जानिए जब आजमगढ़ के रोजेदारों के घर में पूजा ने लिए सात फेरे तो क्या हुआ ?

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 24-04-2022
जानिए जब आजमगढ़ के रोजेदारों के घर में पूजा ने लिए सात फेरे तो क्या हुआ ?
जानिए जब आजमगढ़ के रोजेदारों के घर में पूजा ने लिए सात फेरे तो क्या हुआ ?

 

एम मिश्रा /आजमगढ़ 
 
देश के दोचार शहरों में छिटपुट सांप्रदायिक हिंसा या कुछ लोगों द्वारा एक समुदाय विशेष के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी से मायूस होने की जरूरत नहीं. अभी भी भारत की गंगा-जमुनी तहजीब का परचम पहले की तरह ही पूरे शान से लहरा रहा है. अब इसका सबूत उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से सामने आया, जब रोजेदारों के घर में एक हिंदू लड़की ने न केवल सात फेरे लिए, वहां से ससुराल भी विदा हुई. इस सकारात्मक खबर के बारे में जो भी सुनता है तारीफ किए बिना नहीं रहता.

दरअसल, एक मुस्लिम परिवार ने अपने आंगन में सात फेरे लेने को हिंदू बेटी की शादी के लिए न सिर्फ मंडप सजाने दिया, रातभर घर की मुस्लिम महिलाओं ने हिंदू महिलाओं के साथ मंगल गीत भी गाए. इतना ही नहीं मुस्लिम परिवार ने  शादी के खर्च में भी खुलकर योगदान दिया.
 
आजमगढ़ शहर के एलवाल क्षेत्र के निवासी राजेश चैरसिया पान की दुकान लगाकर परिवार का भरण पोषण करते हैं. उनकी बहन शीला के पति की दो साल पहले कोरोना से मौत हो गई थी. इसके बाद चैरसिया ने अपनी भतीजी पूनम के हाथ पीले करने का फैसला किया.
 
उन्होंने अपनी भतीजी पूजा की शादी तय कर दी, लेकिन समस्या यह थी कि राजेश के पास रहने के लिए घर के अलावा कुछ नहीं था. इतना ही नहीं, उसकी आर्थिक स्थिति भी इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपनी भतीजी की बेहतर तरीके से शादी कर सके.
 
राजेश चैरसिया अपनी भतीजी की शादी के लिए संघर्ष कर रहे थे. इस बीच उन्हांेने पड़ोस में रहने वाले परवेज से अपनी भतीजी की शादी के लिए मंडप बनाने के लिए जगह देने को कहा. यह सुनकर परवेज ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करते हुए न केवल घर के प्रांगण में मंडप सजाया, मुस्लिम महिलाओं ने शादी के गीत भी गाए.
 
perwez house
परवेज के घर में पूजा की शादी का मंडप

फिर  जौनपुर जिले के मल्हानी से बारात परवेज के घर पहुंची तो द्वारचार और वैदिक मंत्रों के बीच सात फेरे व सिंदूर की रस्म संपन्न हुई. इस बीच, हिंदू और मुस्लिम महिलाओं ने देर रात होने वाली शादियों में मंगलवार के गीत गाए. और यह सब तब होता रहा है, जब परवेज के तमाम घर वाले रमजान के इस पाक महीन के तहत रोजे रख रहे हैं.
 
बारात निकलने से पहले सुबह जब घुड़चढ़ी की रस्म शुरू हुई तो राजेश ने दूल्हे को अपनी क्षमता के अनुसार खुश किया. इसमें परवेज के परिवार वालों का भी योगदान रहा.
 
इस बीच परवेज की पत्नी ने कहा कि हमें इस बात से कोई शिकायत नहीं है कि हमने रमजान के महीने में अपने घर पर इबादत के अलावा शादी की रस्म अदायगी भी की. हमें खुशी है कि हमने अपनी बेटी की शादी बड़े धूमधाम से किया. उन्होंने यह भी कहा कि धर्म सबके लिए अलग हो सकता है, लेकिन उन्होंने मानव धर्म निभाया है.