आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, सैन डिएगो स्कूल ऑफ़ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी नई दवा की पहचान की है, जो मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टेटोहेपेटाइटिस (MASH) गंभीर फैटी लिवर डिज़ीज़ को रोकने की दिशा में अहम कदम साबित हो सकती है. यह बीमारी मोटापे और टाइप-2 डायबिटीज़ से जुड़ी होती है और लिवर सिरोसिस, लिवर फेलियर और यहां तक कि लिवर कैंसर तक ले जा सकती है.
यह अध्ययन 23 अगस्त 2025 को द लैंसेट में ऑनलाइन प्रकाशित हुआ. इसमें ION224 नामक दवा का परीक्षण किया गया, जो लिवर में मौजूद DGAT2 नामक एंज़ाइम को ब्लॉक करती है। यह एंज़ाइम लिवर में फैट के निर्माण और भंडारण की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाता है। इसे रोकने से लिवर में फैट का जमाव और सूजन दोनों ही कम होते हैं, जो MASH के प्रमुख कारण हैं.
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता और यूसी सैन डिएगो स्कूल ऑफ़ मेडिसिन के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी व हेपेटोलॉजी डिवीज़न के प्रमुख डॉ. रोहित लूंबा ने कहा,
“DGAT2 को ब्लॉक करके हम बीमारी की जड़ को ही रोक रहे हैं लिवर में फैट के जमाव और सूजन को वहीं पर रोकना इस दवा की सबसे बड़ी खासियत है.”
यह मल्टीसेंटर फेज़-IIb क्लिनिकल ट्रायल अमेरिका में हुआ, जिसमें MASH और शुरुआती से मध्यम फाइब्रोसिस वाले 160 वयस्कों को शामिल किया गया। एक साल तक अलग-अलग डोज़ की दवा या प्लेसीबो के मासिक इंजेक्शन दिए गए.
नतीजों के मुताबिक, सबसे अधिक डोज़ पाने वाले 60% प्रतिभागियों में लिवर स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। खास बात यह रही कि यह सुधार वजन घटाने से स्वतंत्र था, यानी यह दवा अन्य उपचारों के साथ भी काम कर सकती है. किसी गंभीर साइड इफ़ेक्ट की रिपोर्ट नहीं मिली.
MASH, जिसे पहले नॉन-एल्कोहॉलिक स्टेटोहेपेटाइटिस (NASH) कहा जाता था, को ‘साइलेंट डिज़ीज़’ माना जाता है क्योंकि यह कई साल बिना लक्षण दिखाए बढ़ती रहती है। सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, अमेरिका में 10 करोड़ से अधिक लोग किसी न किसी रूप में फैटी लिवर डिज़ीज़ से पीड़ित हैं और विश्वभर में हर चार में से एक वयस्क प्रभावित हो सकता है.
डॉ. लूंबा ने कहा, “यह अपनी तरह की पहली दवा है जिसने MASH में वास्तविक जैविक असर दिखाया है। अगर फेज़-III ट्रायल में भी ये नतीजे दोहराए गए, तो हम मरीजों को एक ऐसा टार्गेटेड थैरेपी दे सकेंगे, जो लिवर डैमेज को रोकने या उलटने में मदद करेगी.