एमएसीटी ने मोटरसाइकिल चालक की मौत पर 49.46 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 05-08-2025
MACT orders compensation of Rs 49.46 lakh for death of motorcyclist
MACT orders compensation of Rs 49.46 lakh for death of motorcyclist

 

ठाणे
 
महाराष्ट्र के ठाणे जिले में स्थित मोटर अपघात दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने वर्ष 2019 में सड़क दुर्घटना में मारे गए 24 वर्षीय आईटी इंजीनियर के माता-पिता को 49.46 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
 
न्यायाधिकरण के सदस्य आर.वी. मोहिते की अध्यक्षता में दो अगस्त को दिए गए आदेश में कहा गया कि दोनों ओर से की गई लापरवाही के कारण यह दुर्घटना हुई। इस दुर्घटना में ट्रक चालक को 75 प्रतिशत और मोटरसाइकिल सवार (आईटी इंजीनियर) को 25 प्रतिशत जिम्मेदार ठहराया गया है।
 
इस हादसे में मारे गए स्वप्निल सुरेश गुलवी के माता-पिता ने एमएसीटी के समक्ष इस संबंध में याचिका दायर की थी।
 
याचिका के अनुसार, गुलवी 11 जनवरी 2019 को महाराष्ट्र के ठाणे शहर में घोड़बंदर रोड पर अपनी मोटरसाइकिल से जा रहे थे। इस दौरान उन्होंने एक बस स्टॉप के पास दाईं ओर से आ रही बस को ओवरटेक करने की कोशिश की।
 
बस चालक ने कथित तौर पर अचानक ब्रेक लगा दिए, जिससे मोटरसाइकिल टकरा गई और वह गिर गया। इसके बाद पीछे से आ रहे एक ट्रक ने उसे (गुलवी को) रौंद दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।
 
न्यायाधिकरण ने बस चालक को किसी भी लापरवाही के आरोप से मुक्त करते हुए कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह पता चले कि उसने बस स्टॉप पर वाहन रोकने के लिए अचानक ब्रेक लगाए थे।
 
न्यायाधिकरण ने पाया कि पीड़ित और ट्रक चालक दोनों ही अपने आगे चल रहे वाहनों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने में असफल रहे, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई।
 
विश्लेषण के आधार पर न्यायाधिकरण ने ट्रक चालक की लापरवाही 75 प्रतिशत तथा मृतक की लापरवाही 25 प्रतिशत आंकी।
 
एमएसीटी ने भविष्य की आय की हानि, भावी संभावनाओं और गैर-वित्तीय क्षति को शामिल करते हुए कुल मुआवजा 65,94,700 रुपये निर्धारित किए हैं। पीड़ित की ओर से की गई लापरवाही को ध्यान में रखते हुए न्यायाधिकरण ने मुआवजा की अंतिम राशि 49,46,025 रुपये निर्धारित की।
 
न्यायाधिकरण ने ट्रक मालिक और उसके बीमाकर्ता को संयुक्त रूप से और अलग-अलग दावेदारों को याचिका की तारीख से नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया।