मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
बहुत कम लोगों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी ) के नेता के तौर पर एक मुस्लिम महिला माफुजा खातून का नाम सुना होगा. खासकर उन लोगों ने तो बिल्कुल नहीं जिनकी राजनीति में दिलचस्पी कम है या पश्चिम बंगाल से रिश्ता न के बराबर .दरअसल, पश्चिम बंगाल में बीजेपी के लीडर के तौर पर जो एक नाम बार बार आता है वह हैं सुवेंदु अधिकारी का. मगर ऐसा नहीं है. ‘ममता नगरी’ में बीजेपी का पैर जमाने में जिन लोगों की भारी मशक्कत लगी है उनमंे एक नाम मुस्लिम महिला माफुजा खातून का भी है.
ऐसे में माफुजा खातून न केवल भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक की सूची में सम्मिलित की गई हैं, वह पश्चिम बंगाल में मुस्लिम चेहरा होने के साथ-साथ पार्टी की लोकसभा प्रत्याशी भी हैं.बीजेपी ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए 27 मार्च को पश्चिम बंगाल के लिए स्टार प्रचारकों का नाम जारी किया है. इस 40सदस्यीय सूची में बीजेपी के केवल दो मुस्लिम नेता शामिल किए गए हैं. एक हैं पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और दूसरा नाम है माफुजा खातून.
स्टार प्रचारों की इस सूची में सबसे पहला नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दूसरा जगत प्रकाश नड्डा, तीसरा नाम रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चौथा नाम गृह मंत्री अमित शाह का है. मुख्तार अब्बास नकवी लिस्ट में 15वें नंबर पर हैं और माफुजा खातून का नाम 28 वें नंबर पर है. सुवेंदु अधिकारी लिस्ट में 17 वें पायदान पर हैं.
कौन हैं माफुजा खातून
माफुजा खातून पश्चिम बंगाल में बीजेपी का मुस्लिम चेहरा हैं. वो कुमारगंज से दो बार सीपीआई (एम) विधायक रह चुकी हैं. 2017में भाजपा में शामिल हुईं.यही नहीं वह ग्रामीण बंगाल की राजनीतिक उथल-पुथल को भली-भांति समझती हैं. सोशल मीडिया पर भी बेहद सक्रिय रहती हैं.अपने गृह क्षेत्र जंगीपुर के पड़ोसी दक्षिण दिनाजपुर जिले के कुमारगंज से सीट से सीपीआई (एम) के टिकट पर दो बार विधायक चुनी जा चुकी हैं.
— Mafuja Khatun (@MafujaKhatunBJP) July 2, 2022
माफुज की पहले बीजेपी के बारे में राय ?
माफुजा 2017 में सीपीआई (एम) छोड़कर बीजेपी में शामिल हुईं. आउट लुक को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बारे में कहा था, “जब मैं सीपीआई (एम) के साथ थी, तो मेरी धारणा थी कि बीजेपी अल्पसंख्यक विरोधी है. लेकिन मेरे शामिल होने के बाद से मुझे किसी भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा. मैंने कई बैठकों में भाग लिया है, लेकिन मैंने कभी भी मुस्लिम विरोधी कोई बात नहीं सुनी.
अब तो स्थिति यह है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी उनपर इतना विश्वास करती है कि उन्हें न केवल अपना स्टार प्रचारक बनाया, बल्कि लोकसभा का टिकट भी दिया है. अब तक बीजेपी की ओर से लोकसभा का टिकट दिए जाने को लेकर दो मुस्लिम नाम सामने आए हैं. एक केरल से हैं दूसरी माफुजा.
माफुजा खातून यहां से लड़ेंगी चुनाव
माफुजा खातून बंगाल में लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाली भाजपा की पहली मुस्लिम महिला हैं. 47वर्षीय इस महिला नेता ने पहले ही कई रूढ़ियों को तोड़ा है और कुछ राजनीतिक बाधाओं को अब तोड़ने की उम्मीद है.वह बंगाल के कांग्रेस के गढ़ मुर्शिदाबाद और अपने गृह क्षेत्र जंगीपुर में कांग्रेस से मुकाबला कर रही हैं.
इस सीट से वह मौजूदा कांग्रेस सांसद और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी, तृणमूल कांग्रेस के खलीलुर रहमान और वाम मोर्चा के जुल्फिकार अली के खिलाफ मैदान में हैं.अपने स्टार प्रचारक और उम्मीदवार बनाए जाने पर वह कहती हैं, ‘‘मुझे भाजपा के लिए मुस्लिम वोट मांगने में कोई दिक्कत नहीं है.’’
‘माफुजा-दी’ के नाम से मशहूर खातून को अक्सर उनके निर्वाचन क्षेत्र के ‘बीड़ी गांवों’ में देखा जाता है, जहां बीड़ी कारखानों में ज्यादातर श्रमिक मुस्लिम महिलाएं हैं. उनके साथ बैठकर, खातून, जिनके कुछ भाषणों को यूट्यूब पर 10मिलियन से अधिक बार देखा गया है, उनकी समस्याओं पर चर्चा करते हुए कुछ बीड़ियां भी बनाती हैं.वह कहती हैं, “मेरी सोशल मीडिया लोकप्रियता का बड़ा फायदा है.
दूरदराज के गांवों में लोग मुझे तुरंत पहचान लेते हैं.देखते ही पूछते हैं, ’’ अपनी किसे मोहिला?’’ (क्या आप वही महिला हैं जिन्हें हम यूट्यूब वीडियो पर देखते हैं). मुझसे अक्सर यह पूछा जाता है. यह बताकर वह मुस्कुराती.
सभा में उमड़ती है भीड़
अब तक देखा गया है कि उनकी चुनावी सभाओं में काफी भीड़ उमड़ती है. इस दौरान खातून इस बात का खासा ध्यान रखती हैं कि कभी भी अपने खुले लंबे बालों के साथ फोटो न खींची जाए.वह अपने सिर को स्कार्फ से ढके रहती हैं, जो देखने में हिजाब का गुमान होता है.
विरोधियों के बारे में खातून क्या कहती हैं ?
वह जानती हैं कि चुनाव में उनका मुकाबला किससे है. यह सीट प्रणब मुखर्जी का गढ़ रहा है. यहां से अभी ‘दादा’ के 59वर्षीय बेटे लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. जंगीपुर के 16लाख मतदाताओं में से 68 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम हैं. खातून उन्हें भाजपा को वोट देने के लिए प्रेरित कर रही हैं.
वह कहती हैं, ‘‘ यह कठिन काम है. बावजूद इसके उनका लक्ष्य चुनाव जीतने के साथ अपनी पार्टी के बारे में अपने समुदाय की धारणा को बदलना है. वह कहती हैं कि भाजपा एक जटिल अंकगणित पर भरोसा कर रही है. इसके अलावा मुस्लिम महिलाओं के एक बड़े वर्ग के साथ उनकी ‘अच्छी केमिस्ट्री’ है. इस निर्वाचन क्षेत्र में 1,087,054मतदाताओं में से 525,319 महिलाएं हैं.
— Mafuja Khatun (@MafujaKhatunBJP) June 27, 2022
भाजपा को उम्मीद है कि खातून मुस्लिम महिलाओं के वोटों का एक बड़ा हिस्सा खींच लेंगी. शेष अल्पसंख्यक वोट कांग्रेस, तृणमूल और सीपीआई (एम) के बीच विभाजित हो जाएंगे, जबकि चतुकोणीय मुकाबले में हिंदू भगवा पार्टी के लिए सामूहिक रूप से वोट करेंगे.
हालाँकि, कई भाजपा कार्यकर्ता ऑफ द रिकॉर्ड संदेह व्यक्त करते हुए कहते हैं कि बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाताओं का तीन मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच बंटना आसान नहीं है. फिर भी हिंदू मतदाता उनके साथ जाएंगे. मुस्लिम वोटों में विभाजन को रोकने के लिए, सीएम ममता बनर्जी ने जिले में एक चुनावी रैली में कांग्रेस पर भाजपा के वैचारिक स्रोत के साथ हाथ मिलाने का आरोप लगाया है.