मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली के ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में ‘उर्दू की ईद’ कहे जाने वाला जश्न-ए-रेख़्ता समाप्त हो गया. इसका अंतिम सत्र सूफी और बॉलीवुड गायक ऋचा शर्मा के गायन के साथ रात करीब दस बजे समाप्त हो गया. रेख़्ता के अंतिम सत्र के समाप्त होने के साथ अचानक पारा 17 डिग्री तक गिर गया और श्रोता सर्दी से ठिठुरन महसूस करने लगे.
एक अनुमान के अनुसार, इन तीन दिनों में तकरीबन दो लाख लोग जश्न-ए-रेख़्ता में शामिल हुए. बकौल जश्न-ए-रेख़्ता के आयोजक संजीव सराफ, तीन दिवसीय महोत्सव में 200 से ज्यादा फनकार शामिल हुए और उर्दू साहित्य, संस्कृति से जुड़े 60 सत्र आयोजित किए गए.
ऋचा शर्मा के गायन से पहले अपने समापन भाषण में सराफ ने आयोजन को सफल बनाने में सहयोग देने और श्रोताओं और दर्शकों का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने उर्दू के दीवानों को ‘खुदा हाफिज’ कह मीर तकी मीर का शेर पढ़ा. इस बार का जश्न-ए- रेख़्ता मीर की 300वीं जयंती को समर्पित था.
समापन सत्र पर परफार्मेंस देने वाली ऋचा शर्मा ने मंच पर आते ही दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया. ऋचा ने अपने चर्चित गाने, माही वे से कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके बाद श्रोताओं की फरमाइश पर फिल्म मुसाफिर का चर्चित गाना गया...जिंदगी में कोई आए न रब्बा, आए तो फिर जाए न रब्बा.
इस गाने ने श्रोताओं को गाने पर झूमने को मजबूर कर दिया.
जैसे-जैसे गाने का सफर आगे बढ़ता गया, सर्दी भी रंग दिखाती गई. जश्न-ए-रेख़्ता के आखिरी दिन भीड़ ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए.