राकेश चौरासिया / नई दिल्ली
तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप में अब तक 27 हजार लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों के घायल होने की आशंका है. तुर्की अब तक पाकिस्तान के प्रभाव में कश्मीर मुद्दे पर अलग स्टैंड प्रदर्शित करता आया है. फिर भी भारत ने तुर्की के लिए भारी मात्रा में खाद्य व चिकित्सा सामग्री और डॉक्टर, सैनिक व एनडीआरएफ टीमें भेजकर इस मानवीय आपदा में जिस तरह सहयोग किया है, उसकी पूरी दुनिया में सराहना हो रही है और तुर्की में भारतीय सैनिकों और कर्मचारियों को वहां के निवासी जमकर प्यार-दुलार दे रहे हैं.
भारतीय दल जिस तरह तुर्की में घायलों की सेवा कर रहे हैं और मलबे में दबे हुए लोगों को बाहर निकाल रहे हैं, वह तुर्की के लोगों के मानस पर अंकित होता जा रहा है. इस बड़ी आपदा में तुर्की के लाचार और बेबश नागरिकों के पास इस समय किसी के पास देने के लिए कुछ सरमाया बचा है, तो वह बस प्यार और दुआएं, जो भारतीय दल को भरपूर मात्रा में मिल रही हैं.
पीडीएफ (धर्मनिरपेक्ष) के महासचिव जावेद बेग ने तुर्की में भारतीय जवानों की एक हृदयस्पर्शी तस्वीर साझा करते हुए कहा, ‘‘प्रिय कश्मीर, क्या आप देख रहे हैं? तुर्की में भारतीय बचाव दल द्वारा भूकंप के मलबे से बचाई गई एक युवा तुर्की लड़की के साथ हैं एक भारतीय सेना अधिकारी बीना तिवारी. भारत ने अब तक तुर्की में 201 बचाव दल भेजे हैं. भारत असली एर्तुगरुल गाजी है.’’
Dear Kashmir, do you see this ?
— Javed Beigh (@JavedBeigh) February 11, 2023
BEENA TIWARI, an Indian army officer with a young Turkish girl rescued by Indian rescue team in Turkey from earthquake rubble.
India has sent 201 rescue teams to Turkey, so far. INDIA is the real Ertugrul Ghazi that Kashmir never recognized. pic.twitter.com/EKfMtoGsaN
वरिष्ठ पत्रकार आदित्य राज कौल ने एक ट्वीट किया है, ‘‘तुर्की में भूकंप आपदा की एक स्थानीय पीड़ित ऑपरेशन दोस्त के दौरान भारतीय सेना के एक अधिकारी को चूमती है. दोस्त ऑपरेशन भारत ने तुर्की में फंसे लोगों की मदद के लिए शुरू किया था. भारत मानवतावादी मिशन की घोषणा करने वाले पहले देशों में से एक था.’’
A local victim of earthquake disaster in #Turkey kisses an Indian Army officer during #OperationDost that India launched to help the stranded people in Turkey. India was one of the first to announce a humanitarian mission. pic.twitter.com/NKYIH5IlMx
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) February 9, 2023
मानवाधिकार कार्यकर्ता जाहिरा बलोच लिखती हैं, ‘‘तुर्की और सीरिया में भूकंप में मदद के लिए शुरू किए गए भारत के ऑपरेशन दोस्ती की प्रशंसा करने के लिए कुछ पाकिस्तानी मुझे भारतीय एजेंट कह रहे हैं. लेकिन मैं फिर भी उसकी प्रशंसा करती हूं, जो मानवता के पक्ष में हैं. मैं जीवन बचाने के भारत के प्रयासों के लिए उसकी प्रशंसा करती हूं. प्रार्थना.
Some Pakistanis are calling me an Indian Agent for praising India's #OperationDost launched to help #Earthquake hit #Turkey and #Syria
— Zahira Baloch (@ZahiraBaloch) February 9, 2023
But I still praise what is in favor of the Humanity.
I Praise INDIA for their efforts to save Lives
Prayers🤲#TurkeySyriaEarthquake #TurkeyQuake pic.twitter.com/ZTHfrGNBPs
राजनयिक एवं रक्षा पत्रकार सिद्धांत सिब्बल ने बताया, ‘‘भारत ने शनिवार को भूकंप प्रभावित सीरिया और तुर्की को 35 टन मानवीय सहायता भेजी.’’
India sent 35 tons of humanitarian assistance to an earthquake hit Syria and Turkey on Saturday pic.twitter.com/jIAe23EdDt
— Sidhant Sibal (@sidhant) February 11, 2023
रक्षा विशेषज्ञ सैयद मोहम्मद मुर्तजा लिखते हैं, ‘‘पाकिस्तान के साथ तुर्की की निकटता और कश्मीर पर उसकी नीति के बावजूद, भारत ने तुर्की की कंपनी टीएआईएस को एफएसवी अनुबंध देने पर दो बार भी नहीं सोचा. भारत और तुर्की के बीच चीजें बदल रही हैं. वह हमारे शीर्ष 15 व्यापार भागीदारों में से एक है. ऑपरेशन दोस्त इस रिश्ते में बहुत आगे जाएगा.’’
Despite Turkey's closeness with Pakistan & its policy on Kashmir, India never thought twice on giving FSV contract to Turkish company TAIS. Things are changing between India & Turkey. It is among our top 15 trade partners. Operation Dost will go a long way in this relationship. pic.twitter.com/NkgokuXD2j
— Syed Mohd Murtaza (@syedmohdmurtaza) February 9, 2023
पाकिस्तान ने तुर्की के राहत कार्यों के लिए सामान ले जाने वाले भारतीय विमानों को अपना हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करने से इनकार दिया. उधर, अलजेब नाम के यूजर ने अपने मर्मस्पर्शी ट्वीट में कुत्ते की वफादारी पर रोशनी डाली है. कि एक बच्ची का हाथ मलबे से बाहर दिखाई पड़ रहा है. कुत्ता अपनी सीमित समझ के कारण उस बच्ची को मलबे से निकाल तो नहीं पा रहा है, लेकिन उसने बच्ची का साथ नहीं छोड़ा और इस इंतजार में एक दिशा में देख रहा है, ताकि कोई मदद आए और बच्ची को बाहर निकाला जा सके. ‘‘
Foreign Rescue Teams in #Turkey
— Alzebअलजेब العجیب🎯 🍁 🇮🇳 (@AlzebInd786) February 10, 2023
1- #Azerbaijan 🇦🇿 725
2- #Israel 🇮🇱 450
3- #France 🇫🇷 204
4- #India 🇮🇳 201
Foreign Medical Teams in #Turkey
1- India 🇮🇳 170
2- Israel 🇮🇱 87
3- France 🇫🇷 86
4- Russia 🇷🇺 60#OperationDost #TurkeySyriaEarthquake #TurkeyQuake #Dost pic.twitter.com/epilnVVWL0
भारत ने तुर्की में विनाशकारी भूकंप से प्रभावित हुए लोगों के लिए कई विमानों के जरिये राहत सामग्री और मेडिकल दलों को भेजा है. भारत ने तुर्की में भूकंप प्रभावित इलाकों में मलबे में दबे लोगों को ढूंढने के लिए विभिन्न उपकरण भेजे हैं. विश्व के कई देशों ने तुर्की और सीरिया में राहत कार्यों के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है. तलाश एवं बचाव कर्मियों के समूह, विशेष रूप से प्रशिक्षित श्वान दस्ता, ड्रिल मशीन, राहत सामग्री, दवाइयों के साथ प्रथम सी-17 परिवहन विमान से तुर्की भेजे गए हैं. भारतीय वायुसेना के विमान इसी तरह की सामग्री और कर्मियों के साथ तुर्की रवाना हुए हैं.
99 सदस्यीय मेडिकल दल में गहन चिकित्सा विशेषज्ञ भी हैं. थल सेना के एक अधिकारी ने कहा, सेना ने भूकंप प्रभावित तुर्की की मदद के लिए 99 सदस्यीय एक मेडिकल टीम बनाई है.’’ तुर्की में 30 बिस्तरों वाला एक अस्थायी चिकित्सा केंद्र स्थापित करने के लिए मेडिकल दलों को एक्स-रे मशीन, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, हृदय की निगरानी करने वाले उपकरणों से लैस किया गया है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने इस विनाशकारी भूकंप के तुरंत बात ट्वीट कर तुर्की की मदद का ऐलान कर दिया. जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ हमदर्दी दिखाने के लिए तुर्की जाना चाहते थे, लेकिन तुर्की ने संकट ऐसी घड़ी में उनकी मेजबानी करने से साफ मना कर दिया. कश्मीर मुद्दे पर तुर्की अब तक पाकिस्तान की हां में हां मिलाता आया है. मगर आपातकाल में ही अच्छे और भले की पहचान होती है. भारत राहत सामग्री भेज रहा है और पाकिस्तान यह राहत सामग्री तुर्की ले जाने वाले विमानों को पाकिस्तान हवाई क्षेत्र का उपयोग भी नहीं करने दे रहा है. कभी भारत का भेजा गेहूं लौटाने वाला तुर्की इस वक्त बेपनाह दर्द में है. 7.8 तीव्रता के आए भूकंप ने इस देश को घुटनों पर ला दिया है. कभी अपनी खूबसूरत शहरों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर इस देश को नजर लग गई है. ऐसे मुसीबत भरे वक्त में भारत ने सारी पुरानी गुस्ताखियों को भुला इस देश के लिए ‘देवदूत’ बन गया है.
ये पहली बार नहीं हो रहा कि कोई देश संकट में हो और भारत ने बिना पूछे एक दोस्त की तरह आगे बढ़कर उसकी मदद नहीं की हो. जीएनटीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1963 में इथोपिया की मदद से ये सिलसिला शुरू हुआ. 60 साल पहले वहां भीषण सूखा पड़ने की वजह से हालात बदतर हो गए थे. गंभीर सूखे के बाद तब भारत से मेडिकल स्टाफ की एक टीम इथोपिया भेजी गई थी. वहां पहुंचकर उस मेडिकल टीम ने प्रभावित लोगों की काफी मदद की थी. तब भारत की तरफ इस तरह मदद मिलने के लिए वहां की सरकार और आम लोगों ने काफी तारीफ की थी.
- साल 1965 में यमन में भीषण भूकंप ने दस्तक दी. चारों तरफ तबाही का मंजर था. तब भारत ने प्रभावित लोगों को राहत और मदद देने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों की एक टीम वहां भेजी थी. जिसने मेडिकल हेल्प के अलावा भूकंप प्रभावित लोगों के लिए खाने-पीने की भी व्यवस्था की.
- साल 1971 में भारत ने बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के बाद राहत और बचाव में भी अहम भूमिका निभाई थी. लाखों शरणार्थियों के स्वास्थ्य और सेहत को ध्यान में रखते हुए तब पूर्वी पाकिस्तान के नाम से पहचान रखने वाले बांग्लादेश में भी मेडिकल स्टाफ की एक टीम भेजी थी. इसके अलावा खाने-पीने का सामान भी बड़ी मात्रा में भेजा गया था. इसके बाद जरूरतमंद लोगों के लिए वहां रहने के लिए अस्थाई व्यवस्था भी की गई थी.
- साल 1999 में भी तुर्की में भूकंप आया था. तब भी भारत ने सबसे पहले भूकंप प्रभावित तुर्की को राहत भेजी थी. इनमें राहत और बचाव के लिए आपदा प्रबंधन की एक टीम भी शामिल थी. जिसके प्रयासों की तब भी तुर्की सरकार और आम लोगों ने काफी तारीफ की थी.
- हर बार पीठ में छुरा घोंपने वाले पाकिस्तान के लिए भी साल 2005 में भारत ने अपना दिल खोल दिया था. क्योंकि वहां भीषण भूकंप आया था. सबसे ज्यादा नुकसान पाकिस्तान के कब्जे वाले राज्य की राजधानी मुजफ्फराबाद में हुआ था. वहां 70 प्रतिश तक लोगों की जान चली गई थी. यानी चारों तरफ विनाशकारी मंजर था. अस्पताल, स्कूल सब खत्म हो गए थे और उस वक्त पुलिस को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था. तब भूकंप की तबाही से उबारने के लिए भारत ने ही आपदा प्रबंधन से जुड़ी कुछ टीमों को पाकिस्तान भेजा था. जिन्होंने मेडिकल हेल्प के अलावा खाने-पीने और रहने की भी व्यवस्था की.
- साल 2006 में इंडोनेशिया में जावा द्वीप में बड़े पैमाने पर भूकंप आया. तब भारत सरकार ने मदद के लिए एनडीआरएफ कर्मियों की एक टीम वहां भेजी.
- साल 2008 में नरगिस नाम एक विनाशकारी चक्रवात ने म्यांमार में जमकर तबाही मचाई. उस तबाही से वहां के लोगों को उबारने के लिए भारत ने एनडीआरएफ की एक टीम भेजी थी. एनडीआरएफ की उस टीम ने आपदा से प्रभावित लोगों को राहत और मदद देने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
- साल 2010 में हैती नाम के देश में भी बड़े पैमाने पर भूकंप आया था. जिसमें हजारों लोगों की मौत हो गई थी. घायलों की संख्या भी काफी ज्यादा थी. तब कैरेबियाई देश हैती में भी एनडीआरएफ की एक टीम भेजी गई थी. जिसने मानवता को सबसे बड़ा धर्म मानते हुए भूकंप प्रभावित लोगों की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
- साल 2011 में थाईलैंड में भयंकर बाढ़ आई थी, जिसकी वजह से हजारों लोग बेघर हो गए थे. तो बिना देर किए हुए भारत सरकार ने एनडीआरएफ की एक टीम वहां भेजी. जिसने प्रभावित लोगों की हर स्तर पर मदद की.
- साल 2015 में भारत ने विनाशकारी भूकंप के बाद एनडीआरएफ की टीमों को नेपाल भी भेजा था. जिन्होंने तबाही से जूझ रहे लोगों की काफी मदद की. तब छक्त्थ् के प्रयासों की नेपाल की सरकार और वहां लोगों ने काफी सराहना की.
- साल 2017 में पश्चिम अफ्रीकी देश सिएरा लियोन में भारी बारिश और भूस्खलन हुआ. इसमें 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. तब भारत सरकार ने एनडीआरएफ की एक टीम वहां भेजी. जिसमें सैकड़ों लोगों ने हर तरीके से जान बचाई.
- साल 2019 दक्षिण अफ्रीकी देशों मोजाम्बिक, जिम्बाब्वे और मलावी में विनाशकारी चक्रवात ‘इडाई के दौरान भारत का ऐसा ही रूप दिखा. तीनों ही देशों में बड़े पैमाने पर जान-माल नुकसान हुआ. मोजाम्बिक के आग्रह पर भारत ने तत्काल कार्रवाई करते हुए नौसेना की तीन नौकाओं को बीरा बंदरगाह भेजा. तब भारतीय नौसेना ने 192 से अधिक लोगों को बचाया और राहत शिविरों में 1381 लोगों की मेडिकल हेल्प की.
किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा में फंसे देशों की मदद करने का सिलसिला अब भी जारी है. भूकंप के बाद आई तबाही से जूझ रहे तुर्किये की मदद में भारत अब भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.