ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
आज पूरे देश में सुहागिन महिलाओं द्वारा करवा चौथ का व्रत धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व भारतीय संस्कृति में पति की दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य और दांपत्य सुख के लिए विशेष रूप से समर्पित है। व्रत के दौरान महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाकर व्रत आरंभ करती हैं और रात को चंद्र दर्शन एवं पूजा के बाद जल ग्रहण कर उपवास तोड़ती हैं।
इस पर्व में शाम की पूजा का विशेष महत्व होता है, और इसी समय महिलाएं सोलह श्रृंगार (16 Shringar) करती हैं। यह श्रृंगार केवल सौंदर्य के लिए नहीं, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत शुभ माना गया है।
सोलह श्रृंगार एक ऐसी परंपरा है जो प्राचीन काल से भारतीय स्त्रियों द्वारा निभाई जाती रही है। यह श्रृंगार नारीत्व, सौंदर्य, शक्ति और सुहाग की निशानी माना जाता है। विशेष रूप से करवा चौथ के दिन, यह श्रृंगार देवी पार्वती के प्रतीक के रूप में किया जाता है, ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त हो।
हर एक श्रृंगार का एक विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं विस्तार से:
सिंदूर (Vermillion):
मांग में लगाया जाता है। पति की लंबी उम्र और सुहाग की निशानी मानी जाती है।
बिंदी (Forehead Dot):
माथे पर सजाई जाती है। यह सौंदर्य को निखारती है और ध्यान केंद्रित करने का प्रतीक भी मानी जाती है।
मांगटीका:
सिर के बीचोंबीच लगाया जाता है। यह तीसरे नेत्र का प्रतीक होता है।
काजल:
आंखों की सुंदरता बढ़ाता है और बुरी नजर से बचाने के लिए लगाया जाता है।
नथ (नाक की बाली):
परंपरा अनुसार यह नारी की शुद्धता और विवाहिता होने का प्रतीक है।
झुमके (Earrings):
स्त्री के सौंदर्य को बढ़ाते हैं और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी लाभकारी माने जाते हैं।
हार (Necklace):
गले में पहना जाने वाला आभूषण, जो प्रेम और बंधन का प्रतीक होता है।
मंगलसूत्र:
विवाह का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक। पति के जीवन की रक्षा के लिए इसे धारण किया जाता है।
चूड़ियां (Bangles):
सुहाग का चिन्ह। चूड़ियों की खनक सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है।
बाजूबंद (Armlet):
भुजाओं पर पहना जाता है, यह शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है।
अंगूठी (Rings):
विवाहित जीवन की पूर्णता और सौंदर्य का प्रतीक होती है।
कमरबंद (Kamarband):
कमर को सजाने वाला आभूषण। यह शरीर की मुद्रा को सुंदर बनाता है।
पायल (Anklets):
सुहागन स्त्री की पहचान। इनकी छनक से घर में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है।
बिछुए (Toe Rings):
विवाहित महिलाओं के पैरों में पहनने का आभूषण, जो सुहाग का प्रतीक है।
महावर / मेहंदी (Henna):
हाथों और पैरों पर रचाई जाती है। यह प्रेम और शुभता का प्रतीक मानी जाती है। मान्यता है कि जितनी गहरी मेहंदी रचती है, उतना ही गहरा प्यार होता है।
इत्र या सुगंधित तेल:
शरीर से सुगंध आने से मानसिक शांति और वातावरण में सकारात्मकता बनी रहती है।
महिलाएं श्रृंगार करने के बाद सज-धज कर पूजा के लिए तैयार होती हैं।
करवे में जल, चावल, सूखा मेवा, हल्दी, रोली आदि रखे जाते हैं।
चंद्रमा निकलने के बाद छलनी से चंद्रमा को देखा जाता है और फिर उसी छलनी से पति को देखकर जल ग्रहण किया जाता है।
पति के हाथ से जल और मिठाई खाकर व्रत खोला जाता है।
(सटीक समय स्थान विशेष पर निर्भर करता है, कृपया स्थानीय पंचांग देखें)
करवा चौथ न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने का प्रतीक भी है। यह दिन नारी शक्ति, प्रेम, समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक बनकर हर साल एक नई ऊर्जा देता है।