1971 नरसंहारः बांग्लादेशी प्रवासियों ने जिनेवा में पाकिस्तान के खिलाफ किया प्रदर्शन

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
पाकिस्तान के खिलाफ किया प्रदर्शन
पाकिस्तान के खिलाफ किया प्रदर्शन

 

जिनेवा. ‘1971 बांग्लादेश नरसंहार’ के लिए इस्लामाबाद से माफी की मांग करते हुए, यूरोप में रहने वाले बांग्लादेशी प्रवासी के सदस्यों ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र के 48वें सत्र के मौके पर पाकिस्तान विरोधी विरोध प्रदर्शन किया.

प्रदर्शनकारियों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 1971 में पाकिस्तानी सेना ने बड़े पैमाने पर अत्याचार किए और आत्मनिर्णय की मांग करने वाले लगभग 30लाख लोगों को व्यवस्थित रूप से मार डाला.

प्रदर्शनकारियों ने संयुक्त राष्ट्र से विश्व स्तर पर अत्याचारों को नरसंहार के रूप में मान्यता देने और अपराधियों के खिलाफ परीक्षण शुरू करने का आग्रह किया.

स्विट्जरलैंड में रहने वाले एक बांग्लादेशी मानवाधिकार कार्यकर्ता खलीलुर रहमान ने कहा, “पाकिस्तान ने बांग्लादेश से माफी नहीं मांगी और अभी भी पाकिस्तान में बलूचिस्तान और सिंध में नरसंहार किया जा रहा है. कश्मीर में भी पाकिस्तान द्वारा नरसंहार चल रहा है. हम मांग कर रहे हैं कि पाकिस्तान को बांग्लादेश से माफी मांगनी चाहिए और संयुक्त राष्ट्र को बांग्लादेश 1971 के नरसंहार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देनी चाहिए.”

बांग्लादेशी मानवाधिकार कार्यकर्ता और बेल्जियम स्थित ग्लोबल रेजिडेंट सॉलिडेरिटी फॉर पीस के अध्यक्ष मुर्शाद ने कहा, “हम 1971 के नरसंहार दिवस की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने के लिए यहां एकत्र हुए हैं. इसलिए, हमें लगता है कि ऐसा करने में देर नहीं हुई है. हम दुनिया की मांग करते हैं. लोगों और संबंधित अधिकारियों को नरसंहार दिवस को मान्यता देने के लिए, जो 25मार्च 1971को पाकिस्तानी सेना द्वारा किया गया था.”

बांग्लादेशी प्रदर्शनकारियों में यूरोप के मानवाधिकार कार्यकर्ता और राजनेता शामिल थे.

विरोध में शामिल होने वाले डच संसद के एक पूर्व सदस्य हैरी वैन बोमेल ने कहा, “जाहिर है कि पाकिस्तान ने बहुत गंदी और बहुत ही घटिया भूमिका निभाई है. इसलिए, मुझे लगता है कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय निकायों द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं होनी चाहिए. न केवल यह सुनिश्चित करने के लिए कि भविष्य में नरसंहार के मामलों को रोका जाए, बल्कि इस नरसंहार के पीड़ितों को सम्मानित करने के लिए जहां सैकड़ों हजारों लोग मारे गए.”

पाकिस्तान ने 1948-1971तक अपने पूर्वी विंग, अब बांग्लादेश पर, आत्मनिर्णय के लिए बंगाली आह्वान को दबाने के लिए एक सैन्य कार्रवाई की थी.

बांग्लादेश ने अंततः पश्चिमी पाकिस्तान के खिलाफ नौ महीने के युद्ध के बाद दिसंबर 1971में भारत की मदद से स्वतंत्रता हासिल की.