जानिए 50 वर्षों में बांग्लादेश पाकिस्तान से कैसे आगे निकल गया ?

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 16-12-2021
जानिए 50 वर्षों में बांग्लादेश पाकिस्तान से कैसे आगे निकल गया ?
जानिए 50 वर्षों में बांग्लादेश पाकिस्तान से कैसे आगे निकल गया ?

 

वसीम अब्बासी/  इस्लामाबाद

ढाका के पतन की 50वीं वर्षगांठ पर पाकिस्तान और बांग्लादेश के विकास और प्रदर्शन पर एक नज़र डालना जरूरी है. इससे पता चलता है कि बांग्लादेश, जिसे कभी पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था, अब आर्थिक क्षेत्र में पाकिस्तान से बहुत आगे है.

विश्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों की तुलना में पिछले साल बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय 1968डॉलर है जबकि पाकिस्तान की 1194 डॉलर.पिछले साल बांग्लादेश का सकल राष्ट्रीय उत्पाद 324 अरब डॉलर था. पाकिस्तान का सकल घरेलू उत्पाद करीब  264 अरब डॉलर दर्ज किया गया है. इसी तरह, पाकिस्तान का वार्षिक निर्यात पिछले वर्ष लगभग 25बिलियन था, जबकि बांग्लादेश का निर्यात पिछले वित्तीय वर्ष में 45बिलियन से अधिक था.

विश्व बैंक के अनुसार, पाकिस्तान में लोगों की औसत आयु 67वर्ष है, जबकि बांग्लादेश में यह 72 वर्ष .इस संबंध में जाने-माने नौकरशाह रूदाद खान, पूर्व रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) नईम खालिद लोधी और विश्लेषक और लेखक डॉ मेहदी हसन से बात की गई तो उन्होंने इसके कई कारण गिनाए.

वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के रूप में, ढाका के पतन को करीब से देखने वाले रूदाद खान कहते हैं कि बांग्लादेश इस समय विकास में आसमान पर है. उनका निर्यात, उनकी सरकार की व्यवस्था और आर्थिक स्थिरता उल्लेखनीय है.

इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में केवल बंगाली भाषी हैं. यह एक संयुक्त राष्ट्र की बेहतर परिकल्पना है. दूसरी ओर, पाकिस्तान विभिन्न भाषाई राष्ट्रीयताओं में विभाजित है. कोई पंजाबी बोलता हे. कोई सिंधी. कोई पठानी और खुद को कोई बलूची समझता है. राष्ट्रों के विकास में राष्ट्रीय पिछड़ गई.

रूदाद खान के अनुसार, बांग्लादेश के विकास का एक और महत्वपूर्ण कारण रक्षा मुद्दों की अनुपस्थिति और प्रधानमंत्री के पास पूर्ण अधिकार हैं. नागरिक सर्वाेच्चता लोगों को वहां वंचित महसूस नहीं कराती. उनके मुताबिक, शेख मुजीबुर रहमान को पश्चिमी पाकिस्तान में कोई दिलचस्पी नहीं थी.

bangladesh

पाकिस्तान क्यों टूटा ?

कई पुस्तकों के लेखक रूदाद खान कहते हैं कि उन्होंने एक उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी के रूप में बांग्लादेश का उदय देखा है. इसके प्रमुख आंकड़ों के साथ सीधी बैठकें कीं. उन्होंने कहा कि मार्च 1971में जब ढाका में सैन्य अभियान शुरू हुआ, उस समय वह पूर्वी पाकिस्तान में थे. लोग बहुत परेशान थे. पाकिस्तान के प्रति नफरत बढ़ गई थी.

उनके अनुसार, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीब, पश्चिमी पाकिस्तान से पीपीपी के सफल नेता जुल्फिकार अली भुट्टो और राष्ट्रपति जनरल याह्या खान सभी पाकिस्तान के टूटने के लिए जिम्मेदार हैं. तीनों अपने-अपने कारणों से संयुक्त पाकिस्तान के खिलाफ थे.

भुट्टो शेख, मुजीब को सत्ता देकर विपक्ष का नेता नहीं बनना चाहते थे. शेख मुजीब की पश्चिमी पाकिस्तान में कोई दिलचस्पी नहीं थी. जनरल याह्या को डर था कि यदि संयुक्त पाकिस्तान की शक्ति शेख मुजीब को दे दी गई तो सेना मुख्यालय ढाका स्थानांतरित हो जाएगा. पश्चिमी पाकिस्तान में संस्था का नियंत्रण समाप्त हो जाएगा.

1970 के चुनावों से पहले, रूदाद खान पाकिस्तान के सूचना मंत्रालय में सचिव थे. रेडियो पाकिस्तान और पीटीवी उनकी देखरेख में थे.

उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले राष्ट्रपति जनरल याह्या खान ने उन्हें सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को सरकारी रेडियो और टीवी पर लोगों को लाइव संबोधित करने का मौका देने के लिए कहा था.नेताओं से मिल कर उन्हें बताने को कहा गया था कि हम आपको सरकारी संचार माध्यम पर आधा घंटा दे रहे हैं. टीवी और रेडियो पर आप वह संदेश दे सकते हैं जो आपको मतदाताओं को पहुंचाना है.

उनके मुताबिक, ‘‘जब मैं वहां पहुंचा तो शेख मुजीब ने अपनी भाषण में स्क्रिप्ट तैयार की हुई थी. उन्होंने संबोधन के दौरान कई बार पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश कह कर जिक्र किया. जब उनसे कहा गया कि सरकारी मीडिया पर इसे पूर्वी पाकिस्तान कहें, तो उन्होंने कहा कि मैं इसे बांग्लादेश ही कहूंगा. मैंने रावलपिंडी में शीर्ष नेतृत्व से संपर्क किया. उन्हें सूचित किया कि उन्होंने रेडियो और टीवी पर बांग्लादेश का जिक्र किया.

रूदाद खान के अनुसार, यदि पाकिस्तान को बचाना था, तो 1970के आम चुनाव से पहले सैन्य अभियान चलाया जाना चाहिए था. उन्होंने देखा कि अभूतपूर्व चुनावी जीत के बाद, शेख मुजीब की दृष्टि बदल गई. वह खुले तौर पर बांग्लादेश की बात करने लगे. ऐसा लग रहा था कि चीजें बहुत आगे निकल चुकी हैं और एक सैन्य अभियान भी पाकिस्तान को नहीं बचा सकता.

उनके विचार में, अगर चुनाव से पहले सैन्य कार्रवाई होती, तो शेख मुजीब को संयुक्त पाकिस्तान के साथ चलने के लिए राजी किया जा सकता था.

रूदाद खान के अनुसार, जब 16दिसंबर, 1971को बांग्लादेश का गठन हुआ और भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने युद्धविराम की घोषणा की, तो उन्होंने जनरल याह्या से मुलाकात की. उन्हें बताया कि पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान में एक बहुत ही कठिन सैन्य स्थिति में है. आप भारत को पश्चिमी पाकिस्तान से सबक सिखाते हैं और आप युद्धविराम के लिए क्यों तैयार हैं?राष्ट्रपति याह्या द्वारा दिए गए जवाब ने उन्हें चौंका दिया.

राष्ट्रपति याह्या ने मुझसे कहा, ‘‘हमें इन काले बंगालियों के लिए पश्चिमी पाकिस्तान को क्यों खतरे में डालना चाहिए ?‘‘

युद्ध के बारे में भ्रांतियां

पूर्व सचिव रक्षा लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) नईम खालिद लोधी का कहना है कि ढाका के पतन के लिए हमारी गलतियां भी जिम्मेदार हैं. उनके अनुसार, भारत ने बंगालियों को प्रशिक्षण देकर, गुरिल्ला बल का गठन किया और पाकिस्तान के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया.

उन्होंने कहा कि यह गलतफहमी थी कि 1971का युद्ध केवल 13दिनों का था लेकिन भारत ने अप्रैल से ऑपरेशन शुरू कर दिया था. फिर अगस्त में नियमित हमले शुरू हो गए जैसे कि यह कई महीनों का युद्ध हो.

एक और गलत धारणा यह है कि 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया. रेप के मामलों को भी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया था.

जनरल नईम खालिद के मुताबिक, ढाका का पतन हमारे सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व दोनों पर एक बदनुमा दाग है. अगर किसी देश के दो बराबर हिस्से हैं और दुश्मन के बीच एक हजार मील की दूरी है, तो ये दो हिस्से हैं. परिसंघ एक महासंघ बन सकता है, महासंघ नहीं.

जनरल नईम खालिद लोधी के मुताबिक, अगर बांग्लादेश ने और प्रगति की है तो हमें यह भी देखना चाहिए कि हमारी और उनकी स्थिति में काफी अंतर है.