बांग्लादेश की सेना के रिटायर्ड मेजर जनरल इमाम-उज-जमां के पास 1971 की बड़ी अच्छी यादें हैं. बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में जनरल वीके सिंह और मेजर जनरल जमां कंधे से कंधा मिलाकर पाकिस्तान के खिलाफ लड़े थे. वह कहते हैं, “गणतंत्र दिवस के मौके पर बांग्लादेश की तीनों सेवाओं से बनी टुकड़ी की परेड बेहद अहम है और यह दोनों देशों के लिए उत्साह बढ़ाने वाली है. दोनों देशों के फौजियों ने बेहद कम समय में ही एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर युद्ध किया था और इस परेड के जरिए हम दुनिया को अपनी परंपरा की याद दिलाएंगे.”
वह कहते हैं कि इस परेड में हमारे सुनहरी विरासत की झलक दिखेगी. मेजर जनरल जमां को उम्मीद जताते हैं कि भविष्य में भी दोस्ती और सहयोग को बढ़ावा देने वाले ऐसे आयोजन होते रहेंगे.
मेजर जनरल जमां ने पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध को बहुत भावुक होकर याद किया जब वह जनरल वीके सिंह के साथ थे. जनरल सिंह तब राजपूत रेजिमेंट में थे. मेजर जनरल जमां वीके सिंह के बारे में कहते हैं, “वह बहुत निकट मित्र थे. हमने पाकिस्तानी फौज के खिलाफ साथ लड़ाई की थी. यह बहुत घनघोर लड़ाई थी और हम बांग्लादेश में दक्षिणी हिस्से से घुसे थे और साथ ही हमने चटगांव पर कब्जा किया था.”
उन्होंने कहा कि भारतीय गणतंत्र दिवस परेड में बांग्लादेशी दल की भागीदारी वास्तव में बहुत उत्साहजनक है. यह 1971 में हमारे बेशकीमती इतिहास और परंपरा को आगे लेकर जाएगा. बांग्लादेश की तीनों सेनाओं की एक टुकड़ी राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड की पहली दस पंक्तियों में चलने वाली है. इस टुकड़ी का नेतृत्व बांग्लादेश की सेना करेगी जो पहली तीन पंक्तियों में रहेगी. उसके बाद की दो पंक्तियों में बांग्लादेश नौसेना रहेगी जबकि आखिरी दो पंक्तियों में बांग्लादेश एयरफोर्स के जवान रहेंगे.
इस परेड में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के पचास साल पूरे होने को याद किया जाएगा.
एएनआइ से बात करते हुए, बांग्लादेश के तीने सेवाओं की टुकड़ी की अगुआई करने वाले मोहतिसिन हैदर चौधरी, ने कहा, “हम कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं.”
बांग्लादेश की टुकड़ी के भारत के गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लेने की अहमियत इसलिए भी है क्योंकि भारत की मदद से ही बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी पाकिस्तान को शिकस्त देने में कामयाब हुई थी और पूर्वी पाकिस्तान का उदय एक नए देश बांग्लादेश के रूप में हो सका था.