कोलकाता
भारत के पहले विश्व कप विजेता कप्तान कपिल देव ने भारतीय टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर को लेकर चल रही आलोचनाओं के बीच एक अलग और व्यावहारिक नजरिया पेश किया है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में भारत की 0-2 से हार के बाद गंभीर की रणनीतियों, खासकर खिलाड़ियों के लगातार रोटेशन और प्रयोगात्मक चयन, पर सवाल उठ रहे हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कपिल देव ने कहा कि मौजूदा दौर में कोच की भूमिका पारंपरिक कोचिंग से अधिक खिलाड़ियों के प्रबंधन की हो गई है।
कोलकाता में इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (ICC) के शताब्दी सत्र को संबोधित करते हुए कपिल ने कहा, “आज ‘कोच’ शब्द को अक्सर गलत तरीके से समझा जाता है। गौतम गंभीर कोच नहीं हो सकते, वह टीम के मैनेजर हो सकते हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि स्कूल और कॉलेज के स्तर पर जो तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाता है, वही वास्तविक कोचिंग होती है, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ी पहले से ही तकनीकी रूप से तैयार होते हैं।
कपिल ने तर्क दिया कि कोई भी मुख्य कोच हर भूमिका का विशेषज्ञ नहीं हो सकता। “गंभीर लेग स्पिनर या विकेटकीपर के कोच कैसे हो सकते हैं?” उन्होंने कहा। उनके मुताबिक, आधुनिक क्रिकेट में कोच का मुख्य काम खिलाड़ियों को मानसिक रूप से तैयार करना, उनका आत्मविश्वास बढ़ाना और टीम के भीतर संतुलन बनाए रखना है।
कपिल देव ने यह भी कहा कि एक सफल मैनेजर वही होता है जिस पर युवा खिलाड़ी भरोसा कर सकें। उन्होंने कहा, “जब आप खिलाड़ियों को यह विश्वास दिलाते हैं कि वे कर सकते हैं, तभी वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं।”
क्रिकेट के बदलते स्वरूप पर बात करते हुए कपिल ने कहा कि अगर सुनील गावस्कर आज के दौर में खेलते, तो वह टी20 क्रिकेट में भी शीर्ष बल्लेबाजों में होते। उनके अनुसार, मजबूत डिफेंस वाले बल्लेबाजों के लिए आक्रामक शॉट खेलना ज्यादा आसान होता है।
इस मौके पर मौजूद भारतीय महिला टीम की पूर्व कप्तान मिताली राज ने भी भारत की हालिया घरेलू विश्व कप जीत को याद किया और कहा कि ट्रॉफी पर ‘इंडिया’ लिखा देखना उनके लिए भावनात्मक पल था, क्योंकि लंबे समय तक यह सपना अधूरा रहा था।






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