चीन जल्द गर्भनिरोधक दवाओं और उत्पादों पर कर लगाएगा

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 12-12-2025
China may soon impose taxes on contraceptive drugs and products
China may soon impose taxes on contraceptive drugs and products

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली

 
चीन तीन दशकों से भी अधिक समय में पहली बार जल्द गर्भनिरोधक दवाओं और उत्पादों पर मूल्य वर्धित कर (वैट) वसूलना शुरू करेगा।

यह कदम दशकों तक अधिकतर परिवारों को एक बच्चे तक सीमित रखने के बाद उन्हें अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के बीजिंग के प्रयासों के अनुरूप है।
 
देश के नवीनतम मूल्य वर्धित कर कानून के अनुसार, एक जनवरी से ‘‘गर्भनिरोधक दवाएं और उत्पाद’’ कर-छूट की श्रेणी में नहीं रहेंगे। ‘कंडोम’ जैसे उत्पादों पर भी 13 प्रतिशत का सामान्य वैट लगेगा।
 
बहरहाल, सरकारी मीडिया ने इस बदलाव को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है लेकिन यह विषय चीनी सोशल मीडिया पर तेजी से ट्रेंड कर रहा है। लोग मजाक में कह रहे हैं कि कोई बेवकूफ ही होगा जिसे यह समझ न हो कि बच्चा पालना, कर लगे कंडोम खरीदने से कहीं ज्यादा महंगा है।
 
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि गर्भनिरोधकों की कीमत बढ़ने से अनियोजित गर्भधारण और यौन संक्रमित रोगों में वृद्धि हो सकती है। 1980 से 2015 तक लागू रही चीन की एक-संतान नीति के दौरान भारी जुर्माने, दंड और कभी-कभी जबरन गर्भपात तक कराए जाते थे। तय सीमा से अधिक जन्मे बच्चों को कई बार पहचान संख्या नहीं दी जाती थी, जिससे वे प्रभावी रूप से ‘‘गैर-नागरिक’’ बन जाते थे।
 
सरकार ने 2015 में एक बच्चे की सीमा को बढ़ाकर दो कर दिया और फिर जनसंख्या में गिरावट के कारण 2021 में इसे तीन कर दिया। लंबे समय तक गर्भनिरोधक दवाओं को प्रोत्साहित किया जाता रहा और यह अक्सर मुफ्त में उपलब्ध रहती थीं।
 
जनसांख्यिकी विशेषज्ञ कियान काई के अनुसार, 13 प्रतिशत कर से जन्मदर बढ़ाने में कोई खास असर नहीं होगा क्योंकि जो लोग बच्चे नहीं चाहते, वे इस कर से अपना निर्णय नहीं बदलेंगे।
 
चीन में ज्यादातर गर्भनिरोध की जिम्मेदारी महिलाओं पर होती है। 2022 के एक अध्ययन के अनुसार केवल नौ प्रतिशत दंपति ही कंडोम का उपयोग करते हैं, 44.2 प्रतिशत गर्भनिरोधक उपकरण (आईयूडी) का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा 30.5 प्रतिशत महिलाओं और 4.7 प्रतिशत पुरुषों ने नसबंदी करायी। बाकी लोग गर्भनिरोधक दवाओं या अन्य तरीकों का उपयोग करते हैं।
 
महिलाओं का कहना है कि सरकार उनके शरीर और निजी जीवन पर फिर से नियंत्रण जमाने की कोशिश कर रही है।