केजरीवाल सरकार के फैसले से मेट्रो न बन जाए दिल्ली-एनसीआर में कोरोना फैलने का जरिया ?

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 04-01-2022
कहीं दिल्ली मेट्रो का गलत प्रबंधन तो कोरोना को बढ़ावा नहीं दे रहा ?
कहीं दिल्ली मेट्रो का गलत प्रबंधन तो कोरोना को बढ़ावा नहीं दे रहा ?

 

मलिक असगर हाशमी 
 
दिल्ली के उप-मुख्य मंत्री मनीष सिसोदिया ने राजधानी में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेज उछाल को देखते हुए मंगलवार को कुछ और कड़े प्रबंधन का ऐलान किया है. इसमें सप्ताहांत कर्फ्यू, सरकार कर्मचारियों के घर से और प्राइवेट कार्यालयों में 50 फीसदी की क्षमता से काम करने की इजाजत देने सहित कई निर्णय शामिल हैं. दिल्ली में नाईट कर्फ्यू की व्यवस्था पहले से लागू है. 

केजरीवाल सरकार के इन फैसलों के पीछे उद्देश्य है कि लोग सड़कांे पर कम दिखें. भीड़़ न लगाएं. मनीष सिसोदिया ने कहा है कि लोग घरों से कम निकलें. परिवार के साथ समय बिताएं या ज्यादा से ज्यादा घर से या ऑनलाइन काम करें. मगर दिल्ली सरकार का एक फैसला लोगों को हजम नहीं हो रहा है. वह है दिल्ली रोडवेज और दिल्ली मेट्रो को पूरी क्षमता से चलाने का. 
 
बात सिर्फ मेट्रो की  करें तो दिल्ली सरकार को इस की मौजूदा स्थिति का पता होना चाहिए. दिल्ली मेट्रो से करीब 17.5 लाख लोग रोजाना सफर करते हैं. इस कोरोना काल में भी 390 किलोमीटर लंबे मेट्रो लाइन के 286 स्टेशनों पर प्रतिदिन पिक आॅवर में भगदड़ की सी स्थिति रहती है.
 
हालत यह है कि देश में जब कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है. बावजूद इसके यात्रियों की सुरक्षा के लिए मेट्रो की आंतरिक स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं दिख रहा है.
 
सिवाय इसके कि बिना मास्क पहने लोगों का चालान काटने में मुस्तैदी दिखाने के. मेट्रो स्टेशन पर लगी अधिकांश सेनेटाइजर मशीनें खराब हैं या बंद पड़ी हैं.
 
उन्हें ठीक कराने की किसी को सुध नहीं. स्टेशन के बाहर यात्रियों का तापमान लेने और उनकी हथेलियों पर सेनेटाइजर का छिड़काव करने वाले भी केवल औपचारिकता निभाते दिखते हैं.
 
स्टेशनों को थोड़े-थोड़े समय पर सेनेटाइज करने की कोई व्यवस्था नजर नहीं आती. ट्रेन के डिब्बों में भी घोषित नियमों का पालन कराने वाला कोई मेट्रो स्टाफ
नहीं दिखता.
 
अभी दिल्ली-एनसीआर में कोरोना फैलने की रफ्तार 8. 3 प्रतिशत है. इतनी तेज रफ्तार देश के किसी अन्य हिस्सों में नहीं है. दिल्ली मेट्रो में सफर करने वाले दिल्ली-एनसीआर के लोग ही होते हैं.
 
जाहिर है दिल्ली और इससे लगते शहरों में कोरोना पहुंचाने वाले यही यात्री हो सकते हैं. इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने इसकी व्यवस्था दुरूस्त करने की बजाए इसे पूरी क्षमता से चलाने का ऐलान कर दिया. अभी मेट्रो स्टेशनों के एक को छोड़ कर तमाम दरवाजे बंद रहते हैं, जिससे रोजना हजारों की संख्या में लोग गेट के बाहर अपनी बारी का कतारों में खड़े रहकर इंतजार करते रहतेे हैं. 
 
एक तरफ तो सरकार भीड़ न जुटे इसके लिए तरह-तरह के प्रतिबंध लागू कर रही है. दूसरी तरफ अव्यवस्था के चलते मेट्रो के बाहर यात्रियों की लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं.
 
ऐसे में मेट्रो यात्री कोरोना के वाहक नहीं बनेंगे तो क्या बनेंगे ? कोरोना को देखते हुए मेट्रो स्टेशन के बाहर भीड़ न लगे इसके लिए तमाम गेट को खोलने तथा 50 प्रतिशत यात्री की क्षमता के साथ मेट्रो की फेरी बढ़ाने की बजाए उल्टे-सीधे नुुस्खे आजमाए जा रहे हैं.