राष्ट्रीय शिक्षा नीति बदल देगी भारत की तकदीरः प्रो अकील अहमद

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 20-02-2022
 प्रो अकील अहमद
प्रो अकील अहमद

 

आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली

शिक्षा के महत्व और विशेष रूप से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए, राष्ट्रीय उर्दू एवं सिंधी परिषद के निदेशक प्रोफेसर शेख अकील अहमद ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत की नियति और छवि को बदल देगी, क्योंकि इसमें सभी भारतीय भाषाएं शामिल हैं और उनके विकास व पुनरुद्धार का प्रस्ताव है.

उन्होंने कहा कि भारत का प्रत्येक छात्र अपनी मातृभाषा में पांचवीं कक्षा तक अनिवार्य और आठवीं कक्षा तक वैकल्पिक शिक्षा प्राप्त कर सकेगा. इसके अलावा, वह शिक्षा के किसी भी स्तर पर अपनी मातृभाषा को एक विषय के रूप में अपना सकता है. साथ ही, नीति में सभी राज्यों और केंद्र में सभी भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए अकादमियों की स्थापना का प्रस्ताव है.

शेख अकील ने कहा कि वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि यदि कोई प्रगतिशील देश अपनी मातृभाषा की रक्षा नहीं करता है, तो उसका पतन अवश्यंभावी है. क्योंकि ध्वनि से शब्द बनते हैं और शब्द भाषा का निर्माण करते हैं और ध्वनि ही इस ब्रह्मांड का सार है. इसलिए सभी भाषाएं सम्मानजनक हैं और मोदी सरकार सभी भाषाओं की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.

प्रो अकील ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने शिक्षा में विविधता पैदा की है, जो शिक्षा प्रणाली का विस्तार करेगी और नए पाठ्यक्रम और विषय पेश करेगी, जो भारत में किसी के लिए भी नए रोजगार और रोजगार के अवसर पैदा करेगी. युवा बेरोजगार नहीं होंगे.

उन्होंने कहा कि इस नीति के अंतर्गत सभी विषयों को कौशल विकास के ढांचे में ढाला गया है, ताकि युवा शिक्षा प्राप्त कर बेकार न रहें.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की एक और विशेषता यह है कि इसमें सभी शिक्षण संस्थानों में सहस्राब्दी का माहौल बनाने और सभी शिक्षकों को इस तरह प्रशिक्षित करने का प्रस्ताव है कि वे अतीत के प्रतिभाशाली शिक्षकों की तरह बनें.

शेख अकील ने कहा कि वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि भारत दुनिया के विकसित देशों में सबसे आगे रहे, लेकिन साथ ही भारत के नैतिक मूल्य और हजारों साल पुरानी सभ्यता हमेशा जीवित रहेगी. और भारत प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक युवा को आधुनिक होने के साथ-साथ आध्यात्मिकता के साथ अपने संबंध बनाए रखें, यानी प्रगति और आध्यात्मिकता एक साथ बढ़ें.

प्रो. अकील ने कहा कि अगर भारत में ऐसा हुआ, तो भारत पूरी दुनिया में क्रांति लाएगा और हमारा देश एक सच्चा गुरु माना जाएगा. इसलिए मैं भारत के सभी शिक्षण संस्थानों, शिक्षकों और छात्रों से अपील करता हूं कि वे राष्ट्रीय लागू करने के लिए आगे आएं. शिक्षा नीति 2020 और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों को साकार करें.