भारत ने ओपेक के साथ बातचीत में तेल की स्थिर कीमतों की आवश्यकता पर दिया जोर

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 20-04-2024
भारत ने ओपेक के साथ बातचीत में तेल की स्थिर कीमतों की आवश्यकता पर दिया जोर
भारत ने ओपेक के साथ बातचीत में तेल की स्थिर कीमतों की आवश्यकता पर दिया जोर

 

नई दिल्ली. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को ओपेक महासचिव हैथम अल-घैस के साथ टेलीफोन पर बातचीत के दौरान कच्चा तेल बाजार में स्थिरता और समुचित कीमत के महत्व पर जोर दिया. आधे घंटे की बातचीत में वैश्विक तेल बाजारों में हालिया रुझानों और अस्थिरता तथा अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा स्थिरता पर उनके प्रभावों पर चर्चा हुई.

पुरी ने बातचीत के दौरान कहा कि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में, भारत वैश्विक ऊर्जा बाजारों में संतुलन हासिल करने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है. भारत ओपेक के लिए दूसरा सबसे बड़ा आयातक है. वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत ने ओपेक देशों से 120 अरब डॉलर के कच्चे तेल, एलपीजी, एलएनजी और पेट्रोलियम उत्पादों का आयात किया.

इजरायल द्वारा ईरान के खिलाफ मिसाइल हमला शुरू करने की खबरों के बीच शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में तीन डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी हुई, जिससे भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने की आशंका बढ़ गई, जिससे कच्चे तेल के शिपमेंट में बाधा आ सकती है.

बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमत बढ़कर लगभग 90 डॉलर प्रति बैरल हो गई. अमेरिका का वेस्ट टेक्सास लगभग 85 डॉलर प्रति बैरल के आसपास था.

अमेरिकी भंडार बढ़ने और धीमी अर्थव्यवस्था के कारण चीनी मांग में गिरावट के कारण बुधवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत लगभग 87 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गई थी.

चूंकि भारत अपनी कच्चे तेल की आवश्यकता का 85 प्रतिशत से अधिक आयात करता है, वैश्विक तेल की कीमतों में तेज वृद्धि से देश आयात खर्च बढ़ सकता है और विदेशी मुद्रा के बड़े व्यय के कारण रुपया कमजोर हो सकता है.

 

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