आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
चार्टर्ड अकाउंटेंट के शीर्ष निकाय आईसीएआई के ‘वित्तीय रिपोर्टिंग समीक्षा बोर्ड’ (एफआरआरबी) ने कंपनियों के वित्तीय विवरणों की समीक्षा में गुणवत्ता सुधार के लिए नए मानदंड पेश किए हैं।
इन मानदंडों में कम ऑडिट शुल्क, रिजर्व की नकारात्मक स्थिति, अधिक ऋण जोखिम वाली कंपनियां और दिवाला समाधान प्रक्रिया (आईआरपी) में भेजी गई कंपनियों को शामिल किया गया है।
एफआरआरबी यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कंपनियां लेखा मानक, लेखा-परीक्षा मानक और कंपनी अधिनियम की दूसरी एवं तीसरी सूची का अनुपालन करें। साथ ही वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी विभिन्न दिशानिर्देशों और परिपत्र का भी पालन करें।
भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) के वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि एफआरआरबी ऑडिट शुल्क की राशि पर नहीं बल्कि गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करता है और यदि कम शुल्क के बावजूद सभी आवश्यक मानक पूरे हो रहे हैं तो यह स्वीकार्य है।
आईआरपी को नए मानदंड के रूप में शामिल करने का कारण यह है कि यदि किसी कंपनी में पिछली समीक्षा में मुद्दों का उल्लेख नहीं हुआ और अचानक कंपनी दिवाला प्रक्रिया में चली जाती है, तो एफआरआरबी ऑडिट गुणवत्ता का आकलन करेगा।
इस साल 30 सितंबर तक एफआरआरबी ने 1,307 मामलों की समीक्षा की है जिनमें से 813 मामलों में ऑडिटर को गंभीर अनुपालन उल्लंघनों के लिए सलाह दी गई, जबकि 183 मामलों को सेबी, आरबीआई और इरडा जैसी नियामक संस्थाओं को भेजा गया।
इसके अलावा, एफआरआरबी ने राजनीतिक दलों के वित्तीय विवरणों पर 35 रिपोर्ट भी निर्वाचन आयोग को सौंपी हैं।