तारिक अहमद ने अपने शिकारे को बदल दिया एंबुलेंस में, पीएम मोदी ने की तारीफ

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 28-06-2021
 तारिक अहमद ने अपने शिकारे को बदल दिया एंबुलेंस में, पीएम मोदी ने की तारीफ
तारिक अहमद ने अपने शिकारे को बदल दिया एंबुलेंस में, पीएम मोदी ने की तारीफ

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

आवश्यकता आविष्कार की जननी है. कश्मीर के तारिक अहमद पतलू ने इस कहावत को एक बार फिर सिद्ध किया है. उन्हांेने कोविड की दूसरी लहर के दौरान डल झील के किनारे लगे अपने शिकारा को ही वाटर एम्बुलेंस में तब्दील कर दिया. 
 
पीएम मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ के अपने कार्यक्रम में कोविड-19 महामारी के बीच प्रसिद्ध डल झील में एक खास तरह के अस्थायी एम्बुलेंस सेवा चलाने के लिए पतलू के प्रयासों की सराहना की. इसपर पतलू की प्रतिक्रिया थी,‘‘मैं अपने कार्यक्रम ‘मन की बात‘ के दौरान मेरे प्रयासों का उल्लेख करने के लिए पीएम मोदी का आभार व्यक्त करता हूं.
 
उनसे मिली सराहना बड़े सम्मान की तरह है. यह मेरे लिए बहुत मायने रखती है. उम्मीद है कि कार्यक्रम में मेरे काम के उल्लेख से मेरे समुदाय को फायदा होगा. वे महामारी के दौरान बहुत सारी समस्याओं का सामना कर रहे हैं.’’
 
पतलू और उनकी तैरती एंबुलेंस का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने डॉक्टरों की मदद के लिए आगे आकर काम किया. उन्हें श्रीनगर से ऐसी ही एक कोशिश का पता चला.
यहां डल झील में एक नाव एम्बुलेंस सेवा शुरू की गई. इस सेवा की शुरुआत श्रीनगर के तारिक अहमद पतलू ने की थी, जो हाउसबोट के मालिक हैं. उन्होंने खुद भी कोविड-19 से लड़ाई लड़ी और अपने शिकारे को एम्बुलेंस सेवा में बदल दिया.’’
 
पीएम ने कहा कि इस एम्बुलेंस के बारे में लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाया जा रहा है. साथ ही वह लोगों को लगातार मास्क पहने और अन्य आवश्यक सावधानियां  बरतें को लेकर चेतावनी प्रसारित कर रहे हैं.
 
पतलू, जिन्होंने पिछले साल अगस्त में कोविड-19 की पहली लहर के दौरान कोरोना हो गया था, को अस्पताल पहुंचने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था.शुरुआती दिनों में खुद को क्वारंटीन करने के बाद, भी उनकी तबीयत बिगड़ गई. उन्हें इलाज के लिए एसएमएचएस अस्पताल में स्थानांतरित किया गया.
 
उन्होंने  बताया, “मैं डल झील के किनारे और आगे अस्पताल पहुंचने में असहाय महसूस कर रहा था. यह मेरे और मेरे परिवार के लिए कठिन समय था.’’यह घटना उनके दिमाग में अंकित हो गई. तभी उन्होंने नाव एम्बुलेंस बनाने का फैसला किया.
 
उन्होंने कहा, ‘‘अस्पताल में ठीक होने के दौरान सोचता रहा कि कैसे अस्थायी एम्बुलेंस बनाई जाए.’’ अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद, पतलू का एकमात्र उद्देश्य एक अस्थायी एम्बुलेंस डिजाइन करना था, जिसके लिए उन्हें उपकरण प्रदान करने वाले एक एनजीओ से मदद मिली.
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पतलू की फ्लोटिंग एम्बुलेंस में ऑक्सीजन कंसंटेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर, प्राथमिक चिकित्सा, स्ट्रेचर, व्हीलचेयर, बीपी सेट और पीपीई किट सभी आवश्यक सामान मौजूद हैं.उन्होंने  कहा,“मेरा सपना है कि मैं अपने समुदाय के लिए कुछ बड़ा करूं. अब मेरा अगला कदम डल झील में रहने वाले लोगों के लिए फायर सर्विस बोट बनाना है.