आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
देश में बड़ी स्वदेशी बहु-विषयक साझेदार फर्म (एमडीपी) की स्थापना को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से चार्टर्ड अकाउंटेंट का शीर्ष निकाय भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है।
यह रिपोर्ट ऐसी फर्मों को वैश्विक स्तर पर अपनी क्षमताएं बढ़ाने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने पर केंद्रित होगी।
विकसित भारत 2047 के लक्ष्य के तहत सरकार का मुख्य उद्देश्य है कि देश में ऐसी बहु-विषयक साझेदार फर्म तैयार की जाएं जो ऑडिटिंग और परामर्श सेवाओं को एक साथ प्रदान कर सकें और वैश्विक स्तर पर सक्रिय हों।
आईसीएआई के अध्यक्ष चरणजोत सिंह नंदा ने रविवार को कहा कि सरकार के स्तर पर चर्चा हो रही है और संबंधित मुद्दों की समीक्षा की जा रही है।
वैश्विक परामर्श और लेखा परीक्षा उद्योग का मूल्य लगभग 240 अरब अमेरिकी डॉलर है और इसमें विदेशी कंपनियों का दबदबा है।
सरकार स्वदेशी पेशेवर सेवा क्षेत्र की बड़ी कंपनियां बनाने के प्रयास कर रही है, और विभिन्न देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते भारतीय कंपनियों के लिए विस्तार के नए अवसर भी प्रदान कर रहे हैं।
बड़ी एमडीपी की स्थापना के संदर्भ में नंदा ने पांच महत्वपूर्ण तत्वों पर जोर दिया, जिनमें नियामकीय लाभ, प्रौद्योगिकी, वित्त और क्षमता विकास शामिल हैं।
एक सभा में उन्होंने एमडीपी विकसित करने के संबंध में मानसिकता में सोच में बदलाव की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
नंदा ने कहा कि भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान का एक कार्यसमूह घरेलू एमडीपी के लिए वित्तीय सहायता जुटाने पर एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट एमडीपी से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर गौर करेगी, जैसे कि कार्यालय और बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए धन प्राप्त करना।