आवाज द वाॅयस/नई दिल्ली
— हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस हमले को लेकर सेना के पूर्व अधिकारी और अभिनेता मेजर (डॉ.) मोहम्मद अली शाह ने आतंकवादियों को संबोधित करते हुए एक तीखा और भावनात्मक खुला पत्र लिखा है, जो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया जा रहा है.
अपने पत्र में मेजर शाह ने हमलावरों को "रीढ़विहीन कायरों की टोली" बताते हुए कहा कि इस हमले ने उन्हें गहरे आघात और क्रोध में डाल दिया है. उन्होंने खुद को एक टूटे दिल वाले भारतीय मुसलमान के रूप में संबोधित करते हुए साफ शब्दों में आतंकवादियों की निंदा की और कहा कि इस तरह की हिंसा न केवल निर्दोषों की हत्या है, बल्कि भारत की आत्मा पर हमला है.
शाह ने लिखा, "जब तुमने पहलगाम में नागरिकों पर हमला किया, तो तुमने हर उस भारतीय के दिल को छलनी कर दिया जो अभी भी एकता, शांति और न्याय में विश्वास करता है." उन्होंने कहा कि वह ऐसे परिवार से आते हैं जिसकी सेवा और देशभक्ति की गहरी जड़ें हैं.
उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीर उद्दीन शाह सेना के उप प्रमुख रह चुके हैं और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति भी.मेजर शाह ने उन फिल्मों का भी जिक्र किया जो उन्होंने कश्मीर की वादियों में की हैं — हैदर, बजरंगी भाईजान, मोज़ी, और अवरोध जैसी परियोजनाओं में उन्होंने प्रेम और एकता के संदेश को दर्शाया था. उन्होंने कहा कि आतंकवादी इन घाटियों की पवित्रता को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन "आपकी गोलियां सुंदरता को दबा नहीं सकतीं. आपकी नफरत सद्भाव को मिटा नहीं सकती."
उन्होंने आतंकियों को चुनौती देते हुए पूछा कि क्या वे वास्तव में इस्लाम या कश्मीर के नाम पर लड़ रहे हैं — और जवाब में कहा, “नहीं, यह जिहाद नहीं है. यह गुनाह है.” उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस्लाम निर्दोषों की रक्षा करना सिखाता है, न कि उनका कत्ल करना.शाह ने यह भी बताया कि कैसे देशभक्त मुसलमानों को आतंकवाद की वजह से बार-बार संदेह और स्पष्टीकरण का सामना करना पड़ता है — "हमें उन अपराधों की सफाई देनी पड़ती है जो हमने किए ही नहीं."
पत्र के अंत में उन्होंने आतंकियों को कड़ी चेतावनी दी: “आपने सिर्फ़ कश्मीर पर हमला नहीं किया, आपने हम सब पर हमला किया है. लेकिन हम—असली मुसलमान, असली भारतीय—अभी भी खड़े हैं। और हम गुस्से में हैं। डरे नहीं—गुस्से में.”
मेजर शाह ने पहलगाम हमले में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को श्रद्धांजलि देते हुए न्याय का वादा किया और कहा कि इस देश की आत्मा तक यह आवाज गूंजेगी.
"जय हिंद!" के नारे के साथ खत्म हुआ यह पत्र आज देश के उन तमाम लोगों की आवाज़ बन गया है जो आतंकवाद और नफरत के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हैं.