इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को संकेत दिया कि इज़राइल और हमास जल्द ही युद्धविराम के दूसरे चरण में प्रवेश कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह चरण तभी शुरू होगा जब हमास गाज़ा में मौजूद अंतिम बंधक, रण ग्विली के अवशेष इज़राइल को सौंप देगा। नेतन्याहू ने जर्मन चांसलर फ़्रेड्रिख मेर्ज़ के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया कि दूसरे चरण में दो प्रमुख मुद्दों—हमास को निरस्त्र करना और इज़राइली सेना का चरणबद्ध रूप से गाज़ा से हटना—को शामिल किया गया है, और यह प्रक्रिया महीने के अंत तक शुरू हो सकती है।
युद्धविराम का दूसरा चरण एक व्यापक राजनीतिक ढाँचे पर आधारित है। अमेरिका द्वारा तैयार की गई योजना के अनुसार, गाज़ा की सुरक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय बल तैनात किया जाएगा और एक अस्थायी फ़िलिस्तीनी प्रशासन बनाया जाएगा, जिसकी निगरानी अमेरिका के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय बोर्ड करेगा। इसी बीच, हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एपी से कहा कि संगठन “हथियारों को जमा करने, स्टोर करने या रख देने” जैसे विकल्पों पर चर्चा करने को तैयार है, जिसे वार्ता में बड़ी प्रगति माना जा रहा है।
नेतन्याहू ने स्वीकार किया कि यह चरण भी पहले चरण जितना ही चुनौतीपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि तीसरे चरण में गाज़ा को कट्टरता से मुक्त करना (डीरैडिकलाइजेशन) शामिल है, जो जर्मनी, जापान और खाड़ी देशों की तरह संभव है, लेकिन इसके लिए हमास का पूरी तरह से विघटन ज़रूरी है। ग्विली के अवशेषों की वापसी पहले चरण को पूरा करने की अंतिम शर्त है, जबकि इज़राइल 15 फ़िलिस्तीनियों के शव सौंपने की तैयारी में है। दूसरी ओर, हमास का कहना है कि कई शव मलबे में दबे हुए हैं, जिन्हें निकालना मुश्किल है।
इज़राइली सेना ने भी स्थिति को लेकर अपडेट दिया है। सेना प्रमुख एयाल ज़ामिर ने कहा कि गाज़ा में ‘येलो लाइन’ अब एक “नई सीमा रेखा” के रूप में स्थापित हो चुकी है और इज़राइल इसके कई हिस्सों पर ऑपरेशनल नियंत्रण बनाए रखेगा। यह क्षेत्र इज़राइली बस्ती क्षेत्रों के लिए अग्रिम सुरक्षात्मक ढाल की तरह काम करेगा।
जर्मन चांसलर मेर्ज़ ने इज़राइल के समर्थन की पुष्टि करते हुए कहा कि जर्मनी मानवीय सहायता भेजता रहेगा और दूसरे चरण को लागू करने के लिए अधिकारियों को तैनात करेगा। उन्होंने दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन किया, लेकिन स्पष्ट किया कि फ़िलिस्तीन की मान्यता केवल प्रक्रिया के अंत में होनी चाहिए। वहीं, नेतन्याहू ने स्वीकार किया कि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के वारंट के चलते वह विदेश यात्राओं में सावधानी बरत रहे हैं।
इसी बीच, गाज़ा में हिंसा जारी है। इज़राइल का कहना है कि उसने येलो लाइन पार करने की कोशिश कर रहे एक हमलावर को मार गिराया, जबकि गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि युद्धविराम लागू होने के बावजूद अब तक 370 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। लंबी जंग में इज़राइली कार्रवाई के चलते मरने वालों का आँकड़ा 70,360 तक पहुँच गया है, जिसमें लगभग आधे महिलाएँ और बच्चे हैं।
सीरिया के संदर्भ में भी हालात चिंताजनक हैं। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, बशर अल-असद शासन के गिरने के बाद 30 लाख से अधिक सीरियाई अपने घर लौट चुके हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय फंडिंग में भारी कमी वापसी की रफ्तार को धीमा कर सकती है। अस्पताल आधे से भी कम क्षमता पर चल रहे हैं, बिजली और दवाइयों की कमी है, और बमों के अवशेष हटाने का काम बहुत धीमी गति से हो रहा है। यूएनएचसीआर प्रमुख फिलिपो ग्रांडी ने चेतावनी दी कि यदि वैश्विक समुदाय ने कदम नहीं उठाए तो लौटने वाले लोगों का फिर से पलायन शुरू हो सकता है।
गाज़ा, इज़राइल और सीरिया की ये स्थितियाँ पश्चिम एशिया में शांति और पुनर्निर्माण की चुनौतियों को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं, जिनमें राजनीतिक समाधान, मानवीय सहायता और वैश्विक सहयोग तीनों ही आवश्यक हैं।






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