75 वर्षों में भारत की चुनाव प्रणाली कितनी हुई व्यापक

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 04-06-2024
India is a leader in conducting elections, this time 75 international visitors came to see the world's largest elections
India is a leader in conducting elections, this time 75 international visitors came to see the world's largest elections

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 
 
भारतीय आम चुनाव दुनिया के सबसे बड़े चुनावों में से एक हैं. यह मतदाताओं का दुनिया का सबसे बड़ा चुनावी आंदोलन है. कुल 7 चरणों में वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव संपन्न हुआ. भारत का लोकतंत्र पर्व इस बार दुनिया के सबसे बड़े चुनावों में माना जा रहा है. जिसके साक्षी 75 अंतर्राष्ट्रीय आगंतुक भी बनें. वहीँ अब राष्ट्र 4 जून को चुनाव परिणामों की प्रतीक्षा कर रहा है. इस रिपोर्ट में आप आकड़ों से जानेंगें कैसे भारत में चुनाव आयोजन की तैयारियों में 1951 से लेकर अब वर्तमान 2024 में क्या-क्या बदलाव आए हैं. 'चुनावी महाकुंभ' कराने में भारत हमेशा अग्रणी रहा है. 
 
देश के पहले आम चुनाव से लेकर अबतक 73 साल गुजर चुके हैं. इस बार 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुआ. इस लंबी अवधि में भारत के राजनीतिक नक्शे में आमूल चूल बदलाव आया है. भारत के राजनीतिक मानचित्र पर नए राज्यों का उदय हुआ है. पुराने राज्य आकार में छोटे हो गए हैं. लोकसभा की नई सीटें बनी हैं, तो कई पुरानी सीटों का वजूद ही खत्म हो गया है.
 
यही नहीं चुनाव की प्रक्रिया में भी बदलाव आया है. आजादी के बाद हुए कुछ चुनाव में एक ही लोकसभा सीट से दो-दो सांसद चुने जाते थे. लेकिन सुधार और बदलाव की प्रक्रिया से गुजरता हुआ भारत का लोकतंत्र अब एक सीट से एक ही सांसद पार्लियामेंट भेजता है. 
 
कुल मतदाता
 
1952 में कुल पात्र मतदाता 17.3 करोड़ थे वहीँ  ईसीआई के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की कुल संख्या 96.8 करोड़ रही. 2024 में 97 करोड़ पंजीकृत मतदाता रहे.
 
इस लोकसभा चुनाव में 1.8 करोड़ मतदाता पहली बार मतदान किया और 20-29 आयु वर्ग के 19.47 करोड़ मतदाता रहें. भारत के चुनाव आयुक्त द्वारा घोषित 12 राज्यों में लोकसभा चुनाव 2024 में महिला मतदाताओं का अनुपात पुरुष मतदाताओं की तुलना में अधिक रहा.इस लोकसभा चुनाव में 85 लाख से अधिक महिलाओं ने पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग किया. मतदाता श्रेणियों में वृद्धि, जिसमें लगभग 82 लाख दिव्यांग, 2.2 लाख 100+ और 48 हजार थर्ड-जेंडर मतदाता शामिल रहें.
 
कुल लोकसभा सीटें 
 
1952 में 25 राज्यों में 401 निर्वाचन क्षेत्रों में लोकसभा की 489 सीटें आवंटित की गई थीं. वहीँ 2024 में कुल लोकसभा सीटें 543 रहीं. 
 
 
जब एक सीट से चुने जाते थे दो सांसद
 
आजकल एक सीट से एक ही सांसद का चुनाव होता है. लेकिन जब देश 1951-52 में पहली बार लोकतांत्रिक प्रक्रिया से गुजरा तो कुछ सीटें ऐसी थीं जहां एक ही सीट से दो सांसद चुनने का प्रावधान था. पहले दो चुनावों तक ये नियम कायम रहा. 1951-52 के चुनाव में कुल 89 लोकसभा सीटों से 2-2 सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचे थे.
 
इनमें से एक सांसद जनरल कैटेगरी का था तो दूसरा सांसद अनुसूचित जाति का था. 1957 में जब दूसरी बार लोकसभा चुनाव हुआ तो यहां 91 सीटें ऐसी थी जहां से दो-दो सांसदों का चुनाव हुआ. दरअसल समाज के कमजोर तबके को प्रतिनिधित्व देने के लिए एक सीट पर दो-दो सांसदों का फॉर्मूला अपनाया गया था. इस दौरान एक मतदाता को वो वोटर देने का अधिकार था. तीसरे लोकसभा चुनाव से इस व्यवस्था को बंद कर दिया गया. 
 
कितनी पार्टियों ने चुनाव लड़ा?
 
1951-52 के लोकसभा चुनाव में कुल 53 पार्टियां चुनाव मैदान में उतरी थीं. जिसमें 14 राष्ट्रीय पार्टियां थीं और 39 क्षेत्रीय पार्टियां. वहीँ 2024 के भारतीय आम चुनावों से पहले भारत की राजनीति दो प्रमुख गठबंधनों के साथ तेजी से द्विध्रुवीय हो गई है; मौजूदा एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) और विपक्षी भारत (भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन). छह राष्ट्रीय दल 2024 के भारतीय आम चुनाव लड़ रहे हैं: भाजपा (भारतीय जनता पार्टी), कांग्रेस (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस), सीपीआई (एम) (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)), बीएसपी (बहुजन समाज पार्टी), एनपीपी (नेशनल पीपुल्स पार्टी) पार्टी) और आप (आम आदमी पार्टी) के बीच गठबंधन है, जिसमें बसपा को छोड़कर बाकी सभी दो गठबंधनों में से एक का हिस्सा हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के अनुसार 2024 का लोकसभा चुनाव 543 सीटों के लिए होगा और 7 चरणों में आयोजित किया. 
 
पोलिंग बूथों की कुल संख्या 
 
1952 में भारत के पहले लोकसभा चुनाव में मतदान के लिए देशभर में कुल 1,32,560 मतदान केंद्र बनाए गए थे. वहीँ 2024 में 10.5 लाख मतदान केंद्र बनाए गए.
 
इलेक्शन ड्यूटी पर रहे कर्मचारी/सिक्योरिटी
 
1951-52 के लोकसभा चुनाव में 489 रिटर्निंग ऑफिसर्स की ड्यूटी लगाई गई थी. कुल 16500 लोगों को मतदाता सूची बनाने के लिए छह महीने के अनुबंध पर रखा गया था. वहीँ 2024 में 1.5 करोड़ मतदान अधिकारी और सुरक्षा कर्मचारी ड्यूटी पर रहे. 
 
कुल प्रत्याशी
 
1952 में कुल 53 पार्टियों और 533 निर्दलीय उम्मीदवारों ने 489 सीटों के लिए चुनाव लड़ा. चुनाव निगरानी संस्था एडीआर के अनुसार, 2024 के लोकसभा चुनाव में 8,337 उम्मीदवार रहे. 
 
मतपेटियों से ईवीएम
 
1952 में लोहे की 20 लाख मतपेटियाँ बनाई गई थीं जिसके लिए 8200 टन इस्पात का इस्तेमाल किया गया था. वहीँ 2024 में इस विशाल अभ्यास को करने के लिए 55 लाख ईवीएम का इस्तेमाल किया गया. इस वर्ष पहली बार ईवीएम को "वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल" (वीवीपीएटी) द्वारा 100% सुरक्षित किया गया.
 
प्रचार-प्रसार के लिए वाहन
 
1952 में बेलगाडीयों से प्रचार किया जाता था. वहीँ 2024 में प्रचार के लिए 4 लाख वाहन इस्तेमाल किए गए. 
 
यह भी जान लीजिये…
 
इस वर्ष अनुच्छेद 370 के उन्मूलन, अयोध्या में भगवान राम के हिंदू मंदिर के निर्माण और नागरिकता संशोधन अधिनियम के कार्यान्वयन जैसी ऐतिहासिक घटनाओं के बाद यह पहला आम चुनाव हुआ.आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम राज्यों में विधानसभा चुनाव आम चुनाव के साथ-साथ हुए. साथ ही 16 राज्यों की 35 सीटों के लिए उपचुनाव भी शामिल हुए.
 
भारत को यूं ही लोकतंत्र की जननी नहीं कहा जाता है. इसके पीछे कई वजहें हैं. जैसे- भारत का चुनाव आयोग कम से कम 40 देश को चुनाव कराने की ट्रेनिंग देता है और बारीकियां सिखाता है. कई देशों के चुनाव अधिकारियों-कर्मियों के लिए स्पेशल ट्रेनिंग सेशन आयोजित करता है.