अमेरिका-ईरान परमाणु समझौता चिंता का विषयः इजरायल

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  AVT | Date 07-06-2021
अमेरिका-ईरान परमाणु समझौता चिंता का विषयः इजरायल
अमेरिका-ईरान परमाणु समझौता चिंता का विषयः इजरायल

 

येरुशलम. इजरायल ने सोमवार को कहा कि अगर अमेरिका ईरान पर से प्रतिबंध हटाता है तो उसे उन अरबों डॉलर रकम की चिंता है, जो आतंकवादी संगठन हमास को जा सकती है.

भारतीय मीडिया के साथ एक विशेष आभासी सम्मेलन में, इजरायल विदेश मंत्रालय के रणनीतिक मामलों से जुड़े आतंकवाद विरोधी विभाग के प्रमुख नेवो बरचड ने कहा कि हालांकि इजरायल अपने पुराने दोस्त और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के फैसले पर भरोसा करता है. मगर उसे उस धनराशि के बारे में चिंता है, जो अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध हटाने के बाद हमास को जाएगी, जो गाजा में सक्रिय इस्लामी आतंकवादी समूह का प्रमुख प्रायोजक है.

बाइडेन प्रशासन की ओर से ईरान के साथ 2015 के परमाणु समझौते को बहाल करने की संभावना है - संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) - जिस पर पी5 प्लस 1 (चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, अमेरिका प्लस जर्मनी) के साथ यूरोपियन संघटन को लेकर समझौता बातचीत की गई थी.

हाल ही में अमेरिका और ईरान के बीच समझौते की बहाली पर अप्रत्यक्ष वार्ता वियना में फिर से शुरू हुई है.

ताजा घटनाक्रम पर आईएएनएस के एक सवाल के जवाब में बरचड ने कहा कि इस्राइल ने जेसीपीओए का विरोध किया है.

इजरायल के शीर्ष अधिकारी ने कहा, हमें लगता है कि यह एक बुरा सौदा है. अगर पी5 प्लस 1 अप्रत्यक्ष बातचीत कर रहा है और अगर अमेरिकी सौदे पर वापस जा रहे हैं, तो हम आशा करते हैं कि एक मजबूत प्रवर्तन के साथ इसमें विभिन्न परिवर्तन शामिल हैं. हम यह भी आशा करते हैं कि अमेरिका सभी प्रतिबंध नहीं हटाएगा.

इस बात पर जोर देते हुए कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इजरायल के सच्चे दोस्त हैं, बरचड ने कहा कि उनकी सरकार ईरान पर उनके फैसले पर भरोसा करती है, जिसमें उन्होंने कहा कि यह हमास की 50 प्रतिशत आतंकवादी गतिविधियों को लेकर इजरायल के लोगों के खिलाफ धन देता है.

बरचड ने कहा कि शेष 50 प्रतिशत मुस्लिम देशों और यूरोप में इस्लामिक चौरिटी से जुटाए गए धन सहित विभिन्न अन्य स्रोतों से आता है.

साथ ही उन्होंने कहा कि यह सोचना कोई दूर की बात नहीं है कि प्रतिबंध हटने के बाद अरबों डॉलर हमास, हिज्बुल्लाह, हाउटिस और सीरिया में ईरान समर्थक मिलिशिया (सहायक सेना) को जाएंगे.

बरचड ने हालांकि चेतावनी दी कि हमास को इजरायल की रक्षा क्षमताओं को कम नहीं आंकना चाहिए.

इजरायल के खिलाफ हमास द्वारा चीनी हथियारों के इस्तेमाल पर एक अन्य सवाल के जवाब में बरचड ने कहा कि इजरायल और चीन के बीच अच्छे संबंध और समझ हैं.

उन्होंने कहा, हमास द्वारा चीनी हथियारों या प्रौद्योगिकी का कोई भी इस्तेमाल चीन की जानकारी के बिना हुआ है.

बरचड ने कहा कि चीनी सैन्य तकनीक एक दोहरे उद्देश्य की पूर्ति करती है, जिसमें निगरानी के साथ-साथ सैन्य निर्माण भी शामिल है. इजरायल के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि यदि उनके उपकरणों का उपयोग सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है न कि नागरिक उद्देश्यों के लिए, तो यह जानबूझकर नहीं हो रहा है.

बरचड ने यह भी कहा कि 11 दिन के युद्ध के बाद फिलिस्तीन के साथ समझौता स्थायी समाधान नहीं है.

उन्होंने कहा, हमास खुले तौर पर इजरायल का विनाश चाहता है और यहां तक कि संघर्ष विराम इस समय सबसे अच्छा परिणाम है, मगर यह लंबे समय तक चलने वाला समाधान नहीं हो सकता है.

आतंकवाद निरोधी प्रमुख ने कहा कि आदर्श समाधान यह होगा कि हमास शासन अपनी मांगों से नीचे आए और उसके बाद पीएलए और इस्राइल वार्ता के लिए आगे बढ़ें.