Ravi Shankar Prasad calls on Indian community in France to highlight India's fight against terrorism
आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं सांसद रविशंकर प्रसाद ने फ्रांस में भारतीय समुदाय के सदस्यों से अपील की कि वे आतंकवाद के वैश्विक अभिशाप के खिलाफ लड़ रहे ‘ब्रांड इंडिया’ को शांति के प्रतीक के रूप में प्रदर्शित करने के लिए हर संभव प्रयास करें.
प्रसाद के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार शाम पेरिस में भारतीय प्रवासी समुदाय के प्रमुख सदस्यों और सामुदायिक नेताओं की एक सभा को संदेश दिया कि पिछले महीने पहलगाम में हुआ आतंकवादी हमला केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में शांति और विकास को कमजोर करने के लिए जानबूझकर किया गया प्रयास था.
प्रसाद ने कहा कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए ‘‘सटीक, लक्षित, आनुपातिक और तनाव नहीं बढ़ाने वाली’’ प्रतिक्रिया दी और इसका लक्ष्य पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी ढांचे थे. प्रसाद ने प्रवासियों से कहा, ‘‘जब मैं भारत की प्रगति देखता हूं, तो मुझे आप सभी पर बहुत गर्व होता है क्योंकि आप (देश के) ‘ब्रांड एंबेसडर’ हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘कृपया ‘ब्रांड इंडिया’ को ठीक से प्रदर्शित करें, यह दर्शाएं कि हम शांति और सौहार्द के लिए काम करते हैं लेकिन अगर आतंकवादी निर्दोष भारतीयों को मारेंगे तो उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी. यही ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जीत है.’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल के मुख्य संदेश को दोहराया कि आतंकवाद के हर कृत्य को युद्ध के रूप में देखा जाएगा, ‘‘क्योंकि पाकिस्तान में आतंकवाद और सरकारी प्रतिष्ठान एक साथ हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘और अगर आपसे (प्रवासियों से) इस बारे में सवाल पूछा जाता है कि प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) ने कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है - तो (जवाब दें कि) यह आतंकवाद का युग भी नहीं है. आतंकवाद एक वैश्विक अभिशाप है, एक वैश्विक कैंसर है, जो सभ्य समाज की हत्या कर रहा है.’’
इस बीच लोकसभा सदस्य डी पुरंदेश्वरी ने भी कहा कि यह प्रतिनिधिमंडल वैश्विक समुदाय के सामने आतंकवाद के बारे में कुछ ‘‘कठोर सच्चाई’’ पेश करने के लिए यूरोप में है.
आंध्र प्रदेश की नेता पुरंदेश्वरी ने तेलुगु में सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारत ने सीमा पार आतंकवाद को काफी समय तक झेला है... लेकिन अब भारत ने कह दिया है कि बस बहुत हो गया. आज हमारे पास ऐसा नेतृत्व है जो चीजों को हल्के में लेने को तैयार नहीं है. हम एक जिम्मेदार देश रहे हैं और हमने कभी किसी देश के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं किया लेकिन आज हमारा धैर्य जवाब दे गया है.’’
राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आतंकवाद दक्षिण एशिया में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में शांति के लिए खतरा बन गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम न केवल अपना गुस्सा व्यक्त करने आए हैं बल्कि यह दृढ़ विश्वास भी दिखाने आए हैं कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रूप में जो शुरू हुआ है, वह केवल एक पारंपरिक लड़ाई नहीं है. यह सभी रूपों में, सभी संभावनाओं में तथा सभी संभव स्थानों पर एक जवाबी लड़ाई होगी, जिससे भारत दुनिया को, विशेषकर पाकिस्तान को बताएगा कि हम तुम्हारे आतंकवाद के कारण भारतीयों द्वारा गंवाए गए प्रत्येक जीवन के लिए तुम्हें जवाबदेह ठहराएंगे.’’
कश्मीर से राज्यसभा सदस्य गुलाम अली खटाना ने जम्मू कश्मीर में पर्यटन में आए उछाल का जिक्र किया. आतंवादियों ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आम नागरिकों को निशाना बनाया था.
खटना ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से की गई ऐसी किसी भी कार्रवाई को भारत द्वारा ‘‘युद्ध की कार्रवाई’’ के रूप में देखा जाएगा.
कांग्रेस सांसद डॉ. अमर सिंह ने इस बात का जिक्र किया कि सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक मतभेदों के बावजूद यह सर्वदलीय पहल ‘‘आतंकवाद के खिलाफ एकजुट मोर्चा’’ पेश करने के लिए एक साथ आई है.
राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने भी उस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न दलों के नेताओं के शामिल होने की बात दोहराई जिसका उद्देश्य पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के प्रायोजक के रूप में उजागर करना है.
उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान कभी नहीं बदलेगा… अब समय आ गया है कि इसे एक आतंकवादी देश के रूप में कूटनीतिक रूप से अलग-थलग कर दिया जाए.’’
‘ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम’ के नेता एम थंबीदुरई ने भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ दुनिया के एकजुट होने का संदेश दोहराया.
पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री एम जे अकबर ने कहा, ‘‘पाकिस्तान में आतंकवाद कभी-कभार होने वाली गतिविधि नहीं है. यह किसी देश में मौजूद किसी अपराधी वर्ग की गतिविधि नहीं है. आतंकवाद उसकी सरकार की नीति है.’’
रेस्तरां मालिकों, तकनीकी पेशेवरों और भारतीय मूल के व्यापारियों सहित समुदाय के सदस्यों ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के साथ अपनी पूर्ण एकजुटता व्यक्त की.
भारत के कूटनीतिक प्रयासों के तहत सात प्रतिनिधिमंडल दुनियाभर के देशों की 33 राजधानियों की यात्रा कर रहे हैं ताकि विशेष रूप से 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर आतंकवाद को लेकर भारत की प्रतिक्रिया और पाकिस्तान की मंशा के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपनी बात रखी जा सके.
पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है.
पहलगाम हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने छह मई की देर रात पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी ढांचों पर सटीक हमले किए थे, जिसके बाद पाकिस्तान ने आठ, नौ और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले करने का प्रयास किया था.
भारतीय पक्ष ने पाकिस्तानी कार्रवाइयों का कड़ा जवाब दिया. दोनों पक्षों के सैन्य अभियानों के महानिदेशकों के बीच 10 मई को बातचीत के बाद सैन्य संघर्ष को रोकने पर सहमति बनी थी.