कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए रहिए न्यूरोफिट

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 23-06-2021
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

 

रत्ना शुक्ला

बड़े-बुजुर्ग कहा करते थे कि अपने दिमाग और शरीर पर रहम मत करो, इन्हें घोड़े की तरह दौड़ाओ यानी डटकर काम लो. विडंबना देखिए कि कोरोना ने ज़िंदगी को लगभग रोक-सा  दिया है. कोरोना की लहर पर काबू पाने के लिए बार-बार लगाए जानेवाले लॉकडाउन का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा. हाल ही में दुनियाभर के लगभग 40 स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एक सर्वे के तहत यह आशंका जताई है कि अक्टूबर तक कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे सकती है.

दुनिया भर के वैज्ञानिकों, महामारी विशेषज्ञों और चिकित्सकों की माने तो कम से कम एक साल तक कोरोना महामारी से बचाव के लिए हमें तैयार रहना होगा. तीसरी लहर का खतरा सर पर मंडरा रहा है ऐसे में अब एक बार फिर कमर कसनी है खुद को बचाने और इसका सीधा तरीका है शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखना.

आखिर क्यों जरूरी है इम्युनिटी और कैसे बढ़ाएं इसे

उम्र बढ़ने के साथ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित होने लगती है और हमारे बीमार होने की आशंका बढ़ती जाती है. वहीं शारीरिक गतिविधि का अभाव भी इम्युनिटी सिस्टम को सुस्त बना देता है.    

लेकिन कैसे होती है इम्यूनिटी मजबूत?क्या केवल बेहतर खानपान और सप्लीमेंट्स लेने से? इसका जवाब है नहीं, इसका सबसे कारगर उपाय है कसरत. व्यायाम या सवेरे की सैर होने से  मोटापा, मधुमेह, दिल की बीमारी और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां आपको नहीं घेर पाती या जो लोग पहले से इनके शिकार है वह इनपर काबू रख पाते हैं.  

एम्स में न्यूरॉलॉजी विभाग के प्रोफेसर रहे डॉक्टर सतीश जैन के मुताबिक, “कुछ खास किस्म के व्यायाम से हम इम्यून सिस्टम के कमजोर होने की दर कम कर सकते हैं.”उनका कहना है कि अगर शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क का भी व्यायाम हो तो न केवल इम्युनिटी कम होने की दर कम हो सकती है बल्कि व्यक्ति अधिक समय तक चुस्त-दुरुस्त और युवा बना रह सकता है.

उन्होंने व्यायाम की ऐसी पद्धति विकसित की है जिससे शरीर की हर मांसपेशी, हर ग्रन्थि और सर से लेकर एड़ी तक की नसों का व्यायाम होता है. लगभग चार साल से डॉक्टर सतीश जैन स्वयं पर इसका प्रयोग कर रहे हैं इस व्यायाम के तहत शरीर में यांत्रिक उत्तेजना के साथ-साथ शरीर के मुख्य अंगों के दबाव केंद्र की मालिश होती है. उनका मानना है कि ऐसा करने से जो नसें और दबाव केंद्र जिस अंग से जुड़े होते हैं, उन्हें स्वस्थ रखने में मदद मिलती है.

दुनियाभर के व्यायामों के समायोजन से बनी इस नई तकनीक को डॉक्टर सतीश जैन ने नाम दिया है न्यूरोफिट. न्यूरोफिट न केवल शारीरिक रूप से फिट रखता है बल्कि डिप्रेशन यानि अवसाद जैसी स्थिति में जाने से भी रोकता है.

क्या खास है न्यूरोफिट में

इस व्यायाम के लिए बैठने या लेटने की जरूरत नहीं है इसीलिए किसी भी उम्र का व्यक्ति इसे आसानी से कर सकता है. व्यायाम करने की तय अवधि नहीं है. आप इसे अपनी सुविधानुसार घटा या बढ़ा भी सकते हैं. वैसे 15 मिनट की अवधि पर्याप्त मानी गई है.

डॉ सतीश जैन की अब इस पर एक वैज्ञानिक अध्ययन करने की योजना है. लेकिन मौजूद वक्त की सबसे बड़ी मांग है फिटनेस तो क्यों न शुरू किया जाए रहना न्यूरोफिट.