नई दिल्ली
प्रसिद्ध गीतकार और लेखक जावेद अख्तर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम महिला डॉक्टर का नक़ाब हटाए जाने की घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भले ही वे व्यक्तिगत तौर पर घूंघट या नक़ाब की प्रथा के विरोधी हों, लेकिन इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि किसी महिला के साथ इस तरह का व्यवहार स्वीकार्य हो सकता है।
जावेद अख्तर ने कहा कि किसी भी विचारधारा या सोच के मतभेद के नाम पर किसी महिला की गरिमा और सम्मान को ठेस पहुँचाना पूरी तरह गलत है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह मामला सिर्फ धार्मिक या वैचारिक असहमति का नहीं, बल्कि एक महिला की इज़्ज़त, आत्मसम्मान और व्यक्तिगत अधिकारों से जुड़ा हुआ है।
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति से यह अपेक्षा की जाती है कि वह हर नागरिक, विशेष रूप से महिलाओं के प्रति, संवेदनशीलता, मर्यादा और जिम्मेदारी का परिचय दे। जावेद अख्तर के अनुसार, इस तरह का व्यवहार किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
गीतकार ने यह भी कहा कि इस घटना से संबंधित महिला डॉक्टर मानसिक तनाव से गुजर रही हैं, जो इस पूरे मामले की गंभीरता को और बढ़ा देता है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएँ समाज में गलत संदेश देती हैं और महिलाओं की सुरक्षा व सम्मान को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
जावेद अख्तर ने मुख्यमंत्री से बिना शर्त माफी की मांग करते हुए कहा कि इससे न केवल पीड़ित महिला को कुछ हद तक मानसिक राहत मिलेगी, बल्कि समाज में यह संदेश भी जाएगा कि सत्ता में बैठे लोग अपनी जिम्मेदारियों को समझते हैं।
गौरतलब है कि यह घटना बिहार में डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र सौंपने के एक समारोह के दौरान हुई थी, जहाँ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंच पर मौजूद एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का नक़ाब हटा दिया था। इस घटना को लेकर देशभर में तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं और इसे महिला सम्मान व व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जोड़कर देखा जा रहा है।