आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अमेरिका द्वारा एच-1बी वीज़ा आवेदन पर 1,00,000 डॉलर की वार्षिक फीस लगाने के फ़ैसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. केजरीवाल ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए पूछा कि “क्या 140 करोड़ लोगों के प्रधानमंत्री इतने बेबस हैं? कुछ तो कीजिए प्रधानमंत्री जी। आखिरकार प्रधानमंत्री कुछ भी क्यों नहीं संभाल पा रहे हैं?”
केजरीवाल की यह टिप्पणी उस समय आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने “Restriction on Entry of Certain Nonimmigrant Workers” शीर्षक से एक नया राष्ट्रपति आदेश जारी किया, जिसके तहत एच-1बी वीज़ा आवेदन पर सालाना 1,00,000 डॉलर की नई फीस लागू की जाएगी। यह आदेश 21 सितंबर से प्रभावी होगा.
अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य एच-1बी कार्यक्रम के कथित दुरुपयोग पर अंकुश लगाना है. प्रशासन का तर्क है कि यह वीज़ा कार्यक्रम, जिसका मूल उद्देश्य उच्च कुशल विदेशी प्रतिभा को लाना था, अब कम वेतन वाले, एंट्री-लेवल हायरिंग और अमेरिकी कर्मचारियों के वेतन दबाव का कारण बन गया है। आदेश में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े चिंताओं का भी हवाला दिया गया है, जिसमें वीज़ा धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शामिल है.
नए नियमों के अनुसार अब नियोक्ताओं को एच-1बी वीज़ा याचिका दाखिल करते समय भुगतान का प्रमाण भी देना होगा. यह प्रवर्तन अमेरिकी विदेश विभाग और होमलैंड सिक्योरिटी विभाग द्वारा देखा जाएगा। हालांकि, राष्ट्रीय हित के मामलों में सीमित छूट दी गई है.
इस शुल्क वृद्धि से भारत की आईटी कंपनियों के उस मॉडल पर असर पड़ने की संभावना है, जिसमें भारतीय सॉफ़्टवेयर इंजीनियर और अन्य पेशेवर अमेरिका में ऑनसाइट काम करते रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) के विस्तार को बढ़ावा मिल सकता है.
इसी मुद्दे पर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी अमेरिकी प्रशासन की आलोचना की। उन्होंने कहा कि अमेरिका “सुनियोजित तरीके से” भारत पर दबाव बढ़ा रहा है। तिवारी ने हाल के घटनाक्रमों का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान के कहने पर समय से पहले युद्धविराम की घोषणा, पाकिस्तानी सेना प्रमुख का व्हाइट हाउस में स्वागत, 50% तक के अमेरिकी टैरिफ़ और सऊदी-पाकिस्तान रक्षा साझेदारी जैसे कदम अमेरिका की भारत-विरोधी belligerence को दिखाते हैं, जो भारत-अमेरिका संबंधों के लिए शुभ संकेत नहीं है.