उत्तरकाशी टनल हादसाः 41 मजदूरों को निकालने में महमूद अहमद, सैयद अत्ता हसनैन, मुन्ना कुरैशी और वकील खान की खास भूमिका

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 29-11-2023
Uttarkashi Tunnel Accident Mahmood Ahmed Syed Atta Hasnain Munna Qureshi Vakil Khan special role evacuating 41 laborers.
Uttarkashi Tunnel Accident Mahmood Ahmed Syed Atta Hasnain Munna Qureshi Vakil Khan special role evacuating 41 laborers.

 

आवाज द वाॅयस/ देहरादून

उत्तराखंड के टनल में 17 दिनों तक फंसे 41 मजदूर भारी मशक्कत के बाद सही सलामत निकल आए. उन्हें बाहर निकालने मंे मुन्ना कुरैशी, वकील खान, महमूद अहमद और सैयद अत्ता हसनैन ने महत्वपूर्ण रोल निभाया. इस ऑपरेशन में सैकड़ों लोग शामिल थे, जो दिन-रात मेहनत कर रहे थे. यहां तक कि उन्हांेने सर्द मौसम और बारिश की भी परवाह नहीं की. इनमें अहम किरदार निभाया चार मुसलमानों ने. इनमें दो वरिष्ठ अधिकारी सहित चार अधिकारी हैं.

वकील खान और मुन्ना कुरेशी, दो खनिक जो सबसे महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण आखिरी मिनट की मैन्युअल खुदाई के लिए पाइप के अंदर गए. उन्होंने चूहा खनन की कला और मानवीय साहस और कलात्मकता का प्रदर्शन किया जहां मशीन विफल हो गई थी.
 
इन दोनों खननकर्ताओं का नाम अब हर किसी की जुबान पर है.लंबी खुदाई के बाद पाइप के सिरे को खोलने का काम वकील खान और मुन्ना कुरैशी ने किया. उन्होंने पाइप के अंदर कम ऑक्सीजन के बीच आखिरी चरण की खुदाई को अंजाम दिया.
 
इन दोनों के अलावा दो वरिष्ठ मुस्लिम अधिकारियों ने भी रात दिन एक कर दिया. इनमें से एक हैं नेशनल हाई विजिबिलिटी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद और दूसरे हैं सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य जनरल सैयद अत्ता हसनैन.
 
बचाओ अभियान में सबसे आगे रहने वाले शख्स हैं महमूद अहमद. मजदूरों को बचाने के लिए दिन-रात काम कर रही टीम की निगरानी महमूद अहमद खुद कर रहे थे. महमूद अहमद राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं.
 
राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड के नामित निदेशक का कार्यभार संभालना. महमूद अहमद, संयुक्त सचिव, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, जो नेशनल आईवे के प्रबंध निदेशक पद का अतिरिक्त प्रभार भी संभाल रहे हैं. महमूद अहमद 1993 बैच के भारतीय लेखा और वित्त सेवा अधिकारी हैं. वह परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में संयुक्त सचिव भी हैं.
 
उनके पास एमडी पद का अतिरिक्त प्रभार है. इस संकट के दौरान महमूद अहमद ने पूरे ऑपरेशन की कमान संभाली. वे लगातार निगरानी कर रहे थे और मौके पर मौजूद थे. उन्हीं की देखरेख में बचाव की योजना और कार्यान्वयन किया जा रहा था.
 
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सरकार की एक स्वायत्त एजेंसी है. जिसकी स्थापना 1988 में हुई थी. यह भारत में 1,15,000 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में से 50,000 किमी से अधिक के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है. यह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की एक नोडल एजेंसी है.
 
अगर हम जनरल सैयद अत्ता हसनैन की बात करें तो उन्होंने अपने 40 साल लंबे करियर में अशांत माहौल में महत्वपूर्ण और संवेदनशील स्थानों पर सेवा की है. श्रीलंका से सियाचिन ग्लेशियर, उत्तर पूर्व से जम्मू-कश्मीर (जेएंडके) और मोजाम्बिक से रवांडा तक संयुक्त राष्ट्र के अभियानों में भाग लिया.
 
वह जम्मू-कश्मीर के विशेषज्ञ रहे हैं, जहां उन्हें सात बार तैनात किया गया. उन्होंने श्रीनगर स्थित भारतीय सेना की 15वीं कोर की कमान संभाली थी. आज, जम्मू और कश्मीर पाकिस्तान, मध्य पूर्व और अंतरराष्ट्रीय चरमपंथी हिंसा पर अग्रणी लेखकों और विश्लेषकों में से एक है.
 
वह प्रमुख भारतीय समाचार पत्रों दृ टाइम्स ऑफ इंडिया, द इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू, डेक्कन क्रॉनिकल और द एशियन एज के लिए लिखते हैं. वह नियमित रूप से मुख्यधारा टेलीविजन पर टेलीविजन बहस में भी भाग लेते हैं.
 
शेरवुड कॉलेज नैनीताल, सेंट स्टीफंस कॉलेज दिल्ली, रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज, किंग्स कॉलेज लंदन और एशिया पैसिफिक सेंटर फॉर सिक्योरिटी स्टडीज, हवाई से शिक्षा प्राप्त की. याद रहे कि 13 जुलाई 2018 को भारत के राष्ट्रपति ने लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन को सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर का चांसलर नियुक्त किया था.
 
जनरल हसनैन को भारत के राष्ट्रपति द्वारा छह पुरस्कार और सेना प्रमुख द्वारा दो पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. वह 40 साल की सक्रिय सेवा के बाद जुलाई 2013 में भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुईं. अता हसनैन की देख-रेख मंे टनल से मजदूरों को निकालने का अभियान चला. मीडिया को समय-समय पर ब्रिफिंग दे रहे थे.