यूपी में सर्वे शुरू: जानिए, वह 12 सवाल जिसने मदरसा संचालकों में मचा रखा है बवाल

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 13-09-2022
यूपी में सर्वे शुरू: जानिए, वह 12 सवाल जिस पर टिका है मदरसा सर्वेक्षण
यूपी में सर्वे शुरू: जानिए, वह 12 सवाल जिस पर टिका है मदरसा सर्वेक्षण

 

मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली

मुस्लिम एवं इस्लामिक संगठनों के तमाम तर्कों और विरोध के बावजूद उत्तर प्रदेश में गैर पंजीकृत एवं प्राइवेट मदरसों के सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है. सर्वे करने वाली टीम घूम-घूमकर मदरसा संचालकों से उन बारह सवालों के जवाब पूछ रही है, जिसपर के आधार पर आगे की कार्रवाई टिकी है.

यूं तो देखने-समझने में सारे सवाल मामूली और आम से लगते हैं, पर इसमें से कुछ ऐसे हैं, जिसके जवाब बाद में मदरसा संचालकों को भारी पड़ने वाले हैं. जाहिर है यह सवाल मदरसों की व्यवस्था, भूखंड और आर्थिक मामलों से संबंधित हैं.
 
बता दें कि अभी यूपी मदरसांे के सर्वेक्षण को लेकर सियासी अखाड़ा बना हुआ है. सोशल मीडिया पर भी मदरसों को लेकर जुबानी जंग छिड़ी हुई है. चूंकि मामला प्राइवेट मदरसों के सर्वे से जुड़ा है, इस लिए विरोध के स्वर भी इस ओर से ही अधिक उठ रहे हैं.
 
वैसे आम लोग भी यह जानने को जिज्ञासु हैं कि आखिर ऐसे मदरसों के आंकड़े जुटाकर उत्तर प्रदेश सरकार क्या करने वाली है ? मदरसों के आंकड़े प्राप्त करने के बाद सूबाई सरकार क्या करेगी, अभी तक उसकी ओर से इसका खुलासा नहीं किया गया है.
 
मगर माना जा रहा है कि वित्त मामलों को लेकर कुछ मदरसे कानून के घेरे में लाए जा सकते हैं. एक वर्ग हमेशा बड़े निजी मदरसों में हिस्सेदारी और वित्त मामलों को लेकर सवाल उठाता रहा है.
 
बहरहाल, आइए जानते हैं उन बारह सवालों के बारे में, जो मदरसा संचालकों से पूछे जाने वाले हैं.बता दूं कि सवालों से संबंधित एक प्रोफार्मा तैयार किया गया है, जिसे लेकर सर्वे टीम मदरसों में पहुंच रही है और इसके संचालकों से प्रोफार्मा भरवा रही है. कई मदरसों को यह प्रोफार्मा पहले भी भेजा जा चुका है.
 
प्रोफार्मा में दिए गए 12 सवालों के जवाब के आधार पर ही मदरसों के सर्वे को लेकर आगे की कार्रवाई संभव है. सर्वे टीम मौके पर यह भी देखेगी कि दिए गए जवाबों की भौतिक स्थिति क्या है.
 
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बाहर सवाल या बवाल

सरकार ने मदरसों में होने वाले सर्वे के लिए सवालों का जो प्रोफार्मा तैयार किया है, इसमें 12 सवाल दिए गए हैं, जो इस तरह हैं.
 
मदरसे का नाम, मदरसे का संचालन करने वाली संस्था का नाम, मदरसे की स्थापना का वर्ष, मदरसा किराए के भवन में है या निजी भवन में, मदरसे में पीने का पानी, शौचालय, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं हैं या नहीं, मदरसे में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या, मदरसे में शिक्षकों की संख्या, मदरसे में कौन सा पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है.

मदरसे की इनकम का रास्ता क्या है. मदरसे में पढ़ने वाले छात्र क्या किसी और दूसरी संस्था में भी पंजीकृत हैं. क्या मदरसे किसी गैर सरकारी संस्था और समूह से संबद्ध हैं. सबसे आखिरी 12वें नंबर का सवाल अभिव्यक्ति है.
 
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सर्वेक्षण पर फूट डालने का आरोप

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने बयान में कहा कि कुछ राज्य सरकारों द्वारा धार्मिक मदरसों का सर्वेक्षण करवाने का फैसला वास्तव में हमवतन भाइयों के बीच दूरी पैदा करने की घिनौनी और नापाक साजिश है. उन्होंने आगे कहा कि धार्मिक मदरसों का एक उज्ज्वल इतिहास रहा है.
 
इन मदरसों में पढ़ने और पढ़ाने वालों के लिए चरित्र-निर्माण और नैतिक प्रशिक्षण का आयोजन चौबीसों घंटे होता है. कभी इन मदरसे में पढ़ने और पढ़ाने वालों ने आतंकवाद और साम्प्रदायिक घृणा पर आधारित कोई कार्य नहीं किया.
 
हालांकि कई बार सरकार ने इस प्रकार के आरोप लगाए हैं. चूंकि यह अब तक सिद्ध नहीं हो पाए हैं, इसलिए मदरसों के आतंकवादियों की फैक्ट्री होने के कोई सबूत भी नहीं मिले हैं.
 
आजमगढ़ में सर्वे की कार्रवाई शुरू

आजमगढ़ जिला प्रशासन मदरसों के सर्वे में जुट गया है. जिले के एडीएम प्रशासन अनिल कुमार मिश्रा को नोडल अधिकारी बनाया गया है. जिले में ऐसे मदरसों का सर्वे किया जा रहा है जो रजिस्टर्ड नहीं हैं. इस महीने के अंत तक इसे पूरा कर शासन को रिपोर्ट देनी है.
 
सर्वे के लिए जिले की सभी तहसीलों के एसडीम के नेतृत्व में टीम बनाई गई है. बेसिक शिक्षा अधिकारी और अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को नामित किया गया है. नामित सदस्य जाकर मदरसों का भौतिक सत्यापन करेंगे.
 
साथ ही यह भी पता किया जाएगा कि जिस जमीन पर मदरसों का निर्माण हुआ है वह सही है या नहीं. इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी. प्रशासन का कहना है कि जिले में रजिस्टर्ड मदरसों की सूची तहसील स्तर पर बनाई जा रही है.
 
जिले में पंजीकृत मदरसों की संख्या 387

जिले में पंजीकृत मदरसों की संख्या 387 है. इसके अलावा जिले में बड़ी संख्या में ऐसे मदरसे भी हैं जो रजिस्टर्ड नहीं हैं. इन की जांच अभियान के तहत की जाएगी. सूत्रों की मानें तो जिले में 800 से अधिक मदरसे ऐसे हैं जो कहीं रजिस्टर्ड नहीं हैं. सर्वे के दौरान इन मदरसों की जांच की जाएगी. 
 
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बुलंदशहर में सर्वेक्षण 

बुलंदशहर में मदरसों के सर्वे के लिए टीमों को गठित किया गया है. डीएम चंद्रप्रकाश सिंह के आदेश पर जनपद में मदरसों के सर्वे को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है. एसडीएम सदर के मुताबिक, तहसील स्तर पर सर्वे की टीम गठित कर दी गई है.
 
खण्ड शिक्षा अधिकारी, तहसीलदार, लेखपाल और कानूनगो सर्वे का कार्य पूरा करेंगे. एसडीएम सदर अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि मंगलवार से सर्वे का कार्य शुरू कर दिया गया. 5 अक्टूबर तक शासन को रिपोर्ट प्रेषित कर दी जाएगी.
 
शासन के निर्देश पर सर्वे

शासन ने बिना मान्यता के संचालित मदरसों का सर्वे करने का आदेश जारी किया है. इसके बाद जिलाधिकारी चंद्रप्रकाश सिंह ने एसडीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी है. जिला बेसिक शिक्षाधिकारी और अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को शामिल किया गया है. इसके नोडल अधिकारी एडीएम बनाए गए हैं.
 
एसडीएम करेंगे अध्यक्षता

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने बताया, जिले में करीब 120 मदरसे ऐसे हैं, जो बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं. मंगलवार से इनका सर्वे शुरू किया गया है. टीम की अध्यक्षता एसडीएम कर रहे हैं.
 
गोंडा में मदरसों का सत्यापन

सरकार ने मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर राज्य के सभी जिलाधिकारियों को सर्वे कराने के निर्देश दिए हैं. जनपद के मदरसों के सत्यापन के लिए डीएम ने टीम का गठन किया है. टीम अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के नेतृत्व में काम करेगी.
 
जिले में 500 मदरसे वैध रूप से चलाए जा रहे हैं. इसमें से कुछ कुछ गैर अनुदानित और कुछ एडेड हैं. वहीं, जिले का एक बहुत बड़ा मदरसा, जिस पर अवैध रूप से संचालन होने की बात बताई जा रही है. इस मामले में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने बताया कि अभी इसकी जानकारी नहीं है. जानकारी मिलने पर जांच कराई जाएगी.
 
प्रभारी अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी गौरव स्वर्णकार ने बताया कि प्रशासन की ओर से गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे का आदेश आया हुआ है. इसके संबंध में टीम गठित की जानी है. शासन ने गाइडलाइन दे दी है.
 
(सोशल मीडिया इनपुट पर आधारित)