चेन्नई
भारतीय सिनेमा की दो दिग्गज हस्तियां — कमल हासन और मणिरत्नम — 35 साल बाद एक बार फिर साथ आए हैं. 1987 की कल्ट फिल्म नायकन के बाद अब वे एक बार फिर गैंगस्टर ड्रामा Thug Life के ज़रिए दर्शकों को अपनी अनूठी सिनेमाई भाषा में नई कहानी सुनाने जा रहे हैं. इस ऐतिहासिक पुनर्मिलन में दोनों कलाकारों ने गुज़रे वक्त, दोस्ती और सिनेमा के बदलते परिप्रेक्ष्य पर खुलकर बातचीत की.
1987 में आई नायकन ने भारतीय सिनेमा में माफिया आधारित फिल्मों की परिभाषा ही बदल दी थी. मुंबई की झुग्गियों से उठकर 'डॉन' बनने वाले एक आम आदमी शक्तिवेल नायकर की कहानी को मणिरत्नम और कमल हासन ने जिस संवेदनशीलता से पर्दे पर उतारा, वह आज भी मिसाल बनी हुई है.
अब 2025 में Thug Life में एक बार फिर कमल हासन वही शक्तिवेल नायकर के किरदार में नज़र आएंगे. इस बार कहानी भी हासन की कलम से निकली है, जिसे उन्होंने मणिरत्नम के साथ मिलकर विकसित किया और निर्देशन की कमान मणिरत्नम ने संभाली। दोनों ने फिल्म का सह-निर्माण भी किया है. फिल्म 5 जून को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी.
70 वर्षीय कमल हासन कहते हैं,“वक्त हमसे तेज़ चला गया... लेकिन देर आए, दुरुस्त आए. हमने इतने सालों में न जाने कितनी बातें की थीं, शायद ज़्यादातर भूल भी गए हैं। मगर वो एक निडर समय था — जब हम पैसों की नहीं, ज़िम्मेदारी की बात करते थे.”
वहीं 68 वर्षीय मणिरत्नम, जो रोजा, बॉम्बे, दिल से, इरुवर, और पोन्नियिन सेलवन जैसी फिल्मों के लिए पहचाने जाते हैं, कहते हैं:“हर बार जब मैं कोई फिल्म शुरू करता, तो यही सोचता कि काश इसमें कमल हासन होते। अब जाकर वो इच्छा पूरी हुई है। अब वक्त आ गया था.
दोनों की दोस्ती 'नायकन' से पहले शुरू हुई थी। मणिरत्नम याद करते हैं:“कमल हासन के चेन्नई स्थित एल्डम्स रोड वाले घर में तमाम कलाकार, लेखक और तकनीशियन जमा होते थे. वो घर एक विचारशाला जैसा था — खुला, रचनात्मक और प्रेरणादायक.”
कमल हासन, जो कलाथुर कन्नम्मा (1960) से बतौर बाल कलाकार अपने फिल्मी सफर की शुरुआत कर चुके थे, उस दौर में तमिल सिनेमा के शीर्ष अभिनेता बन चुके थे. मगर उन्होंने खुद को कभी 'स्टार' नहीं बनने दिया.
कमल हासन ने स्वीकार किया कि उन्होंने अब तक करीब 150 फिल्मों में काम किया है, जिनमें से कई फिल्में उन्होंने सिर्फ परिस्थितियों या व्यावसायिक कारणों से कीं.
वे मुस्कराते हुए कहते हैं,“अगर मैं उन्हें रैंक करूं, तो कुछ फिल्में टॉप में होंगी, लेकिन एक टॉप फिल्म कहना मुश्किल है क्योंकि हर नई अच्छी फिल्म पुरानी को पीछे छोड़ देती है,”
‘Thug Life’ के विचार की शुरुआत कमल हासन ने की थी। मणिरत्नम को यह विचार पसंद आया और दोनों ने इसे विस्तार दिया.हासन बताते हैं,“हमने कई आइडियाज पर चर्चा की, लेकिन ‘पोन्नियिन सेलवन’ के बाद हम उसी शैली में नहीं जाना चाहते थे. हमने सोचा कि एक बार फिर शक्तिवेल नायकर की कहानी कही जाए — मगर आज के समय की भाषा में.”
इस प्रोजेक्ट में कमल हासन लेखक, निर्माता और अभिनेता — तीनों भूमिकाओं में हैं, लेकिन मणिरत्नम स्पष्ट करते हैं:“सेट पर कमल सिर्फ एक अभिनेता थे। निर्माता कहीं दूर था। उनकी ऊर्जा, समर्पण और फोकस पूरी तरह किरदार में था.”
कमल हासन ने स्वीकार किया कि फिल्मों में पैसों का दबाव हमेशा रहता है. वे कहते हैं:“यह सच है कि फिल्मों में फाइनेंशियल समझौते करने पड़ते हैं. मैंने सुना कि सत्यजीत रे ने भी अपने एक प्रोजेक्ट के लिए विज्ञापन बनाया था। जब वे कर सकते हैं, तो हम क्यों नहीं?”
मणिरत्नम सहमत होते हैं:“ये एक कला है जिसमें भारी निवेश लगता है. हमें ऑडियंस और बजट — दोनों का ध्यान रखना होता है. इस संतुलन में ही हमारी रचनात्मकता की असली परीक्षा होती है.”
कमल हासन और मणिरत्नम दोनों मानते हैं कि आज के दौर में भी राजनीतिक और सामाजिक कहानियों को कहना संभव है — अगर कलाकार साहसी हो.कमल कहते हैं:
“कलाकारों ने हमेशा रास्ता निकाला है, चाहे सत्ता किसी की भी रही हो — कारोबार की या राजनीति की.”
मणिरत्नम जोड़ते हैं:“पाबंदियों के बीच भी बेहतरीन फिल्में बनी हैं. हम इसे बहाना नहीं बना सकते। लेखक, पत्रकार और फिल्मकार — सभी को उसी राह से गुज़रना पड़ता है.”
‘Thug Life’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि दो रचनात्मक आत्माओं की पुनर्मिलन की कहानी है. यह फिल्म 1980 और 2020 के दशक के बीच का वह सेतु है जो बताता है कि सच्ची दोस्ती, सिनेमा और प्रतिबद्धता समय से परे होती है.
5 जून को रिलीज़ होने वाली इस फिल्म से न सिर्फ सिनेप्रेमी बल्कि खुद फिल्मकारों को भी नई प्रेरणा मिलेगी — कैसे उम्र, व्यवसायिकता और वक्त के बावजूद भी कला ज़िंदा रह सकती है.