Streaming platforms' bias against Indian screenwriters is 'modern colonialism': Anjum Rajabali
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
पटकथा लेखक अंजुम रजबअली ने अंतरराष्ट्रीय लेखकों की तुलना में उनके भारतीय समकक्षों के साथ अनुचित व्यवहार करने को लेकर वैश्विक स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म की आलोचना की और इस पूर्वाग्रह को ‘‘आधुनिक उपनिवेशवाद’’ करार दिया।
रजबअली ‘गुलाम’, ‘पुकार’, ‘द लीजेंड ऑफ भगत सिंह’ और ‘राजनीति’ जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। वह ‘इंटरनेशनल एफिलिएशन ऑफ राइटर्स गिल्ड्स’ की वार्षिक आम बैठक के दौरान एक विशेष पैनल चर्चा को संबोधित कर रहे थे।
इसका आयोजन ‘स्क्रीनराइटर्स एसोसिएशन’ (एसडब्ल्यूए) द्वारा पहली बार भारत में किया गया था।
तीन दिवसीय वैश्विक सम्मेलन में यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के 15 गिल्ड के प्रतिनिधियों ने दुनिया भर के लेखकों के समक्ष पेश आने वाले गंभीर मुद्दों पर चर्चा की।
रजबअली ने कहा, “यह आधुनिक उपनिवेशवाद है क्योंकि आप (स्ट्रीमर्स) उनके (अंतरराष्ट्रीय लेखकों) जैसा हमारे साथ व्यवहार नहीं कर रहे हैं। अगर वे इन अधिकारों के हकदार हैं, तो हम भी हैं।”
उन्होंने कहा, “जो कंपनियां उन्हें कानूनी तौर पर अतिरिक्त राशि देती हैं, वही कंपनियां हमें कानूनी तौर पर रॉयल्टी देने से इनकार कर रही हैं।”
उचित पारिश्रमिक और अनुबंध से जुड़े अधिकारों के लिए एसडब्ल्यूए की लड़ाई में सबसे आगे रहे रजबअली ने कहा कि व्यवस्था लेखकों के खिलाफ बनी हुई है।
उन्होंने कहा, “भारत में फिल्म निर्माता और स्ट्रीमर सामंती व्यवस्था के तहत काम कर रहे हैं और हर बड़ी कंपनी, यूनियन को अपने ऊपर प्राधिकार हासिल करने देने से डरती है।”