यूपीएससी क्रैक करने के लिए कायमखानी बिरादरी को जकात फाऊंडेशन की तरह मजबूत संस्थान की दरकार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 29-04-2024
Kayamkhani jewels
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अशफाक कायमखानी / जयपुर

अब ये ख्याल राजस्थान में आम हो चला है कि आर्मी और ब्यूरोक्रेसी में ठीकठाक प्रतिनिधित्व करने वाली राजस्थान की कायमखानी बिरादरी को बडे भाई की भूमिका में आकर भारतीय स्तर पर कायम संस्थान जकात फाऊंडेशन की तरह ‘कायम फाऊंडेशन’ बनाकर प्रदेश में भारतीय सिविल सेवा सहित भारतीय संघ लोकसेवा आयोग की विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी के लिये अच्छा कोचिंग संस्थान कायम करने पर विचार करना चाहिए, जिससे राजस्थान के मुस्लिम समुदाय मे बदलाव की बयार बह सके.

हालांकि यूपीएससी की तैयारी करने वाले बच्चे, जरूरी नहीं कि सभी बच्चे भारतीय प्रशासनिक व पुलिस सेवा के अधिकारी ही चयनित हो जायें. लेकिन कोचिंग लेने पर उनका मेंटल लेवल इतना बढ जाता है कि कुछ बच्चे आईएएस-आईपीएस बन जाते हैं. और नहीं कामयाब हो पाने बच्चे यूपीएससी की अन्य सेवाओं के अतिरिक्त राजस्थान लोकसेवा आयोग की विभिन्न तरह की अन्य परिक्षाओं मे निश्चित सफल हो सकते हैं.

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जीवन में बदलाव व जमाने की ठीक से समझ के लिये आला दर्जे की शिक्षा जरूरी है. शासन में आने के लिये समाज के अनेक लोग राजनीति में भागदौड़ कर रहे हैं. लेकिन प्रशासन में पैर जमाने के लिये शिक्षा में कड़ी मेहनत करके विभिन्न तरह की परीक्षाओं को क्रेक करना एक मात्र रास्ता है. जिस रास्ते को अपनाने में मुस्लिम समुदाय अभी तक उदासीन व काफी पीछे है.

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पिछले सप्ताह यूपएससी के आये 2023 के परिणाम में मुस्लिम समुदाय के देश भर के 52 बच्चों के सिलेक्ट होने के समाचार आया. जो पहले के मुकाबले बेहतर संख्या मानी जा रही है. चयनित 52 बच्चों मे पांच बच्चे टॉप-100 में हैं और नौशीन तो पांचवीं रेंक पर है.

बाकी रुहानी, बारदाह खान, जुफिशान हक व फैबी रशीद हैं. यूपीएससी में सिलेक्ट होने वाले मुस्लिम बच्चों पर नजर डालें, तो संख्या के हिसाब से 2023 के परिणाम में सबसे अधिक है. इसके अतिरिक्त 2012 में 30, 2019 में 44, 2018 में 28, 2020 में 31, 2014 में 36, 2021 में 28, 2022 में 29 मुस्लिम बच्चे सिलेक्ट हुये थे. 2006 में भारत मे सबसे कम 3 प्रतिशत आईएएस और 4 प्रतिशत आईपीएस थे.

जिनमें सभी धर्म व वर्ग के बच्चों के लिये जकात फाऊंडेशन द्वारा संचालित जामिया के कोचिंग सेंटर के बच्चे अधिक बताते हैं. जामिया के अलावा जामिया हमदर्द, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी सहित विभिन्न हज कमेटियों द्वारा संचालित कोचिंग के बच्चे भी हैं.

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शिक्षा में आगे बढने के लिए कायमखानी बिरादरी के कुछ लोगों ने कुछ समय पहले एक कायम जकात फाऊंडेशन का गठन किया था, जिसमें मात्र एक साल पैसा इकठ्ठा किया गया था. उस जमा राशि का सदुपयोग अच्छे से हुआ, पर वो फाऊंडेशन आगे नहीं बढ़ पाया.

राजस्थान के कुछ युवाओं ने यूपीएससी को सीधे तौर पर क्रेक जरूर किया है. जो बहुत कम तादाद में बताये जाते हैं. जिनमें अमजद अली, असलम खान, जफर मलिक, मकसूद खान, फराह हुसैन, अमजद अली, अब्दुल जब्बार और जाकीर खान जैसे कुछ और चंद लोग हो सकते हैं, जिन्हें उंगलियों पर गिना जा सकता है.

जिनमें जफर मलिक केरल केडर, मकसूद खान हरियाणा केडर, असलम खान केन्द्र शासित प्रदेश सेवा व फराह हुसैन आयकर विभाग जयपुर में पदस्थापित हैं. सैयद जफर महाराष्ट्र केडर में थे, जो सेवा निवृत्त हो गये हैं.

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राजस्थान में रियासतों के विलय के समय रियासतों से कलेक्टर पद के लिये पांच मुस्लिम सीधे तौर पर आये थे: उनमे बूंदी रियासत के अलाऊद्दीन खिलजी व जयपुर रियासत के रहमत अली जाफरी प्रमुख थे. इनके अलावा राजस्थान प्रशासनिक व पुलिस सेवा सहित अन्य सेवाओं से तरक्की पाकर भी आईएएस-आईपीएस बने हैं, जिनमें जे.एम खान, एमएस खान, एआर खान, अशफाक हुसैन, मोहम्मद हनीफ खान, शफी मोहम्मद, यूडी खान, जाकिर हुसैन व  इकबाल खान प्रमुख बताते हैं. इसी तरह तरक्की पाकर आईपीएस भी बने हैं, जिनमें फिरोज खान, मुराद अली अब्रा, लियाकत अली खान, निसार फारुकी, कुंवर सरवर खान, हबीब खान गौरान, हैदर अली जैदी, तारिक आलम व अरशद अली खान प्रमुख हैं. वर्तमान मे केवल अरशद अली सलम्बूर पुलिस अधीक्षक पद पर पदस्थापित हैं. बाकी आईजी व डीआईजी पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

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इनके अलावा राजस्थान हाईकोर्ट में सर्विस कोटे व सीधे वकील कोटे से जस्टिस भी बने हैं. उनमें जस्टिस सैयद फारुक अली नकवी, जस्टिस मोहम्मद असगर अली चौधरी, जस्टिस यामिन अली, जस्टिस मोहम्मद रफीक, जस्टिस भंवरु खान व जस्टिस फरजंद अली हैं.

इनमें जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस फरजंद अली वकील कोटे से है. बाकी सर्विस कोटे से बने हैं. जस्टिस मोहम्मद रफीक मेघालय, मध्यप्रदेश व हिमाचल के चीफ जस्टिस भी रहे हैं. जस्टिस फरजंद अली वर्तमान मे जस्टिस हैं.

कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान में सिविल सेवा सहित अन्य सेवाओं में मुस्लिम समुदाय की भागीदारी बढाने के लिये गाईडेंस ब्यूरो व मदद के लिये फाऊंडेशन का गठन करना आज जरूरत बन गया है. राज्य में मुस्लिम समुदाय के सेवानिवृत्त आाईएएस और आईपीएस की लम्बी सुची है, जो मिलकर इस तरफ कदम बढा सकते हैं.