी दी है। इसके साथ ही वे न्यायिक संस्थाओं और अन्य संस्थानों पर दमनात्मक रवैया अपना रहे हैं। जब अमेरिकी राष्ट्रपति इतने उग्र और तानाशाह होते हैं, तो हमें किसी भी परिस्थिति के लिए पूरी तरह तैयार रहना चाहिए।"
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नोबेल समिति पूरी तरह से स्वतंत्र संस्था है और विजेता चुनने में नॉर्वे सरकार का कोई दखल नहीं होता। "लेकिन मुझे नहीं पता कि ट्रम्प को यह बात पता है या नहीं। इसलिए हमें उनकी किसी भी प्रतिक्रिया से सतर्क रहना होगा," उन्होंने कहा।
वहीं, नोबेल समिति के निदेशक क्रिश्चियन बर्ग हार्पविकेन ने एएफपी को बताया कि विजेता का नाम पिछले सोमवार को ही तय कर लिया गया था, जो हमास-इज़राइल युद्ध के शुरू होने से पहले था। इसलिए इस युद्ध की समाप्ति को विजेता चुनने में ध्यान में नहीं रखा गया।
इस कारण कई विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रम्प के हमास-इज़राइल संघर्ष को समाप्त करने के लिए नोबेल पुरस्कार पाने की संभावना बेहद कम है।
ट्रम्प पिछले कुछ दिनों से लगातार कह रहे हैं कि उन्होंने दुनिया के सात युद्ध रोक दिए हैं और इसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए। पाकिस्तान, इज़राइल और अल्जीरिया जैसे कई देशों ने उन्हें इस पुरस्कार के लिए नामांकित किया है।
स्रोत: द गार्जियन