आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
चमकौर साहिब के विधायक चरणजीत सिंह चन्नी ने आज पंजाब के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है. चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री हैं. उनके साथ दो उप-मुख्यमंत्रियों ने भी राजभवन में शपथ ली. शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हुए. चरणजीत सिंह चन्नी सरकार में सुखजिंदर रंधावा और ओपी सोनी नए उप-मुख्यमंत्री बनाए गए हैं. शपथ ग्रहण में राहुल गांधी के साथ हरीश रावत और अजय माकन भी चन्नी को बधाई देने पहुंचे.
गौरतलब है कि पंजाब के नवनियुक्त मुख्यमंत्री का विवादों से गहरा नाता है. उन पर 2018 में एक महिला आईएएस अधिकारी ने मीटू का केस दर्ज कराया था. महिला अधिकारी का आरोप था कि चन्नी ने उसे गलत मैसेज भेजे थे. इससे पहले, कल उन्हें कांग्रेस विधायक दल का नेता चुने जाने पर नवजोत सिंह सिद्धू की मुखालफत करने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी बधाई दी थी.
सिद्धू खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, पर कैप्टन ने उनके और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और उसके सेना प्रमुख के मधुर रिश्ते को लेकर ऐसी पटकथा लिखी कि उनके सपनों पर पानी फिर गया.
बहरहाल, चन्नी के नाम की आश्चर्यजनक घोषणा के साथ अब कांग्रेस उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बड़े लक्ष्य की ओर देखने लगी है. अगले साल की शुरुआत में यहां भी विधानसभा चुनाव होने हैं. राहुल गांधी ने नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा के बाद चन्नी को बधाई देते हुए कहा, ‘‘श्री चरणजीत सिंह चन्नी जी को नई जिम्मेदारी के लिए बधाई। हमें पंजाब के लोगों से किए गए वादों को पूरा करना जारी रखना चाहिए. उनका भरोसा सर्वोपरि है.‘‘
चन्नी, जो निवर्तमान मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के कटु आलोचक हैं, उन्हें राज्य में न केवल लगभग 32 प्रतिशत दलित मतदाताओं को लुभाने के लिए मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है, बल्कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड और यूपी में भी पंजाब के साथ अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने हैं.
पंजाब में एक दलित सीएम के बाद कांग्रेस की नजर उत्तराखंड में पर है, लेकिन इस बात की संभावना कम है कि पार्टी को यूपी में दलित फार्मूले को ज्यादा भाव मिलेगा, क्योंकि राज्य में मायावती एक मजबूत ताकत हैं. गैर-जाटव दलितों ने ज्यादातर भाजपा के साथ गठबंधन किया है.
सूत्रों का कहना है कि सुखजिंदर सिंह रंधावा के नाम का प्रस्ताव अधिकांश विधायकों ने किया था, लेकिन राहुल गांधी ने चन्नी के पक्ष में फैसला किया, जो पिछली अकाली सरकार के दौरान थोड़े समय के लिए विपक्ष के नेता थे.
अन्य नामों के अलावा, कांग्रेस चाहती थी कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी भी मुख्यमंत्री बनें, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. हालांकि, वह अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद पंजाब प्रकरण में मुख्य संकटमोचक के रूप में उभरीं. सोनी ने देर रात पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ कम से कम दो बार बैठक की. नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति में अपनी भूमिका निभाई.
सोनी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए राज्य के नेताओं में आम सहमति बनानी थी, दूसरी बात कि मुख्यमंत्री का विधायक होना चाहिए था. इसलिए रंधावा और चन्नी के नाम सामने आए, लेकिन दलित नेतृत्व पर विशेष ध्यान देने वाले राहुल गांधी ने चन्नी के पक्ष में फैसला किया.