नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि कश्मीरी पंडितों के पलायन की जांच होनी चाहिए.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘घटनाओं को देखने के लिए एक स्वतंत्र न्यायिक जांच आयोग नियुक्त करें. इससे पता चलेगा कि कौन जिम्मेदार था.’’
उन्होंने केंद्र सरकार से कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए तत्काल कदम उठाने का भी आग्रह किया.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘कई लोगों को कुछ समय के लिए उनकी मासिक मुआवजा राशि नहीं मिली है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसे क्यों रोका गया है? उच्च मुद्रास्फीति के इस समय में वे अपने जीवन का प्रबंधन कैसे कर सकते हैं?’’
विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बाद, कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा पर सुर्खियों में आने के बाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख 1989-90में घाटी में अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में अपनी ‘विफलता’ के लिए आलोचना कर रहे हैं.
उस अशांत वर्ष के दौरान, अब्दुल्ला तत्कालीन राज्य के मुख्यमंत्री थे और मुफ्ती मोहम्मद सईद वी.पी. में केंद्रीय गृह मंत्री थे. सिंह सरकार, जिसे भाजपा और कम्युनिस्ट दोनों का समर्थन प्राप्त था.
कश्मीरी पंडित समुदाय उनके खिलाफ हिंसा को रोकने में उनकी विफलता के लिए उन पर हमला करता रहा है. समुदाय पलायन को ‘नरसंहार’ कहता है और हिंसा के लिए अब्दुल्ला को जिम्मेदार ठहराया है.
अब्दुल्ला ने बदले में, कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल, जगमोहन को दोषी ठहराया है, और भाजपा पर समुदाय को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करने और बदले में कुछ नहीं करने का आरोप लगाया है.