बटला हाउस में संपत्तियों को ध्वस्त करने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह सुनवाई करेगा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 29-05-2025
SC to hear next week plea against demolition of properties in Batla House
SC to hear next week plea against demolition of properties in Batla House

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यहां जामिया नगर में बटला हाउस में संपत्तियों के विध्वंस नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करने पर सहमति जताई.
 
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अवकाश पीठ ने मामले को अगले सप्ताह पोस्ट करने पर सहमति जताई, क्योंकि वकील ने मामले की जल्द सुनवाई का उल्लेख किया. बटला हाउस में संपत्ति रखने वाले सुल्ताना शाहीन और 39 अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि 27 मई को उनकी संपत्तियों पर 15 दिन का निष्कासन/विध्वंस नोटिस चिपकाया गया था.
 
वकील अदील अहमद के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि यह 7 मई के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किया गया था, जिसमें दिल्ली सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को बटला हाउस क्षेत्र में अवैध संपत्तियों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था. उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई गलत है, क्योंकि उन्हें कभी भी उस मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया और उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया. याचिका में कहा गया है, "वे खसरा संख्या 271 और 279, बटला हाउस के वास्तविक निवासी और संपत्ति के मालिक हैं, जिन्हें अब रिट याचिका में पक्षकार बनाए बिना या सुनवाई का अवसर दिए बिना न्यायालय के 7 मई, 2025 के आदेश के अनुसार 27 मई, 2025 को 15 दिन का बेदखली/विध्वंस नोटिस प्राप्त हुआ है." 
 
याचिका में कहा गया है कि प्रभावित निवासियों को सुनवाई का पर्याप्त और सार्थक अवसर दिए बिना शुरू किया गया कोई भी व्यापक विध्वंस अभियान प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का घोर उल्लंघन और संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(ई) और 21 के तहत निहित मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन होगा. याचिका में आगे कहा गया है कि "प्रभावित निवासियों का समूह, जिनके घर इस क्षेत्र में आते हैं, अब पीएम-उदय के दायरे से बाहर होने के कथित आधार पर ध्वस्त किए जाने की मांग कर रहे हैं. वैध शीर्षक दस्तावेज़, 2014 से पहले निरंतर कब्जे का प्रमाण और संपत्ति अधिकार मान्यता अधिनियम, 2019 के तहत पात्रता होने के बावजूद योजना कवरेज." पीएम-उदय एक ऐसी योजना है जिसका उद्देश्य दिल्ली में अधिसूचित अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को संपत्ति के अधिकार प्रदान करना या उन्हें मान्यता देना है.
 
ध्वस्तीकरण आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए, याचिकाकर्ताओं ने इस दावे को चुनौती दी कि ये संपत्तियाँ सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण हैं। याचिका में कहा गया, "अधिकारी अनियमित अतिक्रमणों और वास्तविक आवंटियों, जीपीए धारकों या नियमितीकरण आवेदकों के बीच अंतर करने में विफल रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप घोर मनमानी हुई है." याचिकाकर्ताओं ने पीएम-उदय के तहत उनकी पात्रता की पुष्टि किए बिना या प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए बिना उनकी संपत्तियों के खिलाफ सीलिंग, ध्वस्तीकरण या उपयोगिताओं के कनेक्शन काटने सहित कोई भी कठोर कदम उठाने से अधिकारियों को रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की.