इसके साथ ही, पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर शोएब अख्तर का लोकप्रिय यूट्यूब चैनल, जिसके 35 लाख से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं, भी ब्लॉक कर दिया गया है.सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह कदम गृह मंत्रालय की सिफारिशों पर उठाया गया है.
मंत्रालय को प्राप्त रिपोर्टों में कहा गया था कि ये चैनल खासकर पहलगाम हमले के बाद देश में गलत जानकारी और सांप्रदायिक तनाव फैलाने के उद्देश्य से सक्रिय हो गए थे. 22 अप्रैल को हुए इस भयावह हमले में 25 पर्यटक और एक स्थानीय कश्मीरी नागरिक की नृशंस हत्या कर दी गई थी.
प्रतिबंधित यूट्यूब चैनल और उनकी पहुंच
ब्लॉक किए गए यूट्यूब चैनलों की सूची में पाकिस्तान के प्रमुख मीडिया संस्थानों के डिजिटल प्लेटफॉर्म शामिल हैं, जिनमें डॉन न्यूज, समा टीवी, एआरवाई न्यूज, बोल न्यूज, रफ्तार, जियो न्यूज और सुनो न्यूज शामिल हैं। ये चैनल सामूहिक रूप से लगभग 6.3 करोड़ भारतीय दर्शकों तक पहुंच रखते थे.
इसके अलावा पत्रकार इरशाद भट्टी, अस्मा शिराजी, उमर चीमा और मुनीब फारूक द्वारा संचालित व्यक्तिगत चैनल भी इस कार्रवाई की जद में आए हैं. अन्य प्रतिबंधित चैनलों में द पाकिस्तान रेफरेंस, समा स्पोर्ट्स, उजैर क्रिकेट, और रजी नामा प्रमुख हैं.
अब इन चैनलों की सामग्री तक भारत से पहुंचने की कोशिश करने पर यूट्यूब एक संदेश दिखा रहा है, जिसमें कहा गया है:"राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित सरकार के आदेश के कारण यह सामग्री वर्तमान में इस देश में उपलब्ध नहीं है. सरकार द्वारा हटाए जाने के अनुरोधों के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया Google पारदर्शिता रिपोर्ट देखें."
बीबीसी की रिपोर्टिंग पर भी उठे सवाल
भारत सरकार ने इस बीच बीबीसी (BBC) की रिपोर्टिंग पर भी गहरी नाराज़गी जताई है. विशेष रूप से एक लेख, जिसका शीर्षक था – “पाकिस्तान ने कश्मीर में हुए घातक हमले के बाद भारतीयों के लिए वीजा निलंबित किया” – में हमलावरों को “उग्रवादी” कहे जाने पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया. इस हमले में 26 लोग मारे गए थे और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए थे.
सरकार ने बीबीसी के भारत प्रमुख जैकी मार्टिन को एक कड़े शब्दों वाला पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि आतंकवादियों को “उग्रवादी” कहकर बीबीसी ने पत्रकारिता के बुनियादी उसूलों और भारत की संवेदनशीलता का उल्लंघन किया है.सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह बीबीसी की रिपोर्टिंग की निगरानी आगे भी जारी रखेगी.
भारत का स्पष्ट संदेश
यह कार्रवाई भारत के उन प्रयासों का हिस्सा है जिसके तहत वह सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फैलने वाली असामाजिक और राष्ट्र विरोधी सामग्री पर अंकुश लगाना चाहता है. सरकार का कहना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आतंकवाद का महिमामंडन और फर्जी आख्यानों का प्रचार कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.क्या आप इस विषय पर किसी खास पहलू की जानकारी चाहते हैं?