कपिल सिब्बल के पॉडकास्ट ने पूरा किया 100 एपिसोड

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 16-11-2025
Kapil Sibal's podcast 'Dil Se with Kapil Sibal' completes 100 episodes
Kapil Sibal's podcast 'Dil Se with Kapil Sibal' completes 100 episodes

 

नई दिल्ली

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने अपने पॉडकास्ट “Dil Se With Kapil Sibal” के 100 एपिसोड पूरे होने का जश्न मनाया और इस अवसर पर देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर जानकारीपूर्ण और निष्पक्ष संवाद की आवश्यकता पर बल दिया।

रिपोर्टरों से बातचीत में सिब्बल ने कहा,“अब समय आ गया है कि हमारे पास ऐसा मंच हो, जहाँ हम देश के सामने मौजूद असली मुद्दों की जानकारी नागरिकों तक पहुँचा सकें। आखिर हम सब चाहते हैं कि भारत एक महान राष्ट्र बने—एक विकसित भारत। यह तभी संभव है जब हम लोगों को सच्चाई बताएँ। यदि हर मुद्दे को ‘सैनिटाइज’ किया जाए, आँकड़े छिपाए जाएँ और गलत सूचना फैलाई जाए, तो हम अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को नुकसान पहुँचा रहे हैं।”

2023 में शुरू हुआ था पॉडकास्ट

सिब्बल ने बताया कि उन्होंने यह पॉडकास्ट दिसंबर 2023 में शुरू किया था और 29 दिसंबर को पहला एपिसोड जारी किया।“तब से हर हफ्ते मैं किसी न किसी मुद्दे पर एपिसोड जारी कर रहा हूँ। यह सिर्फ़ क़ानून तक सीमित नहीं है—इसमें अर्थव्यवस्था, विदेश नीति, राजनीति, पर्यावरण, वाणिज्य, उद्योग, पड़ोसी देशों से संबंध और वैश्विक शक्तियों के साथ भारत के रिश्ते—कई वास्तविक मुद्दों को शामिल किया गया है।”

“संस्थानों की स्वतंत्रता देश के अस्तित्व के लिए आवश्यक”

वर्तमान हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए सिब्बल ने कहा कि देश की प्रमुख संस्थाएँ तभी अपनी भूमिका निभा पाएँगी जब वे स्वतंत्रता बनाए रखें।उन्होंने कहा,“अगर असली जानकारी लोगों से छिपाई जाएगी, यदि तथ्यों को दबाकर केवल एकतरफ़ा चित्र दिखाया जाएगा, तो जनता को भ्रमित किया जाएगा। ऐसे में ‘विकसित भारत’ की ओर यात्रा कभी पूरी नहीं होगी।”

100वां एपिसोड: अर्थव्यवस्था पर विशेष वार्ता

अपने 100वें एपिसोड में सिब्बल ने पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और पी. चिदंबरम से बातचीत की। इस एपिसोड का विषय था—अर्थव्यवस्था और उसका भारत के विकास पर प्रभाव।

सिब्बल ने कहा,“100वें एपिसोड में हमारी चर्चा इस बात पर केंद्रित रही कि अर्थव्यवस्था भारत की ‘विकसित भारत’ यात्रा को कैसे आकार देती है।”

“न्यायपालिका व संस्थाओं की स्वतंत्रता ही देश का भविष्य बचा सकती है”

देश में संवाद की गिरती गुणवत्ता और संस्थागत सहयोग पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा,“हमने चुनाव आयोग और अन्य संस्थाओं के सरकार के साथ सहयोग तथा शक्ति के दुरुपयोग जैसे विषयों पर चर्चा की है। यह भारत के लिए रचनात्मक संवाद का मार्ग नहीं है। इससे कोई थोड़े समय के लिए सत्ता में रह सकता है, परंतु सत्ता स्थायी नहीं होती।”

सिब्बल ने आगे कहा,“मैं इस कार्यक्रम को आगे भी जारी रखूँगा और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को उठाता रहूँगा। लेकिन मेरा एक स्पष्ट संदेश है—देश की सभी संस्थाओं को, विशेषकर न्यायपालिका को, आगे आना होगा। यदि इस देश का भविष्य बचाना है, तो स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर अडिग रहना ही होगा। यह राष्ट्र के अस्तित्व के लिए अनिवार्य है।”