आवाज़ द वॉयस / श्रीनगर
कश्मीर के प्रमुख इस्लामी विद्वानों ने पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है तथा शांति और एकता का शक्तिशाली संदेश दिया है. ग्रैंड मुफ्ती नसीरुल इस्लाम, दरगाह दस्तगीर साहिब के इमाम मुफ्ती सैयद मुदस्सर गिलानी और मौलवी सज्जाद ने इस घटना को मानवता के खिलाफ गंभीर अपराध बताया है.
इस्लाम की सच्ची भावना पर प्रकाश डालते हुए विद्वानों ने कहा कि हिंसा का इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है . निर्दोष लोगों की जान लेना पूरी तरह से इस्लाम की शिक्षाओं के खिलाफ है.
अपने संयुक्त बयान में उन्होंने कहा कि कश्मीर ने हमेशा अपने मेहमानों का स्वागत किया है और उनकी सुरक्षा को अपना कर्तव्य माना है. पर्यटक हमारी गरिमा का हिस्सा हैं और हम कभी भी उनके सम्मान और प्रतिष्ठा को कम नहीं होने देंगे.
यह कथन न केवल धार्मिक सद्भाव का उदाहरण है बल्कि यह भी साबित करता है कि इस्लाम शांति, प्रेम और मानवता का धर्म है .हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष और प्रमुख कश्मीरी इस्लामी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है.
उन्होंने कहा, "हमने यह दृश्य बहुत दुख के साथ देखा." इसने हमारे दिलों को छेद दिया है. इस घटना ने हमारे दिल को झकझोर दिया है.उन्होंने कहा, "जैसा कि हमने सुना, पहचान के बाद, धर्म के बारे में पूछने के बाद, परिवार के सामने... यह खूनी घटना अंजाम दी गई." 25 से अधिक लोग मारे गये। जम्मू-कश्मीर के लोग, हम इसकी पूरी तरह निंदा करते हैं.
#WATCH | Srinagar, J&K: On #PahalgamTerrroristAttack, President of All Parties Hurriyat Conference, Mirwaiz Umar Farooq says, "A very tragic incident took place this week, which has shaken our hearts. The way people were identified, their religion was asked, and more than 25… pic.twitter.com/HA7zTLoFFC
— ANI (@ANI) April 25, 2025
शुक्रवार की नमाज के बाद हमले की निंदा करते हुए मीरवाइज ने कहा, "अपने प्रियजनों को खोने का दर्द हमसे ज्यादा कौन समझ सकता है? हमने कितना कुछ सहा है." आज जम्मू-कश्मीर के लोग खून के आंसू रो रहे हैं, क्योंकि उनके प्रियजन उनसे छीन लिए गए.
हर कोई इस दर्द को महसूस कर रहा है. हम अल्लाह से प्रार्थना करते हैं कि वे धैर्य रखें और घायलों के शीघ्र स्वस्थ हों. हमारा आतिथ्य पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। कश्मीरियों ने मानवता, सहायता और करुणा की परंपरा कायम रखी है। अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाने का प्रयास किया गया.
आदिल की मृत्यु हो गई. बहादुर कश्मीरी युवकों ने घायलों को अपने कंधों पर उठाकर मीलों पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाया.. कश्मीरी लोग पीड़ितों के साथ खड़े हैं. पर्यटक इसकी प्रशंसा कर रहे हैं.
लोगों ने अपने घरों के दरवाजे खोल दिए. गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला कर दिया था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे. आतंकवादियों के खिलाफ अभियान जारी है.