सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों के आदेश पर सितारों का विरोध

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 13-08-2025
Stars protest against Supreme Court's order on stray dogs
Stars protest against Supreme Court's order on stray dogs

 

मुंबई

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों के भीतर आश्रय गृहों में भेजने की घोषणा के बाद कई फिल्मी हस्तियों ने गहरी चिंता जताई है और इस निर्णय की पुनर्विचार की मांग की है। उन्होंने इन मासूम जानवरों के प्रति अधिक संवेदनशील, दयालु और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की अपील की है।

वरिष्ठ अभिनेत्री जीनत अमान ने कहा, “दिल्ली में आवारा कुत्तों को हटाने की हालिया खबर से मैं बेहद दुखी हूं। मैं पूरी दुनिया के जानवर प्रेमियों के साथ मिलकर इस मुद्दे पर एक अधिक मानवीय, तर्कसंगत और विज्ञान आधारित समाधान की मांग करती हूं।”

सोनाक्षी सिन्हा ने ट्वीट किया, “दिन-ब-दिन हम एक ऐसी समाज बनते जा रहे हैं जिसमें इंसानियत खत्म होती जा रही है। हर दिन एक नई निराशा लेकर आता है।”

‘मेजर’ अभिनेता अदिवि शेष ने आवारा कुत्तों को हमारे शहरी इकोसिस्टम का अहम हिस्सा बताते हुए कहा, “मैं दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को बड़े पैमाने पर बंदी बनाने के हालिया आदेश को लेकर बेहद चिंतित हूं।

यह न केवल हमारे कानूनी दायित्वों के खिलाफ है, बल्कि भारत की सहानुभूति और संवेदनशीलता के मूल्यों के भी विपरीत है। जब ये कुत्ते नसबंदी और टीकाकरण के बाद समुदाय का हिस्सा बन जाते हैं, तो वे खतरा नहीं बल्कि सम्मान के पात्र जीव हैं।

बड़े पैमाने पर बंदी बनाना कोई स्थायी समाधान नहीं, बल्कि एक तात्कालिक प्रतिक्रिया है। हमारे पास नसबंदी, टीकाकरण, बेहतर कूड़ा प्रबंधन, समुदाय के संरक्षकों को सशक्त बनाना और क्रूरता पर कड़ी सजा जैसे कानूनी और वैज्ञानिक तरीके हैं जो न केवल मनुष्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, बल्कि जानवरों के प्रति हमारी नैतिक जिम्मेदारी को भी पूरा करते हैं। मैं माननीय कोर्ट और दिल्ली सरकार से इस आदेश पर पुनर्विचार करने की विनम्र अपील करता हूं। कृपया जल्दबाजी के बजाय सहानुभूति को चुनें।”

रुपाली गांगुली ने X (ट्विटर) पर लिखा, “हमारी परंपराओं में कुत्ते भैरव बाबा के मंदिर की रक्षा करते हैं और अमावस्या को उन्हें भोजन दिया जाता है ताकि आशीर्वाद मिले। ये कुत्ते हमारे घरों के बाहर चोरों को भोंककर सतर्क करते हैं। अगर इन्हें हटाया गया तो हम अपने रक्षक खो देंगे। दूर के आश्रयों में भेजना दया नहीं, बल्कि निर्वासन है। आवारा कुत्ते हमारे विश्वास, संस्कृति और सुरक्षा का हिस्सा हैं। इन्हें टीका लगाएं, ख्याल रखें और जहां वे रहते हैं वहीं रहने दें।”

भूमि पेडनेकर ने महात्मा गांधी का कथन साझा करते हुए कहा, “किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति का आकलन इस बात से होता है कि वह अपने जानवरों के साथ कैसा व्यवहार करता है।”

फिल्म निर्माता सिद्धार्थ आनंद ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “अब कोई दया नहीं बची है। इन कुत्तों का क्या होगा? कम से कम सड़कों पर तो कुछ संवेदनशील लोग उन्हें खाना खिलाते हैं। अब वे भूख और प्यास से मर जाएंगे। यह सुप्रीम कोर्ट ने इन मासूमों के लिए मौत की सजा लिख दी है। कृपया कोई याचिका शुरू करें और इस नरसंहार को रोका जाए। मैं आपके साथ हूं।”

इससे पहले, अभिनेता जॉन अब्राहम ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई को पत्र लिखकर आवारा कुत्तों को लेकर हालिया आदेश की समीक्षा करने की अपील की थी। जॉन ने कहा, “ये कुत्ते ‘आवारा’ नहीं, बल्कि समुदाय के सदस्य हैं जो पीढ़ियों से दिल्लीवासियों के साथ रहते आए हैं।

2023 के एनीमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियमों के तहत इनका नसबंदी, टीकाकरण और वापसी स्थानीय क्षेत्र में किया जाना चाहिए, जैसा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा समर्थित है और जयपुर व लखनऊ जैसे शहरों में सफल भी साबित हुआ है। दिल्ली में लगभग 10 लाख कुत्ते हैं और सभी को आश्रय देना या स्थानांतरित करना व्यावहारिक भी नहीं है और मानवीय भी नहीं।”

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया कि दिल्ली-एनसीआर के सभी क्षेत्रों को आवारा कुत्तों से मुक्त कराया जाए और कोई भी पकड़ा गया कुत्ता वापस सड़कों पर न छोड़ा जाए। यदि कोई व्यक्ति या संगठन इस कार्य में बाधा डालेगा तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। साथ ही, राज्य और नगरपालिका अधिकारियों को आवारा कुत्तों के लिए पर्याप्त स्टाफ वाले आश्रय स्थापित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

कोर्ट ने एक हेल्पलाइन स्थापित करने का भी आदेश दिया है, जहां कुत्ते के काटने की शिकायतें दर्ज कराई जा सकेंगी, और शिकायत मिलने के चार घंटे के भीतर उस जानवर को पकड़ लिया जाएगा। दैनिक आधार पर पकड़े गए और हिरासत में लिए गए कुत्तों का रिकॉर्ड रखा जाएगा, साथ ही CCTV के माध्यम से निगरानी सुनिश्चित की जाएगी।

इस आदेश पर देशभर में जानवरों के अधिकारों के समर्थक और आम लोग गहरे मतभेद और चिंता व्यक्त कर रहे हैं, जो इस संवेदनशील विषय पर व्यापक चर्चा का केंद्र बना हुआ है।