आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
अमेरिका का एक स्टार्टअप उपग्रहों के एक प्रस्तावित समूह के जरिये ‘‘मांग आधारित सूर्य का प्रकाश’’ उत्पन्न करने की योजना पर काम कर रहा है, जिसके लिए दर्पणों का उपयोग किया जाएगा जो सूर्य की रोशनी को पृथ्वी पर भेजेंगे।
इसकी शुरुआत 18 मीटर के परीक्षण उपग्रह, इयरेंडिल-1 से करने की योजना है, जिसे 2026 में प्रक्षेपित करने के लिए कंपनी ने आवेदन किया है। नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, इसके बाद 2030 तक लगभग 4,000 उपग्रह कक्षा में स्थापित किए जाएंगे।
क्या ‘रिफ्लेक्ट ऑर्बिटल’ के उपग्रह विज्ञापन के अनुसार काम भी कर सकते हैं?
सूर्य के प्रकाश का परावर्तन
जिस तरह आप सूर्य की रोशनी को परावर्तित करके प्रकाश का एक बिंदु बनाते हैं, उसी तरह रिफ्लेक्ट ऑर्बिटल के उपग्रह पृथ्वी के एक हिस्से पर प्रकाश की किरण करने के लिए दर्पणों का उपयोग करेंगे।
लेकिन इसमें शामिल पैमाना बहुत अलग है। रिफ्लेक्ट ऑर्बिटल के उपग्रह जमीन से लगभग 625 किमी ऊपर परिक्रमा करेंगे, और अंततः उनके दर्पण 54 मीटर चौड़े होंगे।
जब आप अपनी घड़ी से प्रकाश को पास की दीवार पर परावर्तित करते हैं, तो प्रकाश का बिंदु बहुत चमकीला हो सकता है। लेकिन अगर आप इसे दूर की दीवार पर परावर्तित करते हैं, तो वह बिंदु बड़ा और धुंधला हो जाता है।
ऐसा इसलिए है कि सूर्य के प्रकाश का एक बिंदु नहीं है, बल्कि आकाश में आधा डिग्री के कोण पर फैला हुआ है। इसका मतलब है कि लंबी दूरी पर, एक सपाट दर्पण से परावर्तित सूर्य की किरण आधे डिग्री के कोण पर फैलती है।
व्यवहार में इसका क्या अर्थ है? आइए लगभग 800 किलोमीटर की दूरी से सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करने वाले एक उपग्रह का उदाहरण लें - क्योंकि 625 किमी की ऊंचाई पर स्थित उपग्रह हमेशा सीधे ऊपर नहीं होगा, बल्कि एक कोण पर सूर्य के प्रकाश को किरणित करेगा। रोशन जमीन का वह भाग कम से कम सात किमी चौड़ा होगा।