हाईकोर्ट ने 15 साला लड़की से निकाह करने वाले को मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत राहत देने से किया इनकार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 20-04-2024
Punjab and Haryana High Court
Punjab and Haryana High Court

 

नई दिल्ली. पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक मुस्लिम व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी, जिस पर जून 2023 में 15 वर्षीय लड़की के अपहरण का मामला दर्ज किया गया था. न्यायमूर्ति हरप्रीत कौर जीवन ने उस व्यक्ति की इस दलील पर विचार करने से इनकार कर दिया कि उसने व्यक्तिगत कानून के अनुसार लड़की से शादी की थी और यह एक कानूनी ‘निकाह’ था, क्योंकि लड़की युवावस्था की उम्र प्राप्त कर चुकी थी.

बारएंडबैंच की एक रिपोर्ट के अनुसार, न्यायालय ने कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो अधिनियम), जो बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया है, एक बच्चे को 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है और अन्य कानूनों पर लागू होता है, जो असंगत हो सकते हैं.

न्यायालय ने यह भी तर्क दिया कि सहमति की वैधता के साथ उम्र की प्रासंगिकता है. न्यायालय ने कहा, ‘‘हालांकि याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि पीड़िता के साथ उसकी सहमति से निकाह किया गया है, लेकिन सहमति की वैधता अभी तक सुनिश्चित नहीं की गई है, जो विशेष अदालत द्वारा की जाने वाली जांच के फैसले के अधीन होगी.’’

आरोपी ने उच्च न्यायालय के पहले के फैसलों का हवाला था, जिसमें अदालत ने फैसला सुनाया था कि एक मुस्लिम लड़की जिसने युवावस्था प्राप्त कर ली है, वह अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी कर सकती है.

हालांकि, न्यायालय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा दायर एक अपील पर विचार कर लिया है और निर्देश दिया है कि अगले आदेशों तक, उच्च न्यायालय के फैसले को किसी अन्य मामले में एक मिसाल के रूप में भरोसा नहीं किया जाएगा. .

पीड़िता को उसके घर से ‘बोलेरो’ वाहन में कथित तौर पर अपहरण किए जाने के बाद नाबालिग लड़की के पिता द्वारा की गई शिकायत पर पुलिस ने पिछले साल आरोपी पर मामला दर्ज किया था. इस साल फरवरी में लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए बयान में कहा कि वह अपने माता-पिता के साथ नहीं जाना चाहती. उसकी उम्र को देखते हुए उसे पंजाब के बाल गृह में भेज दिया गया.

गिरफ्तारी से पहले जमानत की मांग करते हुए आरोपी ने दावा किया कि इस साल जनवरी में एक निजी डायग्नोस्टिक सेंटर द्वारा किए गए ओसिफिकेशन टेस्ट के अनुसार लड़की बालिग थी. हालांकि, राज्य ने अदालत को बताया कि स्कूल रिकॉर्ड के अनुसार लड़की का जन्म मार्च 2008 में हुआ था और इसकी उम्र लगभग 15 साल और नौ महीने है.

तथ्यों और प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, न्यायालय ने शुरुआत में कहा कि वह लड़की की उम्र के संबंध में जांच नहीं करेगी, क्योंकि यह पॉक्सो अधिनियम के तहत विशेष अदालत द्वारा निर्धारित किया जाना है. ओसिफिकेशन टेस्ट के संबंध में कोर्ट ने कहा कि इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह जांच जांच एजेंसी के सहयोग के बिना एक निजी चिकित्सक द्वारा की गई थी. कोर्ट ने यह भी कहा कि यह बहस का विषय है कि क्या ऑसिफिकेशन टेस्ट की रिपोर्ट स्कूल के रिकॉर्ड पर हावी होगी.

 

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