बर्लिन
भारत और जर्मनी के रणनीतिक संबंधों की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने बर्लिन में डीजीडीएपी (DGAP) के सेंटर फॉर जियोपॉलिटिक्स, जियोइकोनॉमिक्स एंड टेक्नोलॉजी में अपने संबोधन के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के सुझाव दिए।
अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए डॉ. जयशंकर ने कहा, “यह सरकार के कार्यकाल की शुरुआत में ही जर्मनी में होना इसलिए भी महत्वपूर्ण है ताकि हम समय गंवाए बिना अगले 25 वर्षों के लिए साझेदारी की नई दिशा तय कर सकें और इसकी पूरी संभावनाओं का दोहन कर सकें।”
उन्होंने वर्तमान वैश्विक परिदृश्य की चुनौतियों जैसे चिप युद्ध, जलवायु परिवर्तन, गरीबी, और कोविड महामारी से हुए नुकसान का उल्लेख करते हुए कहा कि इन सभी मुद्दों के समाधान के लिए भारत-जर्मनी और भारत-यूरोपीय संघ की साझेदारी पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक और आवश्यक हो गई है।
जयशंकर ने सहयोग के जिन चार प्रमुख क्षेत्रों को रेखांकित किया, वे हैं:
रक्षा और सुरक्षा सहयोग:
उन्होंने कहा कि अतीत में भारत और जर्मनी के बीच रक्षा संबंध सक्रिय रहे हैं, लेकिन बाद में इसमें कुछ झिझक आ गई। अब दोनों देशों में यह समझ विकसित हो रही है कि आपसी रक्षा सहयोग से दोनों की सुरक्षा सुदृढ़ हो सकती है। इस दिशा में इंडो-पैसिफिक में जर्मन नौसैनिक जहाज़ों की तैनाती, भारतीय बंदरगाहों की यात्राएं और रक्षा तकनीक व उपकरणों के क्षेत्र में सहयोग की चर्चाएं हो रही हैं।
प्रतिभा और मानव संसाधन की आवाजाही:
भारत की जनसांख्यिकीय स्थिति को वैश्विक कार्यबल के निर्माण के लिए अनुकूल बताते हुए उन्होंने कहा कि जर्मनी और भारत को मिलकर प्रतिभा के आदान-प्रदान के अवसरों को बढ़ाना चाहिए।
तकनीक और डिजिटल एआई:
जयशंकर ने तकनीकी नवाचार, विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में सहयोग को भविष्य की दिशा बताया।
हरित विकास और सतत ऊर्जा:
उन्होंने हरित ऊर्जा, सतत विकास और जलवायु लक्ष्यों की दिशा में मिलकर काम करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
व्यापार और एफटीए (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) की बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत-यूरोपीय संघ के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को आगे बढ़ाने में सहायक होगा।
अपने वक्तव्य के कुछ अंश उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर भी साझा किए। उन्होंने लिखा:
“@dgapev में इस शाम का संवाद सार्थक रहा। भारत और जर्मनी को वैश्विक स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि के लिए और करीब आने की आवश्यकता है। द्विपक्षीय संबंधों में नए अवसरों पर चर्चा हुई। बहुध्रुवीय विश्व में एक सशक्त साझेदारी के लिए तैयारी जारी है।”