माइक्रोनेशिया के विदेश सचिव के निधन पर ईएएम जयशंकर ने शोक व्यक्त किया

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 16-11-2025
EAM Jaishankar condoles the passing away of Micronesia's Foreign Secretary
EAM Jaishankar condoles the passing away of Micronesia's Foreign Secretary

 

नई दिल्ली

 भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को माइक्रोनेशिया के विदेश सचिव लॉरिन एस. रॉबर्ट के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।

उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा,“फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ माइक्रोनेशिया के विदेश सचिव लॉरिन एस. रॉबर्ट के निधन से अत्यंत दुखी हूँ। उनके परिवार और माइक्रोनेशिया के लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएँ।”

इससे पहले 3 नवंबर को जयशंकर ने माइक्रोनेशिया के स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएँ भी दी थीं।उन्होंने कहा था, “स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ सचिव लॉरिन एस. रॉबर्ट, फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ माइक्रोनेशिया की सरकार और वहाँ की जनता को।”

भारत–माइक्रोनेशिया संबंध

भारत और माइक्रोनेशिया के बीच 1996 में औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे और तब से दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बने हुए हैं। माइक्रोनेशिया अपनी 39वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ मना रहा है और भारत दक्षिण–दक्षिण सहयोग की भावना के तहत कई विकास परियोजनाओं में उसकी सहायता कर रहा है।

भारत–UNDP सहयोग परियोजनाएँ:

  • क्लाइमेट अर्ली वॉर्निंग सिस्टम परियोजना: 7 प्रशांत द्वीप देशों (PICs) के लिए एक मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत वाली परियोजना, जिसमें FSM भी शामिल है। इसका उद्देश्य इन देशों की जलवायु आपदाओं से निपटने और पुनर्वास की क्षमता बढ़ाना है।

  • महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़े परियोजना: “स्ट्रेंथनिंग माइक्रोनेशिया’ज़ नेशनल जेंडर मशीनरी” परियोजना के तहत भारत एक मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता दे रहा है।

  • सोलराइजेशन परियोजना: भारत प्रशांत द्वीप देशों के राष्ट्राध्यक्षों के निवास/कार्यालय को सौर ऊर्जा से जोड़ने की परियोजना के तहत FSM की भी सहायता कर रहा है।

यह सहयोग फोरम फॉर इंडिया–पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन (FIPIC) के गठन के बाद से और सशक्त हुआ है।सितंबर में जयशंकर ने न्यूयॉर्क में आयोजित FIPIC विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी की थी, जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा FIPIC-III शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत 12-सूत्रीय कार्य योजना की प्रगति की समीक्षा की गई।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के दौरान हुई इस बैठक में स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के क्षेत्र में भारत की अग्रणी विकास–साझेदार भूमिका पर जोर दिया गया।