नई दिल्ली, 20 सितंबर (एएनआई) — भारतीय सशस्त्र बल इस माह 1965 के भारत-पाक युद्ध में मिली विजय की हीरक जयंती (60 वर्ष) मना रहे हैं। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक में युद्ध के दिग्गजों और शहीदों के परिजनों से मुलाकात कर उनके साहस और बलिदान को नमन किया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने 1965 में घुसपैठ, गुरिल्ला हमलों और अचानक आक्रमणों से भारत को डराने की कोशिश की थी, लेकिन उसे अंदाज़ा नहीं था कि हर भारतीय सैनिक मातृभूमि की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। उन्होंने असल उत्तर, चाविंडा और फिल्लौरा जैसी निर्णायक लड़ाइयों का विशेष उल्लेख करते हुए भारतीय सैनिकों की बहादुरी को याद किया।
इस मौके पर कई युद्धवीरों ने भी अपने अनुभव साझा किए।
कर्नल एच.सी. शर्मा (रिटायर्ड), 13 पंजाब रेजीमेंट ने लाहौर के पास स्थित डोगराई की लड़ाई को याद किया। उन्होंने बताया कि किस तरह अंधेरे में दुश्मन की गोलाबारी के बीच भारतीय सैनिकों ने टैंकों की मदद से दुश्मन को पछाड़कर डोगराई पर कब्जा कर लिया और पाकिस्तानी टैंक व हथियार जब्त किए।
मानद कैप्टन जगधीर सिंह (रिटायर्ड), 52 माउंटेन रेजीमेंट ने तितवाल सेक्टर की लड़ाई का जिक्र करते हुए बताया कि उनकी रेजीमेंट ने दुश्मन की आपूर्ति लाइन काट दी और गोरखा बटालियन ने संजौई और मीरपुर पोस्ट पर कब्जा कर लिया।
मेजर सुधर्शन सिंह (रिटायर्ड), 1 डोगरा रेजीमेंट ने बताया कि उनकी यूनिट ने हरवार इलाके में 14 पाकिस्तानी टैंकों को धोखे से पानी में फंसाकर तोपखाने से ध्वस्त कर दिया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विशेष रूप से परमवीर चक्र विजेता कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद की वीरता को याद किया, जिन्होंने असल उत्तर की लड़ाई में अपनी जान की बाजी लगाकर कई दुश्मन टैंकों को ध्वस्त कर दिया था।