पुण्यतिथि विशेष : देव–सुरैया: मोहब्बत की वो दास्तान, जो ज़माने की जंजीरों में कैद रह गई

Story by  अर्सला खान | Published by  [email protected] | Date 03-12-2025
Death Anniversary Special: When Dev Anand fell madly in love with this Muslim actress
Death Anniversary Special: When Dev Anand fell madly in love with this Muslim actress

 

अर्सला खान/नई दिल्ली

हिंदी सिनेमा के सदाबहार सितारे देव आनंद की पुण्यतिथि पर उनके जीवन के सबसे खूबसूरत और दर्दभरे अध्याय को याद करना आज भी भावुक कर देता है—उनका और सुरैया का अनकहा, अधूरा लेकिन बेहद सच्चा प्यार। बॉलीवुड में प्रेम कहानियाँ बहुत हैं, पर देव-सुरैया की दास्तान उन दुर्लभ कहानियों में से है, जिन्हें ना समय मिटा सका और ना ही परिस्थितियाँ बाँध सकीं। यह कहानी सिर्फ दो कलाकारों की मोहब्बत नहीं, बल्कि साहस, सामाजिक बंधनों और दिल के टूटने के बाद की मजबूरी की कहानी भी है।

मुलाक़ात जिसने जन्म दिया एक खूबसूरत रिश्ते को

साल 1948—फिल्म “विद्या” की शूटिंग के दौरान एक हादसे ने दो दिलों को एक कर दिया। एक सीन फिल्माते समय नाव पलट गई और देव आनंद ने सुरैया को संभालकर किनारे तक पहुँचाया। कहते हैं कि वहीं से उनकी कहानी शुरू हुई। सुरैया की आँखों में देव के लिए भरोसा और देव के दिल में सुरैया के लिए अपनापन उतरने लगा। उनकी यह पहली मुलाक़ात आगे चलकर हिंदी सिनेमा की सबसे प्यारी प्रेम कथाओं में बदलने वाली थी।
 
 
शूटिंग के दौरान बढ़ता प्यार

इसके बाद आने वाली फिल्में—“जीवन ज्योति”, “शायर”, “अफसर”, “नेवला”—इन दोनों के बीच की गहरी होती मोहब्बत की गवाह थीं। सुरैया बेहद संकोची और पारंपरिक परिवार से थीं, जबकि देव आनंद आज़ाद ख्यालों वाले, आत्मविश्वासी और खुले दिल के इंसान।
 
सेट पर दोनों की हँसी, एक-दूसरे से बात करने की हल्की कोशिशें, नज़रों की भाषा और दिल की धड़कनों की खामोश बातचीत… सबकी नज़रें खींच लेती थीं।कहते हैं, सुरैया को चाय पसंद थी, देव उन्हें हर बार खुद कप लाकर देते। और देव कहते थे, “सुरैया की मुस्कुराहट मेरे दिन की शुरुआत है।”
 
 
उनका प्यार मासूम था, बेफ़िक्री से भरा था, और सिनेमा की रोशनी में खिलता जा रहा था। वो अंगूठी, जिसने मोहब्बत को नाम देने का वादा किया देव आनंद ने अपनी मोहब्बत को नाम देने का फैसला किया। उन्होंने सुरैया को एक डायमंड रिंग दी। उनके दिलों ने एक-दूसरे को स्वीकार कर लिया था। लेकिन असली परीक्षा अभी बाकी थी।
 
सुरैया की नानी और परिवार उनके रिश्ते के खिलाफ थे। वजह सिर्फ एक थी—सामाजिक और धार्मिक भिन्नता।
उन्हें डर था कि यह रिश्ता समाज में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
 
सुरैया परिवार की इकलौती कमाने वाली सदस्य थीं और उनका परिवार पूरी तरह उन पर निर्भर था। परिवार के दबाव ने उनकी इच्छाओं को बाँध दिया। प्यार की राह में दीवार बनकर खड़ी हो गई दुनिया
 
परिवार ने सुरैया को देव से मिलने से मना कर दिया। फ़ोन कॉल तक रोक दिए गए। जब तक दोनों के बीच बातचीत चल सकती थी, वे एक-दूसरे के दर्द में भागीदार थे। लेकिन हालात इतने सख़्त हो गए कि सुरैया को झुकना पड़ा।
 
 
कहते हैं, सुरैया की आँखों में आंसू थे, लेकिन देव आनंद हाथ से कुछ नहीं कर सके। उनकी मोहब्बत घर की दीवारों और समाज की बंदिशों से हार गई। एक दिन सुरैया ने रिंग वापस कर दी। देव उस पल को जिंदगी का सबसे दर्दनाक क्षण बताते थे।
 
अधूरी मोहब्बत का असर—दोनों की ज़िंदगी में छाया सन्नाटा

देव आनंद ने आगे बढ़कर जीवन में सफलता प्राप्त की। धर्मेंद्र, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन जैसे सितारों ने उन्हें अपना आदर्श माना। उनकी ज़िंदगी आगे चली, लेकिन दिल का कोना सुरैया के नाम ही रहा।

 

कभी शादी नहीं की। वे अपने घर, अपने संगीत और यादों के साथ अकेली रह गईं। उन्होंने कहा था—“मैंने देव के लिए अपना दिल खोया है, दोबारा प्यार करने का साहस नहीं बचा।”